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लोकनायकःप्रो.अच्युत सामंत

जीवन जीना एक बात है लेकिन विशिष्ट जीवन जीना एक खास बात है। आदमी जन्म से नहीं अपितु कर्म से महान होता है। कर्म का पहला कदम परिवार होता है,उसकी अपनी जन्मभूमि होती है जहां वह अपने माता-पिता के सानिध्य और संस्कार में शिक्षित होकर परिपक्व बनता है और अपनी जन्मभूमि की सेवा में अपने आपको लगा देता है। सत्यनिष्ठा,समर्पण और कर्तव्य भावना के सुयोग से अपने व्यक्तित्व को व्यक्ति निखरता है।

सच कहा जाय तो वे लोग ही लोकनायक की पंक्ति में आसीन होते हैं जिनके पास इसप्रकार के विलक्षण गुण होते हैं।जिनके पारदर्शी व्यक्तित्व में एक आध्यात्मनिष्ठता होती है।निःस्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता के सभी गुण होते हैं। जिनके पास सामाजिक समरसता होती है। वे मन,वचन और कर्म से सांस्कृतिक उन्नायक होते हैं। जिनका विचार अध्यात्म दर्शन होता है, वे ही युवापीढी के रोलमॉडल होते हैं। वे ही सच्चे कर्मयोगी होते हैं। वे ही मानवता के सृजनकर्ता होते हैं।उनका सौम्य और सदा मुस्कराता चेहरा चुंबक की तरह सभी का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। जिनका सादगीभरा पहनावा होता है। वे अपने सत्कर्म से संतों के भी संत होते हैं। वे धीर-वीर और गंभीर होते हैं। वे सदा समय के पाबंद होते हैं। वे उदार विचारवाले मधुर और मित्तभाषी होते हैं।

वे अपने व्यक्तिगत तथा सामाजिक दायित्व के प्रति सतत सजग तथा जागरुक होते हैं। वे एक निष्काम समाजसेवी होते हैं। वे जनसेवा,समाजसेवा और लोकसेवा के क्षेत्र में जो कीर्तिमान स्थापित कर देते हैं, वह स्वर्णिम अक्षरों में अमर हो जाता है।

ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित कीट-कीस दो डीम्ड विश्वविद्यालयों के प्राणप्रतिष्ठाता तथा ओडिशा के कंधमाल संसदीय क्षेत्र के माननीय सांसद हैं प्रो. अच्युत सामंत जी जिनका ऐसा विलक्षण व्यक्तित्व हैं जिन्हें लोकनायक से आमजनता विभूषित करती है। 59वर्षीय प्रो.अच्युत सामंत ने समाज सेवा के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में,आदिवासी समुदाय के असहाय बच्चों को उत्कृष्ट तालीम निःशुल्क उपलब्ध कराने के क्षेत्र में निर्विवाद रुप से आज के सच्चे लोकनायक हैं।

उन्होंने ओडिशा की कला,भाषा,साहित्य,खेल,तकनीकी शिक्षा, विज्ञान,फिल्म,मनोरंजन,संस्कृति,चिकित्सा,समाज कल्याण तथा लोककल्याण के क्षेत्र में जिस प्रकार की उल्लेखनीय उपलब्धियां हांसिल की हैं उनके बदौलत वे आज के सच्चे लोकनायक हैं।प्रो. अच्युत सामंत की सरलता, सादगी, सहजता, सेवाभावना, समानता, सहयोग, सहिष्णुता, सकारात्मक सोच,समन्वय की भावना आदि को देखकर और परखकर मैं उनका कायल बन चुका हूं। सच्चे मानवतावादी प्रो. सामंत का मैं आजीवन प्रबल समर्थक हूं। कहते हैं कि जहां पर अहंकार है,वहां अंधकार होता है। प्रो. अच्युत सामंत के निःस्वार्थ सेवा के सभी कार्यों में अहंकार तो बिलकुल ही नहीं है। वे तो सादगी और विनम्रता के आलोकपुरुष हैं,दिव्यपुरुष हैं,ओडिशा के अमृतपुत्र हैं,ओडिशा की धरा के देवदूत हैं। आदिवासी जाति के जननायक हैं।

प्रो. सामंत के सरल व्यक्तित्व की सबसे खास बात यह है कि वे एक सहृदय तथा संवेदनशील व्यक्ति हैं जो अपने आपको हमेशा मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा से दूर रखते हैं। उनके कमाल के बुद्धिकौशल को मैं प्रणाम करता हूं। उनकी सतत लोकसाधना को मैं वरण करता हूं। उनकी विचारशक्ति की ताकत अप्रतिम है। उनकी रचनात्मकता तथा सादगीपूर्ण जीवन की मैं उन्मुक्त कण्ठ से तारीफ करता हूं। वे विश्व की भावी पाढी के जीवित प्रेरणास्त्रोत हैं। दुनिया में जितने भी महान हुए हैं वे सभी जन्म से महान नहीं थे, वे अपने सतत पुरुषार्थ,निःस्वार्थ सेवा भाव,परोपकार की भावना और निरंतर उत्कृष्ट कार्यों की ओर संलग्नता से महान बने हैं। प्रो अच्युत सामंत भी आज के लोकनायक की श्रेणी में आदरसहित प्रतिष्ठित हैं। वे एक आम आदमी की तरह रहते हैं। सीधा-सादा उनका जीवन है। वे चौबीसों घण्टे एक आम आदमी के सुख-दुख में सहभागी बने रहते हैं। वे अत्यंत सरल,स्वच्छ,उज्ज्वल,निर्मल छविवाले एक कर्मठ समाजसेवी हैं,लोकनायक हैं जो अपने सरल व्यक्तित्व के द्वारा तथा अपने कर्तव्यबोध से जन-जन के चहेता बन चुके हैं। वे समाज के प्रत्येक जरुरतमंद व्यक्ति के प्रति बेइंतहा मोहब्बत करते हैं और उसको बिना मांगे ही अपनापन देते हैं।मेरी समझ से एक स्वस्थ समाज की संरचना इस युग की प्राथमिकता होनी चाहिए।जिसप्रकार एक बीज के वृक्ष बनने की यात्रा लंबी और कठिन होती है ठीक उसी प्रकार प्रो सामंत के व्यक्तित्व की यात्रा भी बडी कठिन रही है फिर भी प्रो.अच्युत सामंत एक ऐसे व्यवहार कुशल,मिलनसार और सहृदय व्यक्ति हैं जो एक स्वस्थ समाज की संरचना की डगर पर अकेले ही चल पडे हैं। वे आस्थाशील हैं।

एक सच्चे लोकनायक के रुप में निःस्वार्थ सेवाभाव से समर्पित जीवन जीते हैं और सबसे बडी बात यह कि वे हरप्रकार से जिम्मेदार भी हैं। सेवा कठिनतम कार्य है। सेवा,शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में कार्य करते हुए अपने सामाजिक दायित्व को व्यापकता प्रदान की है। जरुरतमंदों को रक्षक बने हैं। बेसहारों को स्वावलंबन का स्वाभिमान दिया है। अनाथ बच्चों को संरक्षण तथा महिला विकास में सदा लीन समाज को नई सोच दी। महात्वाकांक्षा उनको कभी छू नहीं सकी। आज लोकनायकः प्रो.अच्युत सामंत से रुप में दुनिया भी उनको सलाम करती है।

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