Saturday, April 20, 2024
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बुलेट की छोटी बहन टेलगो दिल्ली मुंबई की दूरी 12 घंटे में तय करेगी

मेक इन इंडिया अभियान और भारत में बुलेट ट्रेन चलाने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक कदम आगे बढ़ा दिया है। अब जल्द ही देश में बुलेट ट्रेन के तर्ज वाली टेलगो ट्रेन चलेगी। इसे देश की मिनी बुलेट ट्रेन बताया जा रहा है। स्पेन की टेलगो कंपनी मेक इन इंडिया प्रोग्राम के जरिए हाईस्पीड ट्रेन का ट्रायल करने वाली है। वहीं भारतीय रेलवे बोर्ड ने ट्रायल के लिए कंपनी को हाईटेक ट्रेनों की रेक को इंपोर्ट करने की परमिशन भी दे दी है। आपको बता दें कि हाईटेक कोच वाली इस ट्रेन का पहला ट्रायल दिल्ली-मुंबई के रूट पर 160 से 220 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार पर होगा, जिससे दिल्ली-मुंबई के बीच का सफर 17 घंटे की जगह 12 घंटे का रह जाएगा। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बुलेट ट्रेन चलाने के लिए जनता से वादा किया है।

ये हाईस्पीड ट्रेन अमेरिका, रुस समेत कई देशों में चलती है। इस ट्रेन का ट्रायल जिस रुट पर करवाया जाएगा वो दिल्ली-मुंबई का रूट है और इस पर राजधानी एक्सप्रेस चलती है। खास बात यह है कि इन ट्रेनों का ट्रायल मौजूदा ट्रैक पर ही किया जाएगा।

क्या है टेलगो की खासियत:
टेलगो कंपनी के ट्रेन की खासियत यह है कि इसके पहिए मौजूदा पटरियों पर ही तेज रफ्तार से चल सकते हैं। यह ट्रेन आमतौर पर चलने वाली ट्रेनों से हल्की होती हैं और यही वजह है कि इसकी तेज रफ्तार को मौजूदा पटरियां बर्दाश्त कर लेंगी। टेलगो ट्रेन की रफ्तार अभी दिल्ली-मुंबई रूट पर सबसे तेज चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस से डेढ़ गुना से होगी। अभी राजधानी एक्सप्रेस मौजूदा पटरियों पर अधिकतम 130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती है और दिल्ली-मुंबई के बीच का 1400 किलोमीटर का सफर 80 से 85 किलोमीटर के एवरेज स्पीड से 17 घंटे में पूरा करती है, जबकि टेलगो ट्रेन इसी दूरी 160 से 220 किलोमीटर की रफ्तार पर 12 घंटे में पूरा करेगी।

टेलगो ट्रेन अमेरिका, रूस समेत कई देशों में बेहद लोकप्रिय है। इस ट्रेन में रफ्तार के साथ वो सबकुछ है, जिसकी जरुरत ट्रेन में सफर करने यात्री महसूस करते हैं। हाईस्पीड ट्रेन के कोच में जहां बैठने के लिए एयरोप्लेन की तरह सीटें हैं, वहीं सोने के लिए बेहद आरामदायक स्लीपर कोच भी हैं। ट्रेन में लो फ्लोर कोच लगे हुए हैं, जिससे यात्रियों को प्लेटफार्म से ट्रेन में चढ़ने-उतरने में काफी आसानी होती है और हादसे की आशंका भी न के बराबर रहती है।

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