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असमंजस के दौर में भारतीय हथकरघा उद्योग
जब नए विकल्प तलाशे जा रहे हों तो क्यों ना हम एक नए नजरिये से देखें बात सिर्फ रेवेन्यू बढ़ाने की नहीँ है। बात है खादी वस्त्र और अन्य भारतीय उत्पादों के अंतर्राष्ट्रीय बाजार में साख बनाने की और जब
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चर्चा-ए-चरखा
इस बार चर्चा ए खास है ।चर्चा का विषय है चरखा । चरखा के साथ दो विभिन्न काल व विभिन्न परिवेश किंतु एक ही प्रान्त में जन्मे दो नायकों के बीच तुलना का । पटकथा जिसने भी लिखी हो पर किरदार दमदार है।