Thursday, April 25, 2024
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कैदियों के नाम तिनका तिनका इंडिया अवार्ड घोषित: राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की पूर्व संध्या पर

इसकी संस्थापक, संयोजक और जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा
इंडिया टुडे के संपादक अंशुमान तिवारी ने किए रिलीज
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और चंडीगढ़ के नाम ईनाम

करीब दो साल से जयपुर की सेंट्रल जेल में बंद 35 साल के राधा मोहन कुमावत को इस साल का पहला तिनका तिनका इंडिया अवार्ड दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार उनकी कविता – चाहत – के लिए दिया गया है। उनकी कविता-चाहत-बंदियों की मानसिक स्थिति को प्रस्तुत करते हुए एक सकारात्मक संदेश भी देती है।( कभी खुद से नफरत होती हैं, तो कभी जमाने से होती है, घोंट के गला मेरे अरमानों का,ये दुनिया चैन से सोती हैं पर टकराते हैं जो तूफानों से, हार न उनको मिलती है।) राधा मोहन उन बंदियों में से एक हैं, जिन्होने इस साल शुरू किये गये तिनका-तिनका इंडिया अवार्ड के लिये अपनी कविताएं भेजी थीं।

दूसरा पुरस्कार गुजरात के शहर सूरत की जेल में बंदी वीरेन्द्र विट्ठल भाई वैष्णव को दिया गया है। वह पेशे से पत्रकार रहा है और कार्टूनिस्ट भी। किन्हीं वजहों से वह पिछले पांच सालों से गुजरात के शहर सूरत की जेल में बंदी हैं। अवार्ड के लिए उसने अपना जो नामांकन भेजा, उस कविता का शीर्षक था- this is my right (यह मेरा अधिकार है)। यह कविता उन तमाम बंदियों के दर्द का जीवंत दस्तावेज हैं जो बेहद ढीली और पेचीदा न्यायिक प्रक्रिया में जकड़े हुऐ हैं। इस कविता के साथ विट्ठल भाई ने अपने हाथों से बनाई हुई एक तस्वीर भी भेजी है जिसमें एक तरफ जेल दिखाई दे रही हैं, दूसरी तरफ मानवाधिकार के नाम का एक खंभा है और बीच में एक युवक है जिसके एक हाथ में बेड़ियां हैं और दूसरा हाथ सिर के ऊपर है जिसमें कानूनों का गट्ठर हैं। पास में एक बोर्ड हैं जिस पर लिखा है- आजादी।

तीसरा पुरस्कार अहमदाबाद जेल में बंद प्रणव गोविंदभाई पटेल को उनकी कविता – द डेज़ आर डार्क – को दिया गया गया है। यह कविता अंधेरे में भी उजाले और दैविक न्याय की बात कहती है।

विशेष पुरस्कार जयपुर जेल में बंदी हनुमान सहाय को उनकी कविता नया बंदी और जिंदगी के लिए दिया गया है। यह कविताएं जेल के सफर और नए बंदी के लिए खुद को सुधार पाने की कोशिश पर लिखी गई है।

सांत्वना पुरस्कार गुजरात के शहर जूनागढ़ की जेल में बंदी प्रवीणभाई मगनभाई मकवाना को उनकी कविता – पावर ऑफ थॉट्स के लिए दिया गया है।

पेंटिंग और कला के लिए इस साल का पहला तिनका तिनका इंडिया अवार्ड उत्तर प्रदेश के शहर आगरा की जेल में बंदी बंटी उर्फ फिरोज उर्फ सिंकदर को दिया गया है। उसकी महारत साबुन से मूर्तियां बनाने में है। वह आजीवन कारावास पर है। दूसरा पुरस्कार उत्तर प्रदेश के शहर बाराबंकी में कैद 28 साल के विचाराधीन बंदी अरविंद कुमार की उस कलाकृति को दिया गया है जो उसने कोयले से बनाया है। यह जेल से रिहाई की उम्मीद पर आधारित है और इसे फैज़ अहमद फैज़ के एक शेर से जोड़ा गया है। तीसरा पुरस्कार जयपुर की जेल में बंदी देव किशन को जंतर मंतर के चित्र पर दिया गया है।

पेंटिंग मे विशेष पुरस्कार बाराबंकी की जेल में आजीवन कारावास पर बंदी 24 साल के दिलीप कुमार को कोयले से बनाए मरुस्थल के चित्र को दिया गया है। एक और विशेष पुरस्कार गुजरात की राजधानी अहमदाबाद की जेल में बंदी घनश्यामसिंह वी को मदर टेरेसा पर बनाई एक तस्वीर पर दिया गया है।

अहमदाबाद सेंट्रल जेल में बंदी नरेंद्र सिंह को महात्मा गांधी पर बनाए उनके चित्र पर सांत्वना पुरस्कार दिया गया है।

गद्य लेखन में विशेष पुरस्कार चंडीगढ़ की मॉडल जेल में बंदी मनजीत सिंह चौहान को उनकी किताब – दी स्टोरी ऑफ अवेकनिंग ऑफ माई सोल – के लिए दी गई है। पटियाला के निवासी चौहान चंडीगढ़ में आजीवन कारावास पर हैं और उन्होंने जेल में आने के बाद बीए और एमए की पढ़ाई पूरी की और जेल में आने के बाद अपनी जिंदगी में आए बदलावों पर इस किताब को लिखा।

तिनका तिनका इंडिया अवार्ड- राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस (10 दिसंबर) के मौके पर दिए गए हैं। इसमें कविता, गद्य और चित्रकारी को शामिल करते हुए तीन वर्ग रखे गए हैं। इस पुरस्कार की घोषणा करते हुए तिनका तिनका इंडिया अवार्ड की संस्थापक, संयोजक और जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा ने बताया कि इन पुरस्कारों का मकसद कड़ी सलाखों के बीच इन बंदियों के लिए उम्मीद के चिराग को स्थापित करना है ताकि सज़ा के बीच रौशनी भी रहे, सृजन भी और मानवीयता भी। वर्तिका नन्दा देश की जानी-मानी पत्रकार और जेल सुधार विशेषज्ञ हैं। तिनका तिनका – भारतीय जेलों पर शुरू की गई उनकी एक श्रृंखला का नाम है। इसके तहत वे देश की अलग-अलग जेलों को मीडिया से जोड़ कर नए प्रयोग कर रही हैं। इससे पहले विमला मेहरा के साथ संपादित उनकी किताब – तिनका तिनका तिहाड़ को लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्डस में शामिल किया जा चुका है।

इन पुरस्कारों को इंडिया टुडे के संपादक अंशुमान तिवारी ने रिलीज किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वर्तिका नन्दा ने बेहद निकृष्ट और निषिद्ध माने जाने वाली संस्था में जाकर एक बहद नए काम को कर अचंभे में डाला है। जेल के अंदर जाकर जेल की रचनात्मकता को खोज कर उन्होंने बहुत प्रभावी और प्रशंसनीय काम किया है। इन पुरस्कारों का ऐलान देश के जाने-माने संस्थान सिविल सर्विसिज ऑफिसर्स इंस्टीट्यूट में एक सादे समारोह में किया गया।

तिनका तिनका इंडिया अवार्ड अब से हर साल मानवाधिकार दिवस के मौके पर दिए जाएंगे। इसमें देश की किसी भी जेल में बंदी कोई भी भारतीय कैदी इसमें हिस्सा ले सकता है। नामांकन में मिली कविताओं और पेंटिंग को जल्द ही जेलों पर प्रकाशित होने वाली एक किताब का हिस्सा बनाया जाएगा।

संपर्क

सुशांत झा

09971141440

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