Thursday, April 18, 2024
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सर्वोच्च न्यायालय ने केरल के लव जिहाद की जाँच के आदेश दिये

नई दिल्ली ः सुप्रीम कोर्ट ने नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) से कहा है कि वह केरल के लव जिहाद मामले की जांच करे। कोर्ट ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस आरवी रवींद्रन एनआईए जांच की निगरानी करेंगे। इससे पहले 10 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने केरल पुलिस से कहा था कि वह मामले में एनआईए को सहयोग दे ताकि इस मामले में किसी व्यापक आयाम का पता लगाया जा सके।

एक मुस्लिम युवक की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट यह सुनवाई कर रहा है। हाई कोर्ट ने उसकी शादी को रद्द करते हुए उसे ‘लव जिहाद’ की संज्ञा दी थी, जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है। दरअसल, केरल में एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन कर निकाह हुआ। हाई कोर्ट ने शादी को अवैध करार दिया और इसे लव जिहाद की संज्ञा देते हुए लड़की को उसके घरवालों के पास भेज दिया था।

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से कहा कि वह मामले की जांच करे और रिपोर्ट पेश करे। चीफ जस्टिस जेएस खेहर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि वह एनआईए की रिपोर्ट देखने के आगे उस पर विचार करेंगे। मामले की सुनवाई के दौरान अडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर सिंह ने कहा कि ये अकेला केस नहीं है बल्कि ऐसा ही एक और केस सामने आया था और दोनों मामले एक ही संगठन से संबंधित हैं। वहीं, केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अगर मामले की छानबीन एनआईए करे तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

इससे पहले, कोर्ट ने एनआईए से मामले में युवक के कथित लिंक के बारे में दस्तावेज मांगे थे। एनआईए की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया था कि उसके पास मामले की छानबीन के संदर्भ में कोई दस्तावेज नहीं है। एनआईए ने कहा था कि अगर सुप्रीम कोर्ट चाहती है तो मामले की छानबीन के लिए वह तैयार है।

क्या है पूरा मामला?
केरल में एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन कर निकाह हुआ। लड़की के पिता ने केरल हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी और शादी तोड़ने की गुहार लगाई थी। याचिका में कहा गया था कि लड़की का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया और लड़के का लिंक आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट संगठन से है। कोर्ट ने कहा कि लड़की हिंदू परिवार से ताल्लुक रखती है और उसका पालन पोषण हिंदू रीति और परंपरा के हिसाब से हुआ है। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि ये शादी बहला फुसलाकर और दबाव में धर्म परिवर्तन कराकर हुई है। कोर्ट के मुताबिक, शादी लड़की के जीवन का अहम फैसला था और अभिभावक की उपस्थिति में होनी चाहिए थी। हाई कोर्ट ने यह कहते हुए शादी को खारिज कर दिया कि इस शादी की कानून की नजर में कोई अहमियत नहीं है।

इसके बाद, लड़की को उसके घरवालों के पास भेज दिया। अब मामले में उसके कथित पति की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि लड़की को पेश किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केरल सरकार, एनआईए और लड़की के पिता को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मामला बेहद संवेदनशील है और इस पर विस्तार से सुनवाई की जाएगी। कोर्ट ने अब कहा है कि मामले के निपटारे से पहले वह लड़की को भी सुनेगा।

साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से

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