Friday, March 29, 2024
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मुंबई एअरपोर्ट पर उड़ते रहे रहस्यमयी पैराशूट

शनिवार शाम को मुंबई एयरपोर्ट के एयरस्पेस में 5 अज्ञात चीज़ें दिखने से सनसनी फैल गई। बताया जा रहा है कि ये चीज़ें दरअसल रिमोट रेडियो से कंट्रोल किए जा रहे पैराशूट थे। टाईम्स ऑफ इंडिया के सहयोगी अखबार मुंबई के  'मुंबई मिरर' को तीन अलग-अलग एजेंसियों के माध्यम से  इस बात की जानकारी दी है। मगर अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि उन्हें कौन और किस कमसद से उड़ा रहा था।

सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने एकसाथ कई एजेंसीज़ को इसकी जांच के लिए कहा है। पीएमओ ने इंडियन एयरफोर्स, नेवी, इंटेलिजेंस ब्यूरो, सीआईएसएफ और मुंबई पुलिस से घटना की रिपोर्ट मांगी है। सूत्रों का कहना है कि सभी एजेंसियों के प्रतिनिधि आज मुंबई में मिलकर एक-दूसरे के साथ इन्फर्मेशन शेयर करेंगे।

सबसे पहले जेट एयरवेज के पायलट कैप्टन दिनेश कुमार ने शनिवार शाम 5.55 बजे पैराशूट देखे थे। कुमार और एटीसी ने शुरुआती रिपोर्ट में कहा है कि पैराशूट एक तय फॉरमेशन में करीब 6 मिनट तक हवा के रुख के खिलाफ उड़ रहे थे। इससे पता चलता है कि वे रिमोट कंट्रोल से चलाए जा रहे थे। वे साउथ से नॉर्थ की तरफ जा रहे थे, जबकि उस वक्त हवा साउथ वेस्ट की तरफ बह रही थी।

इंडियन एयरफोर्स के सूत्र ने बताया कि ऑनलाइन मिलने वाले शौकिया पैराशूटों से ये थोड़े बड़े थे, मगर प्रफेशल जंपर्स के पैराशूट्स से छोटे थे। एसीटी के रेकॉर्ड्स से पता चलता है कि टेकऑफ के लिए क्लियरेंस मिलने के बाद पायलट की नजर इन पैराशूट्स पर गई थी। जैसे ही एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के ऑफिशल्स को इसकी जानकारी मिली, एटीसी ने जुहू कॉल करके पूछा। उन्हें भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। फिर कोलाबा में आईएनस कुंजाली से संपर्क किया गया, जो तटीय एयरस्पेस पर नजर रखता है। उन्होंने कहा कि न तो वे कुछ उड़ा रहे हैं और न ही उनके रडार्स में कुछ दिखा है।

इस घटना को गंभीर माना जा रहा है, क्योंकि जेय एयरवेज का प्लेन टेक ऑफ करने वाला था। ये पैराशूट उससे टकरा सकते थे और इंजन में फंसकर बड़े हादसे की वजह बन सकते थे। जॉइंट कमिश्नर लॉ ऐंड ऑर्डर देवेन भारती ने कहा, 'पायलट से हमारी बात हुई है। शुरुआती जांच में यह साफ नहीं हो पाया है कि वे चीज़ें क्या थीं।'

मौसम विभाग ने भी कहा है कि ये चीज़ें मौसम का अनुमान लगाने वाले उपकरण नहीं थे। ऑफिशल्स ने कहा कि वे हर सुबह 5.30 बजे एक बलून छोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि शाम में सिर्फ 150 मीटर पर इसका पाया जाना संभव नहीं। उन्होंने कहा, 'हमारे बलून इस तरह से बने होते हैं कि वे सीधे ऊपर जाते हैं। हमारे रडार तब तक उन्हें ट्रैक करते हैं, जब तक कि वे वायुमंडर में ऊंचाई पर जाकर नष्ट न हो जाएं।'

साभार- मुंबई मिरर से 

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