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क्यों डूबी अमेरिकन बैंक ..!
शुक्रवार १० मार्च को अमेरिका की सोलहवी सबसे बडी बैंक, ‘सिलिकॉन व्हॅली बैंक’ (SVB) डूब गई. डीफंक्ट हो गई. एक ही दिन मे, बैंक पर रन आकर, इतनी बडी बैंक डूबने का शायद यह अनूठा उदाहरण हैं. अमेरिकन अर्थव्यवस्था (financial system इस संदर्भ मे) कितनी खोखली हैं, इसका यह उदाहरण हैं. इसका परिणाम कल से, […]
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हिंदू समाज को जातियों में किसने बाँटा?
आज के हिन्दू समाज में अनेक विषमताएं हैं. जाती – पाँति, ऊँच – नीच, वर्ण आदि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर अनेकों बार समाज बँटा हुआ सा लगता है, क्या इतिहास में भी यही या ऐसी ही विषमताएं हिन्दू समाज में थी..? इसका स्पष्ट उत्तर है – नहीं. उत्तर वैदिक काल में, हिन्दू समाज […]
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कई अबूझ रहस्यों और चमत्कारों के प्रतीक हैं भगवान शिव और हमारे प्राचीन मंदिर
सृष्टि में असीम आनंद का वातावरण हैं. वसंत की उत्फुल्लता चहुं ओर दृष्टिगोचर हो रही हैं. ऋतुओं के संधिकाल का यह महापर्व अपने पूरे यौवन पर हैं. वातावरण में बाबा भोलेनाथ के जयकारों की गूंज हैं. ‘कंकर – कंकर में शंकर’ की उक्ति पर दृढ़ श्रध्दा रखनेवाला हिन्दू समाज, उत्सव की मुद्रा में हैं. कल […]
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स्वामी विवेकानन्द जी की राष्ट्रीय प्रेरणा
सन १८६३ के प्रारंभ में, १२ जनवरी को स्वामी विवेकानंद का जन्म हुआ हैं. उस समय देश की परिस्थिति कैसी थी? १८५७ के क्रन्तियुध्द की ज्वालाएं बुझ रही थी. यह युध्द छापामार शैली में लगभग १८५९ तक चला. अर्थात स्वामी विवेकानंद के जन्म के लगभग ४ वर्ष पहले तक. इस स्वतंत्रता संग्राम में भारत के […]
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*वामियों की वैचारिक विफलता*
अमित मालवीय यह भाजपा आई टी सेल के प्रधान है।इसके अतिरिक्त उनके पास पश्चिम बंगाल भाजपा के सह प्रभारी की भी जिम्मेदारी है।
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क्यों धधक रहा है श्रीलंका
दुर्भाग्य से इन बातों से कोई भी सीख न लेते हुए दिल्ली और पंजाब जैसे राज्य, श्रीलंका की दिशा मे बढ रहे हैं. *श्रीलंका ने आर्थिक स्थिती की चिंता न करते हुए लोक लुभावन कदम उठाएं. कर कम किये. सब्सिडी बढाई.
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गांधी नाम का तूफान..!
वास्तव में देखा जाए, तो गांधी सच्चे और कट्टर सनातनी थे. वे हिन्दू धर्म का पालन करने वाले व्यक्ति थे. इस बारे में वे आग्रही भी थे. परन्तु भारत के आधुनिक इतिहास में गांधी
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पूर्वोत्तर की समृध्द साहित्य परंपरा
मणिपुरी भाषा का साहित्य भी समृध्द हैं. १९७३ से आज तक ३९ मणिपुरी साहित्यकारों को ‘साहित्य अकादमी’ के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया हैं.
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अंग्रेजों के आने के पहले कितनी उन्नत थी हमारी चिकित्सा व्यवस्था
संक्षेप में, प्लास्टिक सर्जरी का भारत में ढाई से तीन हजार वर्ष पूर्व से अस्तित्व था. इसके पक्के सबूत भी मिले हैं. शरीर विज्ञान का ज्ञान और शरीर के उपचार यह हमारे भारत की सदियों से
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नेताजी जयंती, अर्थात ‘पराक्रम दिवस’ विशेषःअंग्रेजों का भारत में प्रवेश
क्वीन एलिजाबेथ (प्रथम) ने इस अर्जी पर निर्णय लेने में लगभग पंधरा महीने लगाए. और सन १६०० के अंतिम दिवस, अर्थात ३१ दिसंबर को रानी ने कंपनी को मान्यता दी. साथ ही १५ वर्ष के लिये