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वो साठ लाख हिंदू मजदूर जो इसाई नहीं बने
आज भले ही यह अटपटा लग रहा हो कि एक ही विवाह मंडप में मां अपने बच्चे को गोद में लेकर सौभाग्य का सिन्दूर धारण करती है,
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नागाओँ का मजाक उड़ाने वाले पहले इतिहास भी पढ़ लें
कुंभ आये और नागा का जिक्र न हो यह कैसे हो सकता है? इधर कुछ सालों से सोशल मीडिया पर नागा साधुओं का मजाक उड़ाना एक नये तरह की प्रगतिशीलता बन गयी है और उन्हें नारी विरोधी के बतौर पेश क िया जाता है।