Friday, March 29, 2024
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बदलाव के लिए एक पहल

भारत के चार विश्वविद्यालयों और अमेरिका के रॉलिन्स कॉलेज के क्रमर ग्रेजुएट स्कूल ऑफ़ बिज़नेस ने मिलकर विद्यार्थियों के पूर्वी भारत के लघु कारोबारियों के साथ काम करने की पहल की है जिससे कि उनकी आर्थिक आजीविका को बेहतर बनाया जा सके।

कारोबार की दुनिया में आरामदायक और परिचित चीज़ों से बंधे रहना हमेशा बढ़िया रणनीति नहीं होती। मौजूदा तौरतरीकों में बदलाव और नए कौशल के इस्तेमाल से महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है और बेहतर प्रदर्शन के साथ ही लाभ भी बढ़ सकता है। फ़्लोरिडा स्थित रॉलिन्स कॉलेज के क्रमर ग्रेजुएट स्कूल ऑफ़ बिज़नेस और कोलकाता यूनिवर्सिटी के गठजोड़ में बना प्रोग्राम इसी तरह के परिवर्तन को प्रोत्साहन दैने पर ध्यान देता है। इसका उद्देश्य है विद्यार्थियों और उपेक्षित इलाकों में रहने वाले छोटे उद्यमियों को कारोबार को बेहतर एवं सफल बनाने का कौशल प्रदान करना और लोगों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना।

पूर्वी भारत के दूसरे श्रेणी के शहरों को लक्ष्य बनाकर कोलकाता यूनिवर्सिटी ने दार्जिलिंग स्थित यूनिवर्सिर्टी ऑफ नॉर्थ बंगाल और असम की तेज़पुर यूनिवर्सिटी और गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के साथ इसके लिए भागीदारी की है। उद्देश्य है कि विद्यार्थियों की ऐसी टीमें बनाई जाएं जो साथ-साथ वहां जाकर और दूर से काम करें और इन दोनों राज्यों के छोटे कारोबारियों को अपने काम को बढ़ाने के बारे में परामर्श दें।

यह प्रोग्राम पार्टनरशिप 2020 का हिस्सा है, जिसे अमेरिकी विदेश विभाग और अमेरिकी दूतावास, नई दिल्ली फंड मुहैया करा रहे हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ़ नेब्रास्का ओमाहा के साथ गठबंधन में जिस पर अमल हो रहा है। इसमें वाशिंगटन, डी.सी. स्थित रणनीतिक एवं अंतरराष्ट्रीय अध्ययन केंद्र परामर्शदाता की भूमिका निभा रहा है। पार्टनरशिप 2020 का उद्देश्य अमेरिका और भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच गठबंधन को बढ़ावा देकर दोनों देशों के बीच भागीदारी को मज़बूत करना है।

क्रमर ग्रेजुएट स्कूल ऑफ़ बिज़नेस को नवंबर 2019 में चेन ऑफ़ चेंज प्रोग्राम के लिए अनुदान हासिल हुआ। इस प्रोग्राम की अगुवाई संयुक्त तौर पर क्रमर स्कूल ऑफ़ बिज़नेस की मैरी कॉनवे और कोलकाता यूनिवर्सिटी की शर्मिष्ठा बनर्जी कर रही हैं। यह प्रोग्राम ग्लोबल लिंक्स प्रोग्राम के पहले के चरणों और उनकी सफलता को आधार बनाकर आगे बढ़ रहा है, जिसकी शुरुआत क्रमर स्कूल ऑफ़ बिज़नेस और अमेरिकी विदेश विभाग के ऑफ़िस ऑफ ग्लोबल विमेन्स इश्यूज ने कॉरपोरेट स्पॉंसरशिप के साथ वर्ष 2011 में की थी और यह दूसरी संस्कृतियों के बारे में जानने का प्रशिक्षण कार्यक्रम था।

इस प्रोग्राम के तहत उभरते देशों में उच्च उपलब्धियां हासिल करने वाली महिला स्कॉलर को स्पॉंसर किया जाता है जिससे कि वह अपने सामाजिक उद्यमिता ज्ञान और कौशल को बढ़ा सके। ग्लोबल लिंक्स ने भारत में इसके तहत वर्ष 2015 से 2019 के बीच तीन चरण संचालित किए थे और 4000 विद्यार्थियों और 70 उद्यमियों को सामाजिक उद्यमिता प्रशिक्षण और कारोबारी परामर्श दिया था। अमेरिकी कांसुलेट जनरल कोलकाता की मदद से क्रमर स्कूल की टीम भारत के कई संस्थानों के साथ मज़बूत भागीदारी स्थापित कर पाई। इनमें विश्वविद्यालय और गैरसरकारी संगठन शामिल हैं। इन भागीदारियों ने टीम को वह नेटवर्क और अनुभव प्रदान किया जिसकी इस प्रभाव के आधार पर नए प्रोग्राम को विकसित करने के जिए ज़रूरत थी।

क्रमर स्कूल कुछ नया करने वाले वैश्विक और ज़िम्मेदार लीडरों के लिए व्यावहारिक सीख पर ध्यान देता है और इस सांस्कृतिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए विद्यार्थियों को आदर्श माना जाता है। विद्यार्थियों की टीमें रणनीतिक रूप से तैयार की जाती हैं और इनमें एमबीए स्तर के विद्यार्थी होते हैं जो एडवांस्ड लीडरशिप प्रदान कर सकते हैं और कारोबारी दृष्टि भी, जबकि अंडरग्रेजुएट विद्यार्थी ज़मीनी और सांस्कृतिक ज्ञान के साथ इसमें भागीदारी करते हैं। प्रोग्राम के आयोजक कहते हैं, “क्रमर और भारतीय टीम सदस्यों के बीच नियमित तौर पर संवाद से कारोबारी योजना गतिविधियों की लगातार निगरानी संभव हो पाती है और भारत जैसे उभरते बाज़ारों में संसाधनों तक सीमित पहुंच वाले छोटे कारोबारियों की चुनौतियों का आकलन हो पाता है।”

चेन ऑफ़ चेंज प्रोग्राम को सभी भागीदारों को साथ लाकर सफलतापूर्वक शुरू कर दिया गया है। प्रोग्राम के निदेशकों और समन्वयकों ने 11 टीमें बनाई हैं और हर टीम को एक उद्यमी से जोड़ दिया है। विद्यार्थियों के कार्य के नतीज़े इंटर्नशिप की तरह कक्षा में पढ़ाई गई चीज़ों के वास्तविक हालातों में अमल से जुड़े होते हैं, इसलिए सफलता को आकलन सर्वेक्षण और विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों से जाना जा सकता है।

प्रोग्राम की प्रगति पर निगाह रखने के बारे में समन्वयक बताते हैं, ” प्रोग्राम के तहत इसके सर्वाधिक मूलभूत स्तर पर उन लोगों की कुल संख्या जानी जाती है जिन तक प्रोग्राम की पूरी अवधि में पहुंच बनाई गई। चेन ऑफ़ चेंज को 1500 लोगों तक बेहतर कारोबारी तौरतरीकों और सामाजिक उद्यमिता की अवधारणाओं से प्रभावित होने की उम्मीद है। इनमें प्रोग्राम में भागीदारी करने वाले भारतीय, सामुदायिक और कारोबारी लीडर और रॉलिन्स कॉलेज कम्युनिटी शामिल है।”

प्रोग्राम को इस तरह से मूल्यवान बनाया गया है कि इसकी अवधि पूर्ण होने के बाद भी सामाजिक प्रभाव बना रहे। पूरे प्रोग्राम के दौरान शिक्षकों और विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाता है जिससे कि उनके अपने समुदायों में इसका प्रभव पड़े और वे अपने द्वारा सीखी चीज़ों को अपने शैक्षिक और प्रोफ़ेशनल नेटवर्क तक भी पहुंचा पाएं।

चेन ऑफ़ चेंज प्रोग्राम विश्वविद्यालयों और अन्य स्थानीय संगठनों के बीच भागीदारी स्थापित करने के मकसद को लेकर भी चल रहा है। उन्हें इसके लिए सफल और सिद्ध हो चुका मॉडल प्रदान किया जा रहा है जिसे वे सकारात्मक बदलाव के लिए अपनी गतिविधियों में समन्वित कर सकते हैं। ये नए अनुभव विद्यार्थी भागीदारों को भी अपने चुने गए कार्यक्षेत्रों में रचनात्मक समाधानों की खोज के लिए प्रेरित करते हैं।

रंजीता बिस्वास पत्रकार हैं और कोलकाता में रहती हैं। वह कथा साहित्य के अनुवाद के अलावा लघु कहानियां भी लिखती हैं।

साभार- https://span.state.gov/hi से

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