Tuesday, April 23, 2024
spot_img
Homeधर्म-दर्शनओडिशा के ब्रह्मगिरि का विख्यात भगवान अलारनाथ मंदिर

ओडिशा के ब्रह्मगिरि का विख्यात भगवान अलारनाथ मंदिर

जहां सत्युग में कभी स्वयं ब्रह्माजी प्रतिदिन तपस्या किया करते थे…

वैष्णव मतानुसार ओडिशा के ब्रह्मगिरि के विख्यात भगवान अलारनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं ब्रह्माजी ने ही किया था।यह भी जानकारी मिलती है कि 09वीं सदी में राजा चतुर्थभानुदेव ने इस मंदिर का निर्माण किया था जो स्वयं दक्षिण भारत के एक लोकप्रिय वैष्णव भक्त थे। सबसे बडी बात इस मंदिर के निर्माण के क्रम में यह है कि इसका पूर्णरुपेण विकास 14वीं सदी में हुआ।इस मंदिर में भगवान अलारनाथ जी की काली प्रस्तर की प्रतिमा चतुर्भुज नारायण की है।

यह मंदिर मुख्य रुप से श्रीकृष्ण भक्तों का मंदिर है।ब्रह्मगिरि के अधिसंख्यक स्थानीय लोग वैष्व हैं जो प्रतिदिन मंदिर में जाकर भगवान अलारनाथ की पूजा करते हैं। दक्षिण भारत में आज भी विष्णुभक्त चतुर्भुज नारायण के रुप में ही भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। ब्रह्मगिरि के भगवान अलारनाथ मंदिर की देवमूर्ति काले पत्थर की बनी है जो साढे पांच फीट की अति सुंदर देवमूर्ति है।इस मंदिर का महत्त्व प्रतिवर्ष भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा के क्रम में उस समय बढ जाता है जब प्रतिवर्ष देवस्नानपूर्णिमा के दिन चतुर्धा देवविग्रहःभगवान जगन्नाथ,बलभद्र जी,सुभद्रा जी तथा सुदर्शन जी अत्यधिक स्नान करने के कारण बीमार हो जाते हैं और उन्हें अगले 15दिनों के लिए इलाज के लिए उनके बीमार कक्ष में एकांतवास करा दिया जाता है। बीमार कक्ष में उनका लगातार 15 दिनों तक उनका आर्युर्वेदसम्मत उपचार होता है। श्रीमंदिर का मुख्य कपाट अगले 15दिनों के लिए जगन्नाथ भक्तों के दर्शन के लिए बन्द कर दिया जाता है।

उस दौरान पुरी से लगभग 23 किलोमीटर की दूरी पर ब्रह्मगिरि में अवस्थित भगवान अलारनाथ मंदिर में जाकर समस्त जगन्नाथ उनके दर्शन भगवान अलारनाथ के रुप में करते हैं।ब्रह्मगिरि के भगवान अलारनाथ मंदिर का आध्यात्मिक परिवेश भी अति मोहक है।यह भी जानकारी मिलती है कि सत्युग में स्वयं ब्रह्माजी आकर वहां पर प्रतिदिन तपस्या किया करते थे।

कहते हैं कि 1510 ई. में अनन्य श्रीकृष्ण भक्त महाप्रभु चैतन्यदेवजी स्वयं वहां जाकर भगवान अलारनाथ के दर्शन किये थे। प्रकृति के सुरम्य परिवेश में अवस्थित ब्रह्मगिरि पर्वत तथा भगवान अलारनाथ का मंदिर आज कई दशकों से सैलानियों का स्वर्ग बन चुका है। मंदिर में भगवान अलारनाथ को प्रतिदिन खीर का भोग निवेदित किया जाता है जो प्रसाद के रुप में काफी स्वादिष्ट होता है। कहते हैं कि जिसप्रकार श्रीमंदिर पुरी धाम के महाप्रसाद की जैसी आध्यात्मिक,सामाजिक और धार्मिक मान्यता है,ठीक उसी प्रकार भगवान अलारनाथ के खीर भोग की भी वैसी ही मान्यता है।

गौरतलब है कि पिछले कई वर्षों से (नवकलेवर-2015 से लगातार) भगवान अलारनाथ मंदिर, ब्रह्मगिरि की साफ-सफाई आदि का जिम्मा ओडिशा सरकार ने अपने हाथों में ले रखा है जिसके बदौलत पुरी जगन्नाथ मंदिर की तरह ही सुंदर परिवेश ब्रह्मगिरि भगवान अलारनाथ मंदिर का बन चुका है। यह भी एक रोचक बात है कि ओडिशा के जितने भी बडे-बुजुर्ग जगन्नाथ भक्त हैं वे अणासरा(देवविग्रहों के बीमार के दौरान) उन 15 दिनों में कम से कम एकबार ब्रह्मगिरि जाकर भगवान अलारनाथ के दर्शन जगत के नाथ श्री श्री जगन्नाथ भगवान के रुप में अवश्य करते हैं।मंदिर की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर की ओर से प्रतिवर्ष यहां की पुष्करिणी में 21दिवसीय चंदनयात्रा भी अनुष्ठित होती है।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार