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दृष्टि बदली, दृश्य बदला
अंतर को इस बात से भी समझा जा सकता है कि इन छोटे-छोटे प्रयासों ने सम्भावनाओं का फलक बड़ा कर दिया है। पहले ओलंपिक में पदक की आस में पूरे देश की नजरें महज हॉकी और मेजर
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विष- वैमनस्य-विश्वासघात यानि वामपंथ
'सत्ता बंदूक की नली से निकलती है।' 'अपने विरोधियों को मारो और दफनाते वक्त नमक डाल दो ताकि लाशें जल्दी से जल्दी गलें।' इस तरह की बातें करने वाले लोकतंत्र की छाती तक चढ़ आए हैं!
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धर्म परिवर्तन का कुचक्र कैसे चल रहा है
वैसे, इन घटनाओं से खुद मुस्लिम जगत की बड़ी कमजोरी उजागर होती है। अब यह किसी से छिपा नहीं है कि मुस्लिम जगत की अगुवाई मुस्लिम सिविल सोसाइटी के हाथ में नहीं है,
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पाकिस्तान के पैरोकार कौन?
दरअसल, पाकिस्तान को आसरा बाकी दुनिया से नहीं, भारत में बचे वंशवादी राजनीति के अंखुओं से है। भारत में पाकिस्तानी टुकड़ों पर पलते, लार टपकाते उन कथित आंदोलनकारी गिरोहों से है, जो ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ का नारा बुलंद करते हैं।