Friday, April 19, 2024
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एबीपी न्यूज़ में मिलिंद खांडेकर का कद बढ़ा

देश के प्रमुख हिंदी न्यूज चैनल एबीपी न्यूज से आ रही खबर के मुताबिक चैनल के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर को बड़ी जिम्मेदारी देकर मैनेजमेंट ने उनका कद काफी बढ़ा दिया है। एबीपी न्यूज नेटवर्क के सीईओ अशोक वेंकटरमनी ने एक इंटर्नल मेल के जरिए बताया है कि तत्काल प्रभाव से एबीपी न्यूज के एडिटोरियल कंटेंट की पूरी जिम्मेदारी अब मिलिंद खांडेकर को सौंपी गई है, जबकि एबीपी न्यूज नेटवर्क के सभी क्षेत्रीय चैनलों यानी एबीपी आनंदु, एबीपी मांझा और गुजराती चैनल की जिम्मेदारी शाजी ज़मा को दी गई है। साथ ही बताया गया है कि एबीपी न्यूज के डिजिटल एडोटियल की भी कमान मिलिंद खांडेकर के पास रहेगी।

गौरतलब है कि 2016 में ही मिलिंद खांडेकर को टीवी न्यूज इंडस्ट्री के प्रतिष्ठित अवॉर्ड एक्सचेंज4मीडिया न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवॉर्ड के तहत बेस्ट एडिटर कैटेगरी के लिए भी चुना गया थ।

उल्लेखनीय है कि हिंदी, मराठी और अंग्रेजी तीनों ही भाषाओं में बराबर की पकड़ होने के बावजूज भी मिलिंद खांडेकर ने शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता की ओर अपना रुख किया।

मिलिंद ने पत्रकारिता में अपनी शुरुआत 1992 से ‘नवभारत टाइम्स’ के साथ की। नवभारत में उन्होंने सब-एडिटर और रिपोर्टर के रूप में काम किया। 1995 तक वे यहां रहे। तीन साल काम करने के बाद वे ‘आजतक’ के साथ जुड़ गए। आजतक में उन्होंने कुछ समय तक रिपोर्टर की भूमिका निभाई। कई विभिन्न पदों पर काम करते हुए वे यहां एग्जिक्यूटिव प्रड्यूसर बन गए और बाद में उन्होंने वेस्टर्न ब्यूरों ऑपरेशन की भी कमान संभाली। 2004 में मिलिंद ने आजतक को अलविदा कह दिया और‘ तब स्टार न्यूज यानी आज के एबीपी’ न्यूज के साथ जुड़ गए। इस समय वे एमसीसीएस (एबीपी चैनल का संचालन करने वाली कंपनी) में बतौर मैनेजिंग एडिटर की भूमिका निभा रहे हैं।

गौरतलब है कि मिलिंद ने किताब ‘दलित करोड़पति-15 प्रेरणादायक कहानियां’ भी लिखी है। इसमें 15 कहानियां है, जिनमें 15 दलित उद्योगपतियों के संघर्ष को शॉर्ट स्टोरीज की शक्ल में प्रस्तुत किया गया है। ये कहानियां दलित करोड़पतियों की है,जिन्होंने शून्य से शुरू कर कामयाबी के नए आयाम रचे। जिनके पास पेन की निब बदलने के लिए पैसे नहीं थे आज उनकी कंपनी का टर्नओवर करोड़ों में है, लेकिन उन्होंने ये कामयाबी कैसे हासिल की, क्या मुश्किलें आई और उन्होंने इन मुश्किलों पर कैसे फतह हासिल की। इसी का खुलासा करती है ये किताब। इन कहानियों में कामयाबी हासिल करने की दास्तान है जो प्रेरित करती हैं।ये मन को छूती है और हृदय में गहरे तक उतर तक जाती है।

पत्रकारिता जगत में उन्हें दो दशक से भी ज्यादा का अनुभव है। उन्होंने पत्रकारिता की पढ़ाई प्रतिष्ठित टाइम्स सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज से की है। 1991 में हिंदी में बेस्ट ट्रेनी के लिए उन्हें ‘राजेन्द्र माथुर अवॉर्ड’ से भी नवाजा गया था।

समत्व, समदृष्टि तथा सर्वधर्म समभाव के पालक मिलिंद खांडेकर में अध्यात्मप्रवण विचारक, कुशल पत्रकार, संवेदनशील मानव, जनमंगल की भावना से ओतप्रोत जैसे व्यक्तित्व का सम्मिश्रण है। मिलिंद खांडेकर ने कर्मपथ पर निरन्तर गतिशील रहकर ही अपने को अभिनन्दनीय बनाया है।

साभार- samachar4media.com से

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