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मायावती तो इतिहास बन कर रह गई
मायावती दलित राजनीति का एक काला अध्याय साबित हो रही हैं। वापस पुराने गौरवशाली दिनों की तरफ जाने की उनमें न अब कोई इच्छाशक्ति बची है और न ही कोई कोशिश दिखती है। राष्ट्रपति नहीं बनूंगी कहकर भी उन्होंने यही बताया है कि ऐसा कोई प्रस्ताव भी उनके पास नहीं आया है।