Thursday, April 18, 2024
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लोकमान्य टिलक से महामना मालवीय तक महाराष्ट्र से उत्तरप्रदेश का रिश्ता मजबूत होगा 24 जनवरी को


“एक भारत श्रेष्ठ भारत”अभियान का अनोखा समारोह

योगी ,राम नाईक,फडणवीस पहली बार एक साथ होंगे मुंबई के मंच पर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान की मजबूती के लिए “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” अभियान का श्रीगणेश किया था। इसी अभियान के अंतर्गत यूपी व महाराष्ट्र सरकार के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान का एक अनुबंध हुआ।राज्य चुनने में उत्तरप्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।लखनऊ के राजभवन में मराठी की शीतल धारा बहाने का काम राम नाईक ने किया।रामभाऊ ने 1मई 2017 को उत्तरप्रदेश के राजभवन में महाराष्ट्र दिवस का आयोजन किया।योगी आदित्यनाथ यूपी के नए नए मुख्यमंत्री बने थे।अपनी पहली केबिनेट बैठक भी नही लिए थे कि श्री नाईक ने उन्हें राजभवन में आयोजित महाराष्ट्र दिवस के कार्यक्रम में आने का न्यौता दे दिया।श्री योगी समारोह में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे ,समारोह की औपचारिक शुरुवात होने से पहले रामभाऊ ने योगी को समझाया कि हर प्रदेश अपनी स्थापना का दिवस बड़ी धूमधाम से मनाता है,लेकिन उत्तरप्रदेश मे उसकी स्थापना का दिन नही मनाया जाता।संजीदा योगी ने कारण पूछा तो रामभाऊ ने बताया कि मुंबई की समाजिक संस्था “अभियान” द्वारा पिछ्ले लगभग 3 दशकों से यूपी दिवस मनाया जाता है पर यूपी में नहीं मनाया जाता।श्री नाईक ने अभियान संस्था के प्रमुख व वर्तमान में ंंमहाराष्ट्र के राज्यमंत्री अमरजीत मिश्रा द्वारा उप्लब्ध कराये गये कागजात दिखाये जिसके मुताबिक़ 24जनवरी 1950को यूपी का नाम बदला था।तब यूपी का नाम था यूनाईटेड प्रोविन्स आगरा अंड अवध (यूपी) ।नाम लंबा था सो तत्कालिक प्रधान-मंत्री पण्डित नेहरु ने नाम बदलने को कहा।पर उन्हें यूपी शब्द से प्रेम था।उन्होने सुझाया कि यूपी का नाम बदले पर संक्षिप्त मे उसका नाम यूपी ही हो।प्रदेश भौगोलिक दृष्टि से उत्तर मे था इसलिये उत्तरप्रदेश पड़ा नाम जिसका संक्षिप्त भी यूपी ही होता है।24जनवरी 1950 को नाम बदलने का उल्लेख गजट में है।

जानकारी प्राप्त होते ही योगी ने महाराष्ट्र दिवस के समारोह में उत्तरप्रदेश दिवस (24 जनवरी) मनाने की घोषणा कर दी।रामभाऊ की प्रेरणा से और महाराष्ट्र के अमरजीत मिश्रा की मेहनत से यूपी में यूपी दिवस की शुरुवात हुई।इस काम के लिए यूपी सरकार ने अमरजीत मिश्रा का सम्मान भी किया।

रामभाऊ ने यूपी व महाराष्ट्र के बीच सांस्कृतिक सेतु बनने का काम किया।जब प्रधानमन्त्री ने एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान की शुरुवात की तो राज्यपाल राम नाईक ने सांस्कृतिक आदान प्रदान के लिए यूपी के संग महाराष्ट्र को चुना।यूपी में पेशवाओं के जमाने से वाराणसी में बड़ी संख्या में रहनेवाले मराठी समाज के लिए बीते 10जनवरी को “गीत रामायण” का आयोजन किया।जिसमें योगी – नाईक के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी शामिल हुए।फिर आगरा,मेरठ व लखनऊ में यही समारोह हुआ।यूपी का मराठी समाज झूम उठा।ंंमहाराष्ट व यूपी सरकार की सहायता से यह सब हुआ।

अब महाराष्ट्र में रहनेवाले उत्तरप्रदेशीय नागरिकों के लिए 24 जनवरी को यूपी दिवस का आयोजन होगा। दोनों प्रदेशों की सरकारों की सहायता से समाजिक संस्था अभियान यह आयोजन कर रहा है।अभियान के संस्थापक व महाराष्ट्र सरकार में वर्तमान में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त फिल्मसिटी के उपाध्यक्ष अमरजीत मिश्रा की अगुवाई में यूपी दिवस के आयोजन में राज्यपाल रामभाऊ नाईक व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस भी शामिल होंगे।अभियान के यूपी दिवस की खासियत यह होती है कि अवधी -भोजपुरी गीतों के कार्यकम की शुरुआत “जय जय ंंमहाराष्ट्र माझा”गीत से होती है।मालिनी अवस्थी,सुरेश शुक्ल,इन्द्रजीत यादव,राधा मौर्य समेत कई लोकगायक गीत प्रस्तुत करेंगे।फिल्म अभिनेता रवि किशन व दिनेशलाल यादव निरहुआ का सम्मान होगा।अभिनेत्री काजल यादव व प्रीती शुक्ला पारम्परिक गीतों पर नृत्य प्रस्तुत करेंगी।अभिनेत्री अंजना सिंह समेत अनेक कलाकार समारोह मे उपस्थित रहेंगे।संचालन हास्य व्यंग्य के कवि महेश दुबे करेंगे।

मिश्र बताते हैं कि पौराणिक काल भगवान राम से और ऐतिहासिक काल छत्रपति शिवाजी महाराज के काल से यूपी व महाराष्ट्र का रिश्ता है।टिलक व मालवीय दोनों का आधार हिन्दुत्व था।इसलिये हम उत्तरप्रदेश दिवस पर महामना मदनमोहन मालवीय व लोकमान्य बाल गंगाधर टिलक की स्मृतियों को याद करेंगे।

बीजेपी नेता श्री मिश्र ने कहा कि टिलक जी व मालवीय जी का पूरा राजनीतिक जीवन इस तथ्य का प्रमाण है कि राष्ट्रीय हित उनके लिए सर्वोपरि था। हिन्दू धर्म की सनातन परम्परा के प्रति श्रद्धा, शिक्षा के प्रति समर्पण, व्यक्तिगत स्वतंत्रता में विश्वास, लोकतंत्र में आस्था, साम्प्रदायिक सौहार्द्र व समरसता की दिशा में प्रयास इनके सशक्त राष्ट्र प्रेम की ओर ही संकेत करते हैं। टिलक जी और मालवीय जी की राष्ट्रवाद की धारणा अत्यन्त व्यापक है जिसे प्रचलित राष्ट्रवाद के सिद्धान्तों के माध्यम से कदापि नहीं समझा जा सकता है। हिन्दू धर्म के प्रति इन दोनों की गहन आस्था के कारण बहुधा इन्हें हिन्दू राष्ट्रवादियों की श्रेणी में रखा जाता है। इसलिये हम महामना का साफा और टिलक जी की पुणेरी पगड़ी को ही प्रतीक मान कर सांस्कृतिक आदान प्रदान का यह कार्यक्रम करेंगे।

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