Thursday, March 28, 2024
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हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए एकजुट आंदोलन की आवश्यकता : प्रो आशा शुक्ला

भारत के सभी हिंदी सेवियों, हिंदी सेवी संस्थाओं विश्वविद्यालयों को एकजुट होकर हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए आंदोलन करने की आवश्यकता है। यह बात डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रो आशा शुक्ला ने रविवार 4 अप्रैल को मॉरीशस स्थित विश्व हिंदी सचिवालय, महू, इंदौर स्थिति डॉ. बी.आर. अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, न्यू मीडिया सृजन संसार ग्लोबल फाउंडेशन एवं सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका के संयुक्त तत्वावधान में “हिंदी की प्रयोजनमूलकता : विविध आयाम” विषय पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में कही। प्रो. आशा शुक्ला ने विभिन्न वेब सीरीज के माध्यम से हिंदी भाषा और संस्कृत को होने वाले नुकसान के प्रति सजग होने और ऐसी वेब सीरीज का विरोध करने को कहा।

विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस के महासचिव प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने सान्निध्य वक्तव्य में प्रयोजनमूलक हिंदी के शिक्षकों की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र में प्रोफेसर एवं दूरस्थ शिक्षा के निदेशक प्रो हरीश अरोड़ा ने संगोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में हिंदी की प्रयोजनमूलकता के विविध आयामों – राजभाषा, मीडिया, अनुवाद, विज्ञापन, पत्रकारिता, साहित्य सृजन आदि के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ देने के साथ इन सभी क्षेत्रों में उपलब्ध रोजगार के अवसरों पर भी बात की। प्रो हरीश अरोड़ा ने यह भी बताया कि महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के एक प्रकल्प के रूप में भारतीय अनुवाद संघ की स्थापना की गई है जिसके माध्यम से ज्ञान-विज्ञान के विभिन्न विषयों पर हिंदी में लेखन और अनुवाद का कार्य वृहद स्तर पर किया जाना है। नई शिक्षा नीति के अंतर्गत मातृभाषाओं के माध्यम से शिक्षा देने में भारतीय अनुवाद संघ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है।

वेब संगोष्ठी के विशिष्ट वक्ता असम विश्वविद्यालय, सिलचर के हिंदी अधिकारी डॉ सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय ने प्रयोजनमूलक हिंदी के महातपूर्ण आयाम राजभाषा के कार्यान्वयन पर अपनी बात रखी। डॉ उपाध्याय ने बताया कि किस प्रकार उच्च शिक्षा संस्थानों में राजभाषा कार्यान्वयन किया जा रहा है।
वेब संगोष्ठी का संचालन सृजन ऑस्ट्रेलिया अंतरराष्ट्रीय ई-पत्रिका के प्रधान संपादक डॉ शैलेश शुक्ला ने किया। इस वेब संगोष्ठी में गूगल मीट और फ़ेसबुक लाइव के माध्यम से 500 से अधिक हिंदी प्रेमी शामिल हुए।

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