Saturday, April 20, 2024
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कहानी डोसा किंग के उत्थान और अंत की

उम्र कैद की सजा काट रहे ‘डोसा किंग’ के नाम से मशहूर पी राजगोपाल की चेन्नै के एक अस्पताल में मौत हो गई। वह एक निजी अस्पताल में भर्ती थे जहां गुरुवार सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली। सर्वणा भवन के संस्थापक पी राजगोपाल ने 9 जुलाई को ही कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। इस दौरान वह ऐंबुलेंस से कोर्ट पहुंचे थे। राजगोपाल के ऊपर एक कर्मचारी को अगवा करके उसकी हत्या करने का आरोप था। इसके चलते मद्रास हाई कोर्ट ने उन्हें 10 साल की सजा दी थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी इसे चुनौती भी दी थी लेकिन अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को उम्रकैद में बदल दिया था। उपराष्ट्रपति वैंकया जब मंत्री और भाजपा के उपाध्यक्ष के रूप में अपने घर पर पार्टी रखते थे तो खाना सर्वणा से ही आता था।

आत्मसमर्पण के बाद 13 जुलाई को उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। इसके बाद उन्हें स्टेनली अस्पताल के जेल वॉर्ड में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उन्हें दोबारा हार्ट अटैक आया और परिवार ने प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करने के लिए कोर्ट से अपील की थी। कोर्ट ने राजगोपाल को प्राइवेट अस्पताल में ट्रांसफर करने की अनुमति दे दी थी।

दक्षिण भारतीय खाने की खास डिशेज वाला सर्वणा भवन रेस्तरां भारत से लेकर लेसिस्टर स्क्वायर और सिंगापुर, सिडनी व स्टॉकहॉम तक फैले हैं। कुछ समय तक घाटा उठाने के बाद उसने एक ज्योतिषी की सलाह पर अपने रेस्तरां का नाम बदल कर सर्वणा भवन रख दिया और उनका काम चल निकला। वह दुबई गए और वहां मैकडोनल्ड का काम करने का तरीका समझ कर उसने वहां रहने वाले दक्षिण भारतीय लोगों के लिए पहला सर्वणा भवन खोला और फिर तो उनकी तकदीर ही बदल गई। उनके रेस्तराँ की आमदनी सालाना 3000 अमेरिकी डालर तक पहुँच गई।

भारत में सर्वणा के 33 रेस्तरां है और 20 रेस्तरां तो चेन्नई में ही है। उनके दुनिया के 47 देशों में रेस्तरां है। इनमें मध्यपूर्व से लेकर इंग्लैंड, कनाडा, अमेरिका, आस्ट्रेलिया तक, इनकी रोज की कमाई 1 करोड़ रुपए है, उसके रेस्तरां में 9000 कर्मचारी काम करते हैं ।

राजगोपाल अपने स्टाफ के साथ भी बहुत नम्र व्यवहार करते थे और सबसे कम रैंक वाले कर्मचारी को भी हेल्थ इंश्योरेंस जैसी सुविधाएं देते थे। इसी वजह से कर्मचारी उन्हें ‘अन्नाची’ (बड़ा भाई) कहकर बुलाते थे। उन्होंने अपने रेस्तरां के जरिए बहुत सारे लोगों का भला किया। वह लड़को को नौकरी देता। उन्हें दवा खरीद कर देते। महिला कर्मचारियों की आर्थिक मदद करते। लोगों को पढ़ाया, कर्ज दिए, मंदिर बनवाएं। उसके ज्योतिषी ने उसे अपनी जिंदगी भी मसालेदार बनाने की सलाह देते हुए उससे तीसरी शादी करने को कहा ताकि वह जीवन में अपार सफलता हासिल कर सके। उसने अपने एक कर्मचारी की बेटी ज्योति से शादी करने की इच्छा जाहिर की जोकि उसके एक कर्मचारी को ट्यूशन पढ़ाने वाले शिक्षक शांता कुमार से प्यार करती थी। राजगोपाल की नजर कर्मचारी की बेटी पर कई दिनों से थी। राजगोपाल कर्मचारी की बेटी के लिए जुनूनी थे। वह युवती पहले से शादीशुदा थी और उसने पहले ही राजगोपाल का प्रस्ताव ठुकरा दिया था लेकिन राजगोपाल को ना सुनने की आदत नहीं थी।

उसके मना करने पर उसके प्यार में पागल राजगोपाल ने पहले उसका अपहरण करवाया जिसकी उन दोनों ने पुलिस से शिकायत की। बाद में 2001 में उसके आठ गुंडों ने प्रिंस शांता कुमार का अपहरण करके उसकी हत्या कर दी। इसके बाद राजगोपाल को गिरफ्तार किया गया व सत्र न्यायालय ने उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई। 2004 में राजगोपाल को दोषी पाया गया और उसे 10 साल की सजा सुनाई गई।
वह हाईकोर्ट गया, वहां भी सजा जारी रही। इसके खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील की व 27 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा बहाल रखते हुए उसे आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।

उनके पिता टूटीकोरन के एक गांव में प्याज उगाते थे। वो काम की तलाश में चैन्नई चले आए व कुछ दिनों तक इधर-उधर काम करने के बाद वह परचून की दुकान पर काम मिल गया। वहां उनकी मुलाकात कुछ ऐसे सैलमैनों ससे होने लगी जो कि अपने खाने की समस्या को लेकर परेशान थे। उसने अपने एक साथी गणपति के साथ मिलकर 1981 में चेन्नई के अमाची भवन नामक रेस्तरां खरीदा व उसको काफी कम दाम पर इडली डोसा बेचने लगा व उनको तैयार करने के लिए शुद्ध सामान जैसे गरी के तेल व अच्छे मसालो का उपयोग किया।

और अब दुनिया की सबसे बड़ी दक्षिण भारतीय रेस्तरां श्रृंखला का मालिक जेल से ही दुनिया से विदा हो गया।

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