Saturday, April 20, 2024
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आखिर इतना धन मोदी सरकार के पास कहां से आया …

1. सेना के OROP पर हजारों करोड़ हर साल;
2. सेना को BP जैकेट पर हजारों करोड़ ;
3. सेना को बेहतरीन वर्दी, बूट, खुराक, हथियारों पर लाखों करोड़ हर साल;
4. उच्च क्षमता के युद्धक विमान;
5. उच्चतम क्षमता के रक्षा, सुरक्षा और सर्विलास उपकरण;
6. पुलिस और अर्धसैनिक बलों को बेहतरीन साधनों पर हजारों करोड़;
7. नागरिकों के खातों में हजारों करोड़;
8. महामारी से जूझने पर हजारों करोड़;
9. सभी मित्र देशों की मदद पर हजारों करोड़;
10. सड़कों के जाल पर हजारों करोड़;
11. अन्य जन उपकारी योजनाओं पर हजारों करोड़;
12. युवाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए बिना गारंटी के हजारों करोड़ के तुरंत बैंक लोन!
13. और भी लाखों करोड़ के कल्याणकारी कार्यक्रमों का आरंभ.
कहां से आया इतना धन?

– आखिर यह चमत्कार हुआ कैसे?

1. लुटियंस और ख़ान मार्किट गैंग के मुफ्तखोरों के पोषण पर जो करोड़ों रुपए खर्च होते थे उन्हें मोदी जी ने आते ही बंद किया और उनके मिथ्या प्रचार और गालियां झेलते रहे पर किसी के खिलाफ भी कार्रवाई करने में समय और धन व्यर्थ नहीं गंवाया।
2. नोट बंदी से वह अरबों रुपए सरकारी खजाने का हिस्सा बने जो ब्लैक मनी के रुप में समांतर और घातक अर्थ शक्ति बने थे।
3. कश्मीरी अलगाववादियों को शांत रहने की रिश्वत पर करोड़ों रुपए!
4. चीन को शांत रहने और कांग्रेस को चंदा देने के लिए हर साल करोड़ों की रिश्वत।
5. पाकिस्तानी सेना और गुप्तचरों को शांत रखने और हिंदू आतंकवाद का ड्रामा, रिहर्सल और 26/11 जैसे करतब दिखाने के लिए हजारों करोड़ ताकि हिन्दू संगठनों को दुनिया भर में आतांकी साबित किया जा सके।
6. ऐसे मीडिया समूहों को करोड़ों रुपए जो हिंदुओं में जाति वाद की असहिष्णुता की लौ जलाए रखें।
7. असंख्य अपराधी संगठनों पर करोड़ों रुपए खर्च,जो कांग्रेस के हितों की रक्षा करें।
8. अपने गारंटीशुदा वोट बैंक वर्ग को अंधेरे और रूढ़ियों के मकड़जाल के नशे की आपूर्ति पर करोड़ों रुपए।
9. भ्रष्ट नेता अपने परिवार, रिश्तेदारों और अपने वैभव प्रर्दशन पर जो करोड़ों रुपए खर्च करते थे।
10. हर मंत्रालय, विभाग से राजीव गांधी फाउंडेशन में दिया जाने वाले करोड़ों रुपए पर रोक!

– यह तो वह कपट कूट कर्म है जो पब्लिक डोमेन में प्रकट हो चुके हैं, जो गोपनीय कुकृत्य हैं उन पर जो अरबों रुपए खर्च होते थे वह भी अब देशहित में काम आ रहे हैं।

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