Friday, March 29, 2024
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‘वारतां विक्रमाजीत दी’ की प्रस्तुति के साथ विक्रमोत्सव-21 का समापन

भोपाल। ‘वारतां विक्रमाजीत दी’ की प्रस्तुति के साथ महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ का प्रतिष्ठा आयोजन तीन दिवसीय विक्रमोत्सव-2021 का आज औपचारिक समापन हो गया। एक लम्बी खामोशी के बाद भोपाल में रंग गतिविधियों का आरंभ विक्रमोत्सव-2021 से हुआ। भारी ठंड के बीच भी कलारसिकों का उत्साह देखते ही बन रहा था। तीनों दिन नाट्य प्रस्तुति को देखने के लिए बड़ी संख्या में कलारसिकों की भागीदारी दिखी।

विक्रमोत्सव 2021 के प्रथम दिन महानाट्य ‘सम्राट विक्रमादित्य’ की प्रस्तुति रंग निर्देशक संजीव मालवीय के निर्देशन में हुई। यह महानाट्य कभी भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में हुआ था जिसे कोविड के बाद उपजी स्थितियों के उपरांत निर्देशक संजीव मालवीय ने पारम्परिक और थ्रीडी सिस्टम में समेट कर तीन घंटे के नाटक को करीब दो घंटे की अवधि में प्रस्तुत कर अपनी निर्देशकीय कौशल का परिचय दिया। कोविड के बाद सुस्त पड़ी रंग गतिविधियों की विक्रमोत्सव 21 के माध्यम से शुरूआत हुई तो कला रसिकों का प्रतिसाद भी मिला। कड़ाके की ठंड के बावजूद दर्शकों से हॉल भरा रहा। इसी कड़ी में दूसरी प्रस्तुति मालवा की माच शैली में खेल माच का ‘राजा विक्रम’ की प्रस्तुति पंडित ओमप्रकाश शर्मा के निर्देशन में हुई। विक्रमोत्सव 2021 की तीसरी और अंतिम प्रस्तुति ‘वारतां विक्रमाजीत दी’ की थी। वरिष्ठ नाट्य निर्देशक राजीव सिंह की यह प्रस्तुति पंजाबी लोकगीतों में विक्रमादित्य को खूबसूरत ढंग से प्रस्तुत किया गया है। इस नाटक के माध्यम से यह बात भी स्थापित हो जाती है कि विक्रमादित्य की कीर्ति केवल मालवाचंल ही नहीं, बल्कि देश के हर राज्य में है।

विक्रमोत्सव-2021 समापन के बाद चर्चा करते हुए महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने बताया कि विक्रमोत्सव अब देश के प्रमुख शहरों अयोध्या, पटना, बनारस, आगरा, मथुरा, चंडीगढ़, पुणे, जयपुर, दिल्ली एवं बैंगलरु में आयोजित किया जाएगा। साथ ही ‘भारत विक्रम’ शीर्षक से भारत उत्कर्ष एवं नव-जागरण पर केन्द्रित यह व्याख्यान माला देश के प्रमुख शहरों में भी आयोजित किये जाने की योजना है। यह बात महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक श्रीराम तिवारी ने प्रेस से कही। श्री तिवारी ने कहा कि विक्रमोत्सव देश के अन्य शहरों में किये जाने का उद्देश्य विक्रम कीर्ति से समाज का परिचय कराना है। विक्रम कीर्ति सार्वभौमिक रही है और यही बात समाज तक पहुंचाना है।

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