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चुनावों में ब्लैक आउट पीरियड की प्रासंगिकता

लोकतांत्रिक मूल्यों से संपन्न, लोकतांत्रिक अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षा से युक्त वैश्विक का स्तर के राष्ट्र- राज्य, जिनकी शासकीय व्यवस्था में लोकतंत्र का संप्रत्यय सर्वोपरि हैं । इन राजनीतिक व्यवस्थाओं व संवैधानिक व्यवस्थाओं में सत्ता परिवर्तन जनादेश के माध्यम से होता है। किसी भी राजनीतिक व्यवस्था में जनादेश व्यवस्था के लिए अनिवार्य वह आवश्यक दशाएं हैं ;क्योंकि जनादेश शासक और शासित के परस्पर विश्वास एवं तारतम्यता का प्रतीक है। लोकतंत्र में स्वच्छ, पारदर्शी एवं कार्य कुशल शासकीय व्यवस्था के क्रियान्वयन के लिए निश्चित समय अंतराल पर चुनाव होना लोकतांत्रिक मूल्य एवं लोकतांत्रिक आदर्श के लिए आवश्यक दशाएं होती हैं।

आदर्श लोकतांत्रिक मूल्यों के पर्याय लोकतांत्रिक देश (जिन देशों में मतदान प्रतिशत या व्यवस्था में नागरिकों की सहभागिता स्तर 95% से ऊपर होता है उन देशों को लोकतांत्रिक आदर्श का प्रतीक माना जाता है)।

प्रत्याशियों को अपने पक्ष में जनादेश व विजय प्राप्त करने के लिए प्रचार आवश्यक होता है, जिनसे जनता जनार्दन प्रत्याशियों के निर्वाचन में अपना वोट (संवैधानिक अधिकार या संविधान प्रदत्त मूल्य) । भारत के निर्वाचन आयोग ने हाल ही में संपन्न त्रिपुरा विधानसभा के चुनाव में भाजपा, कांग्रेस , सीपीएम एवं अन्य राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को नोटिस जारी किया था; क्योंकि प्रतिनिधि सोशल मीडिया पर चुनाव के दिन तक प्रचार कर रहे थे ।चुनाव आयोग के अनुसार राजनीतिक दल ने जो ट्वीट किए थे ,वे जनप्रतिनिधि कानून 1951की धारा 126 के कुछ भागों का उल्लंघन करता है। विधि का यह भाग मतदान के 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार पर रोक लगाता है ;इसका उद्देश्य मतदाताओं को बिना पूर्वाग्रह के अपने मत का प्रयोग करने के लिए स्वतंत्र मूल्य प्रदान करता है ।

लोकतांत्रिक देशों , स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव वाले देशों में मतदान के 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार पर रोक है; इसे ही निर्वाचक व्यवस्था में “ब्लैक आउट पीरियड” कहा जाता है।

(लेखक सहायक आचार्य व राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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