Friday, March 29, 2024
spot_img
Homeदुनिया मेरे आगेआगर मालवा यथा नाम तथा गुण

आगर मालवा यथा नाम तथा गुण

आगर मालवा अर्थात मालवा का एक महत्वपूर्ण क्षैत्र। मालवा क्षैत्र में केवल आगर में ही यह मालवा संबोधन जुड़ा है। आगर मालवा।इसी से इस क्षैत्र की महत्ता जानी जा सकती है। मध्य प्रदेश में मालवा क्षेत्र में स्थित आगर मालवा एक नगर है। यह उज्जैन मंडल के अंतर्गत आता है। राजा आगरिया भील ने आगर की स्थापना की थी उनके नाम पर इस नगर का नाम आगर पड़ा ।राजा आगरिया ने आगर मालवा की उन्नति के लिए बहुत कार्य किये। उनके राज्य काल में आगर मालवा का एक प्रसिद्ध नगर था ।

मंदिरों का निर्माण भी मुख्य था। आगर मालवा अपनी लाल मिट्टी के कारण भी प्रसिद्ध है।

आगर मालवा में कई ऐतिहासिक धार्मिक और पर्यटन स्थल है जो बहुत प्रसिद्ध है, उनमें माता बगलामुखी का मंदिर जो नलखेड़ा स्थित है, बैजनाथ मंदिर आगर में स्थित है तुलजा भवानी का मंदिर आगर से थोड़ी दूर करनाल रोड पर स्थित है ।इस तरह आगर के आस-पास बहुत सारे पर्यटन स्थल है जो हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। माता बगलामुखी का मंदिर।

माता बगलामुखी का मंदिर मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में नलखेड़ा तहसील में लखुंदर नदी के किनारे पर स्थित है। यह मंदिर बगलामुखी देवी का तांत्रिक मंदिर माना जाता है। इस मंदिर में वर्षों से कई चमत्कार होते आ रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध को जीतने के लिए राजा युधिष्ठिर ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। विश्व में ऐसे तीन महत्वपूर्ण प्राचीन मंदिर हैं, जिन्हें सिद्ध कहा जाता है। द्वापर युग से इस मंदिर में पूजा अर्चना चल रही है, जो आज वर्तमान में भी वैसे ही अनवरत चालू है। माता की पूजा बहुत चमत्कारी है। बुजुर्गों के अनुसार यह माता की मूर्ति स्वयंभू है। यहां पर पूजा में हल्दी का विशेष महत्व बताया गया है।ऐसा कहां जाता है कि अपनी श्रृद्धा अनुसार नवरात्रि पर्व में माता को सोने की नथ अवश्य भेंट करनी चाहिए। माता प्रसन्न होती हैं। महिलाओं में सुहाग सामग्री में नथ विशेष महत्व रखती है। इसलिए माता को नथ चढ़ाने की मान्यता है।

आगर में एक और सिद्ध मंदिर केवड़ा स्वामी का मंदिर है ।जो बाबा भैरव नाथ का मंदिर है। बाबा भैरवनाथ राजपूत झाला क्षत्रियों के इष्ट देव कहे जाते हैं। राजस्थान ,गुजरात अन्य जगहों से अपने कुल भेरु की पूजा के लिए यात्रीगण यहां आते हैं। इस मंदिर में केवड़े के वृक्ष बहुतायत मात्रा में है, इसलिए इस जगह को केवड़ा स्वामी नाम से पुकारा जाता है ।लेकिन यह मंदिर भैरवनाथ का मंदिर है।हर उत्सव पर यहां बहुत भीड़ होती है ।शनिवार को या पूर्णिमा के दिन यहां पर बहुत लोग जमा होते हैं ।इनको सांकल भेरू या जंजीर भेरु के नाम से भी जाना जाता है। बड़े
बुजुर्ग बताते हैं कि भैरव बाबा को सांकल से बांधा जाने के कारण इस मंदिर को सांकल भेरू, जंजीर भेरू कहां जाता है।

श्री बैजनाथ मंदिर आगर मालवा का प्रसिद्ध शिव मंदिर है ।इसके बारे में कहा जाता है इसका जिर्णोद्धार एक अंग्रेज ने करवाया था। एक अंग्रेज महिला ने अपने पति की सुरक्षा की प्रार्थना बाबा बैजनाथ से मंदिर में पुजारी जी के कहने पर की थी। उसकी प्रार्थना को बाबा बैजनाथ ने पूरा किया ।एक विदेशी महिला ने इस चमत्कार को बहुत श्रेय दिया।अपने देश जाकर भी वहां भी ,मंदिर के चमत्कार की चर्चा की। बैजनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ और यह मंदिर प्रसिद्ध हुआ।

टिलर बांध के नीचे एक गांव पचेटी है। पचेटी के जंगल में माता रानी का मंदिर है । पहले यहां घना जंगल था और उस समय जंगल में माता रानी की मूर्तियां विराजित थी ।यहां आज बड़ा भव्य मंदिर बना हुआ है । यहां नारियल चढ़ाने की मान्यता है। नारियल की चटक नारियल की गिरी का बहुत महत्व है । माता रानी को नारियल की चटक चढ़ाने से मनोकामना पूर्ण होती है, ऐसा माना जाता है। श्रृद्धालु पांच,सात,ग्यारह नारियल भी चढ़ाते हैं।

यहां पर नवरात्रि में बहुत भीड़ होती है। दूर-दूर से आस-पास के गांव से लोग इकट्ठा होते हैं और नौ दिन जंगल में मां का जयकारा गुंजायमान रहता है। सोयत गांव में कंठाल नदी के किनारे पर चौंसठ योगिनी का प्रसिद्ध मंदिर है ,और नलखेड़ा मार्ग पर भी चौंसठ योगिनी बहुत प्राचीन मंदिर है। यहां पर खैर के बहुत पेड़ हैं ।इन दोनों मंदिरों की भी बहुत मान्यता है। यहां पर कुछ लोग बच्चों के मुंडन संस्कार भी करते हैं, और कुछ लोग अपनी कुलदेवी पता नहीं होने से यहां माथा टेकने आते हैं।

तुलजा भवानी,मोती सागर, सोमेश्वर मंदिर और गणेश गौशाला भी यहां इस क्षैत्र में स्थित है। पुराने समय में आगर मालवा क्षैत्र में बहुत हरियाली और वृक्षों की घनी छाया रहती थी।
संकलन करते समय,सोयत ,सुसनेर,सुंदरसी के मीठे मीठे तरबूज , खरबूज और लखुंदर नदी के जल के बहाव की भी जानकारी मिली। यहां के गेंदा और गुलाब के फूल बहुत मशहूर है।गुलाब और गेंदा की पैदावार कई एकड़ जमीन में होती है।यह भी आगर मालवा क्षैत्र की विशेषता है। यहां मालवी बोली भी अब तक प्रचलन में है। इस तरह विभिन्न विविधता से आगर मालवा परिपूर्ण है।

माया मालवेंद्र बदेका
उज्जैन (मध्यप्रदेश)
Attachments area

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार