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खूब मनाओ होली- होली खेलने से जितना पानी खर्च होता है उतना ही स्नेह और सद्भाव का रंग चढ़ता है
उन दिनों होली दबे पांव आती थी. और फिर, सर्द सुबह की गरमागरम चाय जैसे पहली चुस्की के साथ ही शरीर में घुलने लगती हैं, वैसे ही घुलने लगती थी – घर में, गली में, मुहल्ले में, शहर में, वातावरण में....
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अपने भतीजे प्रह्लाद को बचाने के लिए होलिका ने अपना बलिदान कर दिया था
फागुन पूर्णिमा के दिन वैदिक काल के 'वासंती नव-सस्येष्टि यज्ञ ' में नए अन्न को यज्ञीय ऊर्जा से संस्कारित कर उसे समाज को समर्पित करने का भाव था।
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शिशु के पालन में सर्वस्व न्यौछावर कर देती है माँ : सुधा सागर जी
महाराज श्री ने कहा कि गुरु, माता-पिता द्वारा श्रावक के कल्याण के लिए कार्य करते हैं, उन्होंने भगवान राम और भरत की कथा का वर्णन करते हुए, आज्ञा पालन, समर्पण और त्याग की भावना से कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
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कार्तिक पूर्णिमा का महत्व एवं केशवराय पाटन का ऐतिहासिक कार्तिक मेला
भारत देश तीन-त्यौहारों, मेलों, उत्सवों एवं विभिन्न पर्वों का देश है। यहां पर विभिन्न धर्मों के लोग निवास करते हैं और विभिन्न प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक त्यौहार मनाये जाने की परम्परा रही है। सभी अपने-अपने पर्वों को धार्मिक परम्परा के अनुसार मनाते हैं तथा एक-दूसरे के पर्वों में सौहार्द्र के साथ शामिल होते हैं।
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वृक्षों को काटना, नदियों को दूषित करना साधु हत्या के समान : मोरारी बापू
आज पर्यावरण बचाओ की अति-आवश्यकता के महत्व को रेखांकित करते हुए मोरारी बापू ने कहा कि वृक्षों को अनावश्यक मत काटें, नदियों को प्रदूषित न करें। त्योहारों पर सामूहिक स्नान और पूजा करके नदियों को दूषित करना, अनावश्यक वृक्षों को काटना और अकारण पहाड़ों को नष्ट करना साधु की हत्या करने जैसा ही है।
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मांगलिक कार्य आरम्भ होने का दिन है ‘‘देवोत्थान एकादशी’’
देवोत्थान एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कहते हैं। दीपावली के ग्यारह दिन बाद आने वाली एकादशी को ही प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी या देव-उठनी एकादशी कहा जाता है।
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कार्तिक शुक्ल नवमी यानि आंवला नवमी – धार्मिक व आयुर्वेदिक महत्व
पंच दिवसीय दीपावली पर्व के बाद कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है।
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खूबसूरत जैन मंदिर ही नहीं पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र भी है महावीर जी
राजस्थान के करौली जिले के हिण्डौन उपखण्ड में गंभीर नदी के किनारे पश्चिम तट पर चांदन गांव में श्री महावीर जी जैनियों का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल स्थित है।
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धनतेरस और दिवाली पूजन का महत्व व मुहुर्त
पांच दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत 2 नवंबर मंगलवार को धनतेरस से होगी और छह नवंबर को यम द्वितीया तक दीपावली उत्सव रहेगा।
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जीवन में हम उसे पाने का प्रयास कर रहे हैं जिसकी हमे आवश्यकता ही नहीं- सुधा सागर जी
सुधा सागर जी ने कहा कि खटाई रसना इन्द्री का विषय है। उन्होंने कहा संतोष, क्षमता, करूणा धारण करो। जो तुम्हारे पास नहीं है उसकी महत्वाकांक्षा मत करो। जो मेरा हो नहीं सकता उसकी इच्छा नहीं करनी चाहिए।