Saturday, April 20, 2024
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लवजिहाद और निमिषा से फातिमा बनी, अब अफगानिस्तान की जेल में बंद है

ये कहानी निमिषा की है जिसे पहले लवजिहाद का शिकार बनाकर फातिमा बना दिया गया और फिर उसे आईएस कर आतंकी बना दिया गया

कहानी केरल से शुरू होती है. वामपंथियों का ये गढ़ केरल वही प्रदेश है जहां गाय की चौराहे पर ह्त्या करके उसका मांस खाया जाता है. लव जिहाद की हालिया शिकार निमिषा यहीं की रहने वाली है. निमिषा को प्रेमपाश में कैद करने के बाद उसको इस्लाम क़ुबूल करने को मजबूर किया गया. आयु कम थी और जीवन का अनुभव भी कम था,हिन्दू बच्ची को कहां पहुंचाना है और उसका क्या हश्र करना है, वह योजना इन जिहादियों के मन में शुरू से तैयार थी.

दरअसल कहानी पांच साल पहले शुरू हुई निमिषा की मां बिंदू की मानें तो उन्होंने लाखों रूपये खर्च कर निमीषा की डॉक्टरी की पढ़ाई का प्रबंध किया था. इस बीच बेक्सन नाम से एक लड़का उसके जीवन में आया उसने निमिषा को अपने प्रेमजाल में फंसा लिया. बाद में पता चला उसका नाम मुहम्मद ईसा है। वह ईसाई से मुसलमान बन गया है। यहां जाहिर है कि पूरी साजिश के तहत निमिषा को पहले प्रेमजाल में फंसाया गया इसके बाद बड़े तरीके से तरीके से ब्रेनवॉश किया गया।

निमिषा को मुहब्बत की राह में गुमराह करके पहले तो घर से भगाया गया फिर इस्लाम कबूल कराया गया. पूरी योजना के तहत निमिषा को अफगानिस्तान पहुंचा दिया गया. अफ़ग़ानिस्तान में निमिषा को हिन्दू धर्म छोड़ कर मुसलमान बनने पर मजबूर किया गया. उसका नया इस्लामिक नाम रखा गया और निमिषा उस दिन के बाद से समाप्त हो गई क्योंकि उसकी जगह फातिमा ने जन्म ले लिया था. नया मजहब और नया नाम फातिमा उसे कितना पसंद आया ये तो जब वह सामने आएगी तभी पता चलेगा लेकिन इतना तोे तय है कि उसकी जान खतरे में है और अब जीने का एक ही रास्ता है – जो कहा जाए वो करती रहे.

अफगानिस्तान में अमरीकी सैनिकों की आईएसआईएस आतंकियों पर हुई कार्रवाई के दौरान सैकड़ों आतंकी 72 हूरों के पास पहुंचे और जो गैर-मुस्लिम औरतें इन हवस के भूखे भेड़ियों के चंगुल में थीं गिरफ्तार कर ली गईं क्योंकि उन पर भी आईएसआईएस के आतंकी होने का टैग लग चुका था. इसके बाद जेल की ज़िंदगी का सफर शुरू हुआ निमिषा का. सामान्य अपराधी सामान्य जेलों में सामान्य कैदियों की ज़िंदगी जीते हैं, लेकिन आतंकियों की जेल और उनकी सुरक्षा बड़ी कड़ी होती है जहां उनकी ज़िंदगी भी रोज़ एक दर्द की दास्तां होती है अगर वे आतंकी न हों और आतंकी मान कर जेलबंद किये गए हों. निमिषा की ज़िंदगी के दर्द का शायद यही पन्ना बाकी रह गया था. निमिषा फिलहाल अफगानिस्तान की एक जेल में बंद है. वहीं त्रिवेंद्रम में अब अपनी बेटी की घर वापसी के इंतज़ार में सूनी आंखों से बाहर की तरफ देखती उसकी मां दिन रात दुआ कर रही है कि बिटिया किसी तरह सही सलामत घर आ जाए।

साभार-साप्ताहिक पाञ्चजन्य से

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