Thursday, April 25, 2024
spot_img
Homeश्रद्धांजलिनईदुनिया भूल गई अरुण जैन को, हमारी स्मृतियों में सदैव रहेंगे

नईदुनिया भूल गई अरुण जैन को, हमारी स्मृतियों में सदैव रहेंगे

विश्वास ही नहीं होता कि आदरणीय अरुण भाई साहब नहीं रहे। कभी सुना नहीं कि वे बीमार भी हुए हों। फिटफाट रहते थे हमेशा। दुपहिया पर दिन भर घूमते ही रहते। पत्रकारिता का ककहरा डॉ अरुण जैन साहब से ही सीखने को मिला। 78 का साल। मेरे बालसखा प्रवीण कुमार देवलेकर के अग्रज श्री प्रशांत देवलेकर जी, तब ‘नईदुनिया’ उज्जैन के गांधी भवन स्थित दफ्तर की व्यवस्थाएं देखते थे। *नईदुनिया* तब इकलौता बड़ा और प्रतिष्ठित अखबार था और अरुण जैन भाई साहब ब्यूरो प्रमुख। तब तक नईदुनिया में मेरे पत्र छपने लगे थे और लेखन का कीड़ा कुलबुलाने लगा था उम्र हालांकि 17 बरस ही थी और बीकॉम अंतिम वर्ष में पढ़ भी रहा था।

ये भी पढ़िये
हँसमुख अरुण जी का यूँ अचानक चले जाना…

एक दिन प्रशांत भाई साहब ने बोला मुकेश जी पत्रकारिता करोगे,नईदुनिया में। अंधा क्या चाहे दो आंख। फौरन हां कर दी।प्रशांत जी मुझे अरुण भाई साहब से मिलाने ले गए, ये नईदुनिया में लिखते हैं अपने यहां प्रेसनोट वगैरह देख लेंगे। तब ग्राउंड रिपोर्टिंग होती ही नहीं थी नईदुनिया में। जो खबरें प्रेसनोट में आ जातीं वही खबर बनती थी। दिन भर के प्रेसनोट के ढेर पर अरुण भाई साहब डीसी,एससी, सार के नोट लगा देते बस वैसे ही खबरें बन जातीं। कोई दो एक महीने प्रेसनोट बनाए। उस समय भाई साहब के साथ कोई सहयोगी रह नहीं गया था पहले श्री ओम मेहता थे जो बाद में वरिष्ठ पत्रकार होकर भोपाल शिफ्ट हो गए थे तो वही जगह खाली थी। चूंकि मैं बेरोजगार ही था तो भाई साहब से कुछ निवेदन किया, वे बोले मुकेश, पत्रकारिता तो समाजसेवा है और अभी तो बच्चे हो बहुत मौके मिलेंगे। तब दो महीने बाद नमस्ते कर ली। भाई साहब का स्नेह तब से अब तक बना रहा। क्योंकि मेरा लेखन तब से अनवरत ही रहा और ज्यादातर नईदुनिया में ही। इस बीच 92 से सक्रिय मैदानी पत्रकारिता में भी काम किया।

अरुण भाई साहब बाद में विक्रम विवि की सतत अध्ययनशाला में *मास्टर ऑफ जर्नलिज्म, मास कम्युनिकेशन* का डिग्री कोर्स प्रो. रामराजेश मिश्र जी के सान्निध्य में लेकर आए तब पहले बैच में ही हम भर्ती हो गए। तब भी अरुण भाई साहब से दो साल तक नियमित भेंट हो जाती थी। फिर जब नईदुनिया से मुक्त होने के बाद उन्होंने *खबर मीडिया की* पत्रिका और पत्र निकाले तब भी नियमित संपर्क बना रहा। डॉ शिव शर्मा जी की टेपा टीम में भी हम पार्श्व कलाकार के रूप में साथ रहे। 2002 में एक बार दिल्ली यात्रा श्रद्धेय बाबूजी श्री अवन्तिलाल जी जैन सा., मालवी गीतकार डॉ शिव चौरसिया जी और खाकसार का सम्मान दूरदर्शन आकाशवाणी के अपर महानिदेशक प. राजशेखर व्यास Rajshekhar vyas जी द्वारा तत्कालीन केन्द्रीय मंत्री डॉ सत्यनारायण जटिया जी के आवास पर रखा गया था, उस यात्रा में भाई साहब साथ थे। फिर एक बार मुम्बई जाना हुआ साथ में, प्रिय भाई Shashank Dubey जी से उन्हें काम था। उम्र में काफी बड़े होने के बावजूद उनसे सम्मानपूर्वक आत्मीयता बराबर मिलती रही। हफ्ते में दो एक बार तो शास्त्रीनगर के आसपास उनसे हैलो हाय हो ही जाती उनकी चिरपरिचित मुस्कान के साथ।

उनके आकस्मिक अवसान की खबर मिली तब बड़नगर से आगे भाटपचलाना में था एकदम झटका तो लगा फिर मित्रों से पूछताछ की तो पता चला कि उन्होंने ललित ज्वेल जी को एम्बुलेन्स के लिए फोन किया था। तेजनकर हॉस्पिटल में ऑक्सिजन नहीं थी तो उन्हें एडमिट भी नहीं किया जा सका और एम्बुलेंस में ही उनका देहावसान हो गया। एक असली वरिष्ठ पत्रकार जिनके जलवों भरे दिन मैंने देखे हैं और उनकी खामोशी के भी। बाद में वरिष्ठ पत्रकार मुस्तफा आरिफ जी, प.राजशेखर व्यास जी, भाई चन्द्रकान्त जोशी जी, शशांक दुबे जी के फोन भी आए, इन्होंने भी श्रद्धा से याद किया भाई साहब को। सदा स्मृतियों में रहेंगे अरुण भाई साहब अपनी स्मित मुस्कान के साथ।

दुःख की बात यही रही कि जिस *नईदुनिया* में भाई साहब की दो पीढ़ियों स्वतंत्रता सेनानी बाबूजी अवन्तिलाल जी जैन सा और बाद में बेटे डॉ अरुण जैन ने अपनी सुदीर्घ सेवाएं दीं, उस नईदुनिया में अरुण भाई साहब को एक पंक्ति की श्रद्धांजलि के लिए जगह नहीं निकली।

विनम्र श्रद्धांजलि भाई साहब।
Attachments area

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार