Thursday, March 28, 2024
spot_img
Homeप्रेस विज्ञप्तिवृहद भारत के पुनर्निर्माण की आवश्यकता- शेखर दत्त

वृहद भारत के पुनर्निर्माण की आवश्यकता- शेखर दत्त

भोपाल। भारत को साम्राज्यवाद नहीं अपने प्रभाव को बढ़ाने की आवश्यकता है। आज से दो हजार वर्ष पूर्व भारत का प्रभाव क्षेत्र चीन, विएतनाम, कम्बोडिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया, अफगानिस्तान तक था और हमारी संस्कृति का पूरा विश्व सम्मान करता था। इसके प्रमाण विश्व के कई देशों में आज भी हमें देखने को मिलते हैं। आज पुनः उस प्रभाव और सम्मान को वापस प्राप्त करने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें अपनी आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा रणनीति के विषय में जनमानस के बीच जागरूकता लाने की आवश्यकता है। यह विचार आज पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पं. माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर आयोजित व्याख्यान में छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल श्री शेखर दत्त ने व्यक्त किए। कार्यक्रम के दूसरे वक्ता डॉ. शेषाद्रि चारी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने की।

श्री शेखर दत्त ने कहा कि दो हजार वर्ष पूर्व आदि शंकराचार्य ने भारत राष्ट्र की कल्पना की थी और इसके प्रमाण हमें अपने धर्मग्रंथों में मिलते हैं। रामायण एवं महाभारत में एक वृहद भारत नजर आता है। पूरे इंडो-चाईना क्षेत्र में भारतीयता का प्रभाव था। सामरिक एवं भौगोलिक दृष्टि से हिन्द महासागर पर भारत का नियंत्रण आवश्यक है, जो हम नहीं कर पा रहे हैं। रणनीतिक दृष्टि से हमें विएतनाम के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाना चाहिए। जिस तरह चीन ने कूटनीतिक दृष्टि से पाकिस्तान को साधा है, ऐसा ही हमें अन्य देशों विएतनाम, कम्बोडिया, मलेशिया, थाईलैंड, बाली, सुमात्रा आदि के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें पत्रकारिता के विद्यार्थियों को रणनीतिक पत्रकारिता सिखाना चाहिए। हमारी आज की पीढ़ी सामरिक विषयों के बारे में अनभिज्ञ है। हमें ऐसे पाठ्यक्रम संचालित करने चाहिए जिसमें ऐसे विषयों का अध्ययन कराया जा सके। वृहद भारत की परिकल्पना केवल एक शक्तिशाली राष्ट्र का निर्माण ही नहीं करेगी, बल्कि आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक रूप से भी भारत और सशक्त हो सकेगा। विश्व का नेतृत्व करने के लिए यह जरूरी है।

कार्यक्रम के दूसरे वक्ता वरिष्ठ पत्रकार एवं आर्गनाइजर के पूर्व सम्पादक डॉ. शेषाद्रि चारी ने कहा कि हमें रणनीतिक सुरक्षा का विषय सिर्फ देश के प्रशासकों एवं सेना पर नहीं छोड़ना चाहिए, बल्कि इसे जनमानस के बीच में लेकर जाना चाहिए और इसके लिए नेशनल सिक्योरिटी डॉक्युमेंट बनाने की आवश्यकता है। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर देश की आजादी तक अनेक अवसर ऐसे आए जब हम सुरक्षा रणनीति पर चिंतन करते हुए भारत के प्रभुत्व को बढ़ा सकते थे, परंतु हमने इन अवसरों का लाभ नहीं उठाया। उन्होंने स्वामी विवेकानंद, बालगंगाधर तिलक आदि महापुरूषों के राष्ट्रीय सुरक्षा के चिंतन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि विगत 100 वर्षों के इतिहास में रणनीतिक चिंतन का पूर्ण अभाव रहा है। इसका परिणाम यह है कि आज आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा चुनौतियाँ हमारे सामने सिर उठाए खड़ी हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थायी सदस्यता का एक बहुत ही सुनहरा अवसर भारत के पास आजादी के ठीक बाद आया था, जिसे हमने अपनी नादानी से गंवा दिया, आज हम उसी स्थायी सदस्यता के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर समर्थन जुटा रहे हैं।

अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कुठियाला ने कहा कि भारत की सुरक्षा रणनीतिक की शुरूआत भारत के सांस्कृतिक प्रभुत्व को पुनः स्थापित करने के साथ हो सकती है और इसके लिए हमें अखण्ड भारत की परिकल्पना की ओर जाना होगा। इसके लिए जनजागरण आवश्यक है। साथ ही हमें वृहद भारत के निर्माण के लिए संचार रणनीति बनाने के लिए सोचना होगा। भारत को प्रकृति ने ऐसा वरदान दिया है कि हमें विश्व का मार्गदर्शन करना चाहिए, परंतु एक हजार वर्षों की गुलामी ने हमें यह भुला दिया है कि हम विश्व का नेतृत्व कर सकते हैं। आज इस चेतना को फिर जगाने की आवश्यकता है। इसके लिए हमें संवाद का स्वराज स्थापित करना होगा।

यह वर्ष पत्रकारिता विश्वविद्यालय का रजत जयंती वर्ष है। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के रजत जयंती ‘लोगो’ का अनावरण अतिथियों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का प्रारम्भ दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम का विषय प्रवर्तन विश्वविद्यालय के डीन अकादमिक डॉ. सच्चिदानंद जोशी द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन जनसंचार विभाग के अध्यक्ष श्री संजय द्विवेदी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा ने किया। कार्यक्रम में नगर के गणमान्य नागरिक, मीडियाकर्मी, विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं अधिकारी उपस्थित थे।

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार