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संजय श्रीवास्तव
 

  • पुस्तक मेला: ऐसा स्टाल जो एक खांटी, ईमानदार पत्रकार और संपादक का है…

    पुस्तक मेला: ऐसा स्टाल जो एक खांटी, ईमानदार पत्रकार और संपादक का है…

    ये 90 के दशक के आखिर की बात है। एक कविता संग्रह प्रकाशित होकर आया, "वेरा उन सपनों की कथा कहो"। आते ही हाथों हाथ ले लिया गया। आमतौर पर कविता संग्रह पाठकों में कम लोकप्रिय होते हैं। लेकिन ये अपनी मैच्योर, अनूठी और अलग धरातल पर लिखी गईं प्रेम कविताओं के कारण खूब पसंद किया गया। अब भी किया जाता है।

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