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महात्मा बुद्ध और वैदिक कर्मफल व्यवस्था
पाप कर्म का कर्ता लोक परलोक दोनों में शोक करता है।अपना अशुभ कर्म देखकर तपड़पता है, शोक करता है।।पुण्यकर्म का कर्ता इस लोक में मुदित होकर परलोक में जाकर भी मुदित होता है।
पाप कर्म का कर्ता लोक परलोक दोनों में शोक करता है।अपना अशुभ कर्म देखकर तपड़पता है, शोक करता है।।पुण्यकर्म का कर्ता इस लोक में मुदित होकर परलोक में जाकर भी मुदित होता है।