Thursday, April 25, 2024
spot_img
Homeमीडिया की दुनिया सेअमरीका के राष्ट्रपति पद के उममीदवार मुंबई में खोज रहे हैं अपने...

अमरीका के राष्ट्रपति पद के उममीदवार मुंबई में खोज रहे हैं अपने रिश्तेदार को

अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन आज भी मुंबई के अपने दूर के रिश्तेदार ‘बाइडेन’ का जिक्र करते नहीं थकते। अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति अकसर उन्हें ‘बाइडेन फ्रॉम मुंबई’ कहकर संबोधित करते हैं और उनसे ना मिल पाने का मलाल उन्हें आज भी है।

डेलावेयर से 1972 में सीनेटर चुने जाने पर बाइडेन को मुंबई से उन्हीं के उपनाम वाले एक व्यक्ति ने बधाई देने के लिए पत्र भेजा था। सीनेटर बनने के लिए उन्हें ‘बाइडेन फ्रॉम मुंबई’ ने शुभकामनाएं दी थीं और बताया था कि उनका एक-दूसरे से रिश्ता है। बाइडेन उस समय 29 साल के थे और उस शख्स से मिलना चाहते थे लेकिन परिवार और राजनीतिक प्रतिबद्धताओं के चलते ऐसा हो ना सका। आज पांच दशक बाद भी वह अपनी इस इच्छा को पूरी करना चाहते हैं और जब भी किसी भारतीय-अमेरिकी या भारतीय नेता से मुलाकात करते हैं तो ‘बाइडेन फ्रॉम मुंबई’ का जिक्र जरूर करते हैं।

अमेरिका के उप-राष्ट्रपति बनने के बाद अपनी पहली भारत यात्रा पर 24 जुलाई 2013 को मुंबई में ‘बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज’ में लोगों को संबोधित करते हुए भी उन्होंने ‘बाइडेन फ्रॉम मुंबई’ की कहानी लोगों को सुनाई थी। बाइडेन ने लोगों से कहा था, ”भारत वापस आना और यहां मुंबई में होना, सम्मान की बात है। 1972 में जब मैं 29 साल का था और अमेरिकी सीनेट चुना गया था तब मुझे एक पत्र मिला था, जिसका जवाब ना देने का मुझे आज भी अफसोस है। शायद दर्शक में बैठा कोई वंशावली विशेषज्ञ मेरी मदद कर सके। मुझे मुंबई से बाइडेन नाम के एक सज्जन पुरुष का पत्र मिला था, जिसमें उसने कहा था कि हम दोनों का एक-दसरे से कोई रिश्ता है।”

बाइडेन ने कहा, ”शायद हमारे पूर्वर्जों का कोई संबंध हो या 1700 में ‘ईस्ट इंडिया ट्रेडिंग कंपनी में काम करने के लिए कोई मुंबई आया हो।” इसके कुछ साल बाद वॉशिंगटन डीसी में भी एक भाषण के दौरान बाइडेन ने कहा था कि उनके पूर्वज एक थे, जिन्होंने ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ के लिए काम किया और जो तब भारत गए थे।

वहीं 21 सितंबर, 2015 को ‘यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल’ को संबोधित करते हुए बाइडेन ने कहा था कि ‘बाइडेन फ्रॉम मुंबई और मेरे पूर्वज शायद एक थे, 1848 में जो ‘ईस्ट इंडिया टी कंपनी’ के लिए काम करते थे। उन्होंने शायद किसी भारतीय महिला से शादी कर ली और भारत में ही रह गए। मुंबई में 2013 में बाइडेन ने लोगों से कहा था अगर यह सच है तो मैं भारत में भी चुनाव लड़ सकता हूं। उनके इस भाषण के दौरान वहां मौजूद दर्शकों के बीच हंसी की एक लहर दौड़ गई थी।

साभार- https://www.livehindustan.com/ से

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार