Thursday, March 28, 2024
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तकनीकी विषयों को मातृभाषा में समझना-समझाना ज्यादा आसान

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा यहां आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन आज वक्ताओं ने इंजीनियरिंग और अन्य तकनीकी विषयों की पढ़ाई हिन्दी सहित देश की प्रादेशिक भाषाओं में करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि तकनीकी विषयों को मातृभाषाओं में समझना और समझाना ज्यादा आसान होता है। यह कार्यशाला शैक्षणिक पुस्तकों के लेखन में तकनीकी शब्दावली का महत्व विषय पर आयोजित की गई। आयोजन केन्द्र सरकार के वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के सहयोग से किया गया।

दूसरे दिन के विभिन्न सत्रों में आज सिक्किम केन्द्रीय विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति और हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. यू.पी. सिन्हा सहित राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी की निदेशक डॉ. अनिता नायर और अन्य अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। समापन सत्र में स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय भिलाई नगर (छत्तीसगढ़) के कुलपति डॉ. मुकेश कुमार वर्मा ने कहा – चीन, जापान, कोरिया आदि कई देशों में विज्ञान, मेेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे विषयों की पढ़ाई वहां की मातृभाषाओं में होती है। भारत के संदर्भ में उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई हमारे यहां हिन्दी में हो तो बेहतर होगा। मातृभाषाओं में किसी भी विषय अथवा पाठ को समझना और समझाना आसान होता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की जैव प्रौद्योगिकी अध्ययन शाला के विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. जाधव ने की। इस मौके पर छत्तीसगढ़ राज्य हिन्दी ग्रंथ अकादमी के संचालक श्री शशांक शर्मा, वरिष्ठ लेखक और साहित्यकार डॉ. सुशील त्रिवेदी, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रमेन्द्र नाथ मिश्र, वरिष्ठ भाषा वैज्ञानिक डॉ. चितरंजन कर और भारत सरकार के तकनीकी शब्दावली आयोग के सहायक वैज्ञानिक डॉ. प्रदीप कुमार ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस मौके पर जैव प्रौद्योगिकी और सूक्ष्म जीव विज्ञान विषय पर केन्द्रित डॉ. एस.के. जाधव और डॉ. प्रमोद कुमार महीश की पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

कार्यशाला के समापन अवसर पर ‘पुस्तक लेखन एवं अनुवाद: भाषा एवं शब्दावली प्रयोग’ तथा ‘पुस्तक लेखन के संदर्भ में चित्रों, छायाचित्रों और संदर्भ सामग्रियों सहित कॉपी राइट कानून जैसे तकनीकी विषयों पर दो सत्रों में परिचर्चा हुई। इन सत्रों को जामिया मिलिया, इस्लामिया विश्वविद्यालय नई दिल्ली के डॉ. डी.के. धुसिया, राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी जयपुर की निदेशक डॉ. अनिता नायर, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय की भाषा अध्ययन शाला के पूर्व वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. चितरंजन कर और कल्याण महाविद्यालय भिलाई नगर के डॉ. सुधीर शर्मा ने अपने विचार प्रकट किए। दो दिन की राष्ट्रीय कार्यशाला में छत्तीसगढ़ के विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के एक सौ से ज्यादा प्राध्यापक तथा बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन शामिल हुए। आमंत्रित अतिथियों को समापन सत्र में स्मृति चिन्ह भेंट किए गए।

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