Friday, April 19, 2024
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शायरी और ग़ज़ल की शाम ‘ग़ज़ल का आलोक’ के साथ जाते साल को सलाम…

नई दिल्ली। साल 2015 हमसे अलविदा लेने को तैयार है और तमाम दिल्लीवासी नये साल के जश्न में मगन हैं। जहां एक ओर पार्टियों और डी.जे. नाइट्स का शुमार छाया है वहीं हिन्दुस्तानी कला-संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु लगातार शायरी व ग़ज़ल से सुसज्जित कार्यक्रम आयोजित करती आ रही गैर सरकारी संस्था साक्षी ने अपने अंदाज में एक सुरमयी संध्या ‘ग़ज़ल का आलोक’ के माध्यम से जाते साल को विदा किया। इण्डिया हैबीटेट सेंटर के अमलतास सभागार में आयोजित इस संध्या को हिन्दी साहित्य क्षेत्र में अपनी पहचान कायम करने वाले कलाकार व मीडियाकर्मी आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़लों और जाने-माने कलाकार शकील अहमद ने उनकी रचनाओं को अपनी आवाज़ व मौसिक़ी से सजाया।
कार्यक्रम की शुरूआत पारम्परिक अंदाज में दीप प्रज्जव्लन के साथ हुई। जिसके बाद शकील अहमद साहब से आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़ल के साथ संगीतमयी शुरूआत करते हुए एक के बाद एक ग़ज़लें प्रस्तुत की और उपस्थित मेहमानों का मंत्र-मुग्ध किया।
उसके बाद आलोक श्रीवास्तव ने मंच संभालते हुए अपने सशक्त कला-कौशल से रूबरू कराया और जमकर वाह-वाही लूटी एवम् अपने अंदाज से लोगों को गुदगुदाने में कामयाब रहे। आलोक द्वारा प्रस्तुत ग़ज़लों व नगमों में ‘ये सोचना गलत है कि तुम पर नज़र नहीं, मसरूफ हम बहुत हैं मगर बेखबर नहीं..’, ‘खूशबू सा जो बिखरा है सब उसका करिश्मा है, मंदिर के तरन्नुम से मस्जिद की अज़ानो तक। टूटे हुए ख्वाबों की एक लम्बी कहानी है, शीशे की हवेली से पत्थर के मकानों तक।’, ‘ऐसी भी अदालत है जो रूह परखती है, महतूत नहीं रहती वो सिर्फ बयानो तक.. मैं प्यार की खूशबू हूं, महकूंगा ज़मानों तक’, ‘हरेक सांस में लेकर तुम्हारा प्यार चले, दिलों को जीतने आये थे खुद को हार चले।’, ‘अगर नवाज़ रहा है तो यूं नवाज़ मुझे कि मेरे बाद मेरा जिक्र बार बार चले।’, ‘ये जिस्म क्या है कोई पहरान उधार का है यहीं सम्भाल के पहना, यहीं उतार चले।’, उदास दिल में तमन्ना है इस मुसाफिर की, कि जो तुम नहीं सफर में तो तुम्हारा प्यार चले।’ आदि प्रमुख थे।
मौके पर कार्यक्रम की आयोजक व साक्षी की अध्यक्ष डाॅ. मृदुला टंडन ने कहा कि, हमारा प्रयास रहा है कि हमेशा अच्छा, स्वस्थ व सशक्त समाज का हिस्सा बनायें और शायरी व ग़ज़लों के माध्यम से एक खूबसूरत संगीत व सादगी से समाज को रूबरू करायें। सशक्त ग़ज़लें व शायरी के अंदाज में पिरोये गये शब्दों के माध्यम से जि़ंदगी का आईना तो दर्शायें ही, साथ ही हम इसकी खूबसूरती को आवाम तक पहुंचाये। मुझे इस बात की बहुत खुशी है कि श्रोताओं व दर्शकों का भरपूर साथ हमें आज भी मिला, जिनमें युवा श्रोताओं की उपस्थिति प्रोत्साहित करती है कि इस कला के प्रेमी हमारे बीच मौजूद हैं बस मौकों, मंच का आभाव है। इस पूरे वर्ष हमने विभिन्न गतिविधियां आयोजित की और सभी का साथ मिला आने वाले वर्ष में हमारा प्रयास करेंगे कि श्रोताओं के समक्ष अच्छे कार्यक्रम ला सकें।
शाम के कलाकार आलोक श्रीवास्तव ने मौके पर अपना जन्मदिन भी मनाया। उन्होंने कहा कि एक कलाकार के लिए इससे बढ़कर अवसर क्या होगा, जब जन्मदिन के अवसर पर उसके पास एक सशक्त मंच हो, शकील अहमद जैसा कलाकार हो और दिल से जुड़ी शायरी के कद्रदान हों। बहुत अच्छा व गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ ‘ग़ज़ल का आलोक’ से जुड़कर। एक यादगार सौगात दी है डाॅ. मृदुला टंडन साहिबा ने।
ग़ज़लकार शकील अहमद ने कहा कि यूं तो मैं विभिन्न मंचों पर कार्यक्रम प्रस्तुत करता रहा हूँ लेकिन साक्षी के मंच से जुड़ना हमेशा से सशक्त अनुभव रहा है। पिछली बार सरताज कलाकार फरहत साहब की रचनाओं को मंच पर प्रस्तुत किया था और आज आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़लों को अपनी आवाज़ दे रहा हूं। जिनकी रचनाओं को महानायक अमिताभ बच्चन ने भी आवाज़ दी है और मुझे भी अवसर मिला है। बहुत अच्छा कार्यक्रम रहा यह। साल का अंत एक सशक्त कार्यक्रम के साथ करना अपने आप में जबरदस्त एहसास है।

अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क सूत्रः शैलेश नेवटिया – 9716549754, भूपेश गुप्ता – 9871962243

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