आप यहाँ है :

आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
 

  • ‘बुंदेली दोहे’ सांस्कृतिक शब्द छवियाँ मन मोहे

    ‘बुंदेली दोहे’ सांस्कृतिक शब्द छवियाँ मन मोहे

    विश्ववाणी हिंदी का कालजयी छंद दोहा अपनी मिसाल आप है। संक्षिप्तता, सारगर्भितता, लाक्षणिकता, मर्मबेधकता, कालजयिता, उपयोगिता तथा लोकप्रियता के सप्त सोपानी निकष पर दोहा जन सामान्य से लेकर विद्वज्जनों तक अपनी प्रासंगिकता निरंतर बनाए रख सका है।

  • हिंदी के समक्ष समस्याएं और समाधान

    सकल सृष्टि में भाषा का विकास दैनंदिन जीवन में और दैनन्दिन जीवन से होता है। भाषा के विकास में आम जन की भूमिका सर्वाधिक होती है। शासन और प्रशासन की भूमिका अत्यल्प और अपने हित तक सीमित होती है।

  • ‘नहीं कुछ भी असम्भव’ कथ्य है नवगीत के लिये

    'नहीं कुछ भी असंभव' विश्व वाणी हिंदी के श्रेष्ठ-ज्येष्ठ नवगीतकार-समीक्षक निर्मल शुक्ल का पंचम नवगीत संग्रह है।

    • By: आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
    •  ─ 
    • In: खबरें

Get in Touch

Back to Top