Thursday, April 25, 2024
spot_img
Homeहिन्दी जगतहिन्दी बनाम अंग्रेजी

हिन्दी बनाम अंग्रेजी

कुछ मित्रों ने मुझे फिर से सुझाव भेजे कि आप हिन्दी सेंटर चलाते हैं तो सिर्फ हिन्दी में क्यों नहीं लिखते ? आप हिन्दी के आलवा अंग्रेजी और अन्य भाषा में भी क्यों लिखते हो ? इस बात पर मैं अपने विचार प्रकट करना चाहता हूँ।  

मेरे द्वारा संचालित हिन्दी सेंटर का मकसद कोई आंदोलन की शुरुआतकरना नहीं है और न ही लोगों को जबर्दस्ती समझाना है कि आप अगरहिन्दी में बोलेंगे तभी राष्ट्रवादी कहलायेंगे। इसका मकसद बहुत ही सरलहै। इसका मकसद हिन्दी और भारतीय भाषा और संस्कृति पर शोध कोबढ़ावा देना है और हिन्दी को विदेशी और अहिंदी भाषी लोगों तक पहुंचानाहै और अगर इसके लिए अङ्ग्रेज़ी (जिसे हम चाहे माने या न माने) औरअन्य भाषाओं का प्रयोग जरूरी है। याद रहे कोई अमेरीकन या कोईफ्रांसीसी आपसे हिन्दी में बात तभी करेगा जब आप उससे उसकी भाषा मेंबात करेंगे। सिर्फ हिन्दी में बात करके न हम हिन्दी की सीमा को छोटाकर रहे हैं बल्कि पूरी दुनिया में अपने आप को कुएं का मेढक घोषित कररहे हैं और इससे दूसरे भाषा के साथ संवाद नहीं होता और हिन्दी सिर्फहिन्दी भाषियों के बीच सीमित रह जाता है, और ऐसा करना कोई गौरवकी बात नहीं।

मुझे इस बात का भी एहसास है कि हिन्दी के लिए हिन्दी माध्यम सेलड़ाई कने वालों की संख्या कुछ ज्यादा है, लेकिन हिन्दी के लिए अङ्ग्रेज़ी या अन्य भाषा के माध्यम से उसे बढ़ाने वालों की संख्या न केबराबर है। तभी तो आज गिने चुने अङ्ग्रेज़ी बोलने वाले पूरे भारत पर अभी भी राज कर रहे हैं और हमारा हिन्दी भाषी और अन्य 1600 सेज्यादा भाषा बोलने वाला भारतवर्ष मूक देखता रहा है। 
अगर आप हिन्दी के लिए सचमुच में निष्ठावान हैं तो उन सरकारी महकमे को समझाएँ जो आज भी अंग्रेजीयत के शिकार हैं और जो नसिर्फ जनता के पैसे से जीते हैं बल्कि अङ्ग्रेज़ी में पूरा का पूरा कानून बना डालते हैं। इतना ही नहीं आजादी के 68 साल के बाद भी उसीकानून को अङ्ग्रेज़ी में लागू भी करते हैं और जमीन से जुड़े उन हर इंसान को हेय दृष्टि से देखते हैं जो अपनी भाषा और मिट्टी से जुड़ा है।

मुझे बहुत ही पीड़ा महसूस होती है जब कोई हिन्दी को आगे बढ़ाने की बात करे (चाहे जैसे भी हो) तो उसे कोई न कोई कारण सेहतोत्साहित कर दिया जाता है खास के उन हिन्दी प्रेमियों के द्वारा जो काम कम करते हैं और आलोचना ज्यादा। मैं अङ्ग्रेज़ी में लिखूँ तोफर्क पड़ता है और पूरा भारतीय प्रशासन जब अङ्ग्रेज़ी में नियम और कानून बना डाले और उसे करोड़ों जनता पर थोप दे और उन्ही के पैसेसे, तब कोई कुछ नहीं बोलता। माफ कीजिएगा ऐसे हिन्दी प्रेमियों के साथ मेरा मेल नहीं खाता।

हर कोई का अपना अपना नजरिया है। अगर आप अपनी बात सिर्फ हिन्दी में करना चाहते हैं तो जरूर करें वह आपका मूल अधिकार है। मुझे भी अपनी बात रखने का उतना ही अधिकार है जितना आपको मुझे मेरे मौलिक अधिकार से क्यों वंचित रखना चाहते हो ?

 साभार- http://hindicenter.com/ से 

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार