Thursday, April 25, 2024
spot_img
Homeअध्यात्म गंगासब कुछ समाया है शिव के विराट व्यक्तित्व में

सब कुछ समाया है शिव के विराट व्यक्तित्व में

शिव के व्यक्तित्व में हमने समस्त शक्तियों को स्थापित किया है। अमृत है उनका जीवन।. मृत्युंजय हैं वह, लेकिन जहर उनके कंठ में है। इसलिए नीलकंठ हम उनको कहते हैं। उनके कंठ में जहर भरा हुआ है। जहर पी गये हैं। मृत्युंजय हैं, अमृत उनकी अवस्था है, मर वह सकते नहीं हैं, शाश्वत हैं और जहर पी गये हैं। शाश्वत जो है, वही जहर पी सकता है। जो मरणधर्मा है, वह जहर कैसे पिएगा?

और यह जहर तो सिर्फ प्रतीक है। शिव के व्यक्तित्व में जिस—जिस चीज को हम जहरीली कहें, वे सब उनके कंठ में हैं। कोई खी उससे विवाह करने को राजी नहीं थी। कोई पिता राजी नहीं होता था। उमा का पिता भा बहुत परेशान हुआ था। पागल थी लड़की, ऐसे वर को खोज लायी, जो बेबूझ था! जिसके बाबत तय करना मुश्किल था कि वह क्या है? परिभाषा होनी कठिन थी। क्योंकि वह दोनों ही था। बुरे—से—बुरा उसके भीतर था। भले—से—भला उसके भीतर था। और जब बुरा भीतर होता है तो हमारी आखें बुरे को देखती हैं, भले को नहीं देख पातीं। क्योंकि बुरे को हम खोजते रहते हैं। बुरे को हम खोजते रहते हैं। कहीं भी बुरा दिखायी पड़े तो हम तत्काल देखते हैं, भले को तो हम बामुश्किल देखते हैं। भला बहुत ही हम पर हमला न करे, माने ही न, किये ही चला जाए, तब कहीं मजबूरी में हम कहते हैं—हणो, शायद होगा। लेकिन बुरे की हमारी तलाश होती है।

तो अगर लड़की के पिता को शिव में बुरा—ही—बुरा दिखायी पड़ा हो, तो कोई हैरानी की बात नहीं है। लेकिन भीतर जो श्रेष्ठतम, शुद्धतम शुभत्व है, वह भी था। और दोनों साथ थे, और दोनों इतने संतुलित थे कि वह जों व्यक्ति था, दोनो के पार हो गया था। इसे थोड़ा ठीक से समझ लें।

जब बुराई और भलाई पूर्ण सतुलन में होती है तो संत पैदा होता है। संत भले आदमी का नाम नहीं है। भले आदमी का नाम सज्जन है। बुरे आदमी का नाम दुर्जन है। भलाई और बुराई को, दोनों को जो इस ढंग से आत्मसात कर ले कि वे दोनों संतुलित हो जाएं और एक—दूसरे को काट दें; बराबर मात्रा में हो जाए और एक—दूसरे को काट दें, तो दोनों के पार जो व्यक्तित्व पैदा होता है, वह संत है। संत एक गहन संतुलन है।
ओशो

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार