Tuesday, April 16, 2024
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ख्याली पुलाव नहीं, सपने हुए अपने ….

सपने जो सोते में आते हैं और न जाने किस – किस जानी -अनजानी दुनिया की सैर कराते हैं और जब आंख खुलती है तो कुछ नहीं होता। एक सपने वह हैं जो हम जागती आंखों से देखते हैं। जिसमें विचार सपना बनकर कुछ पाने की बुनियाद बनते हैं। ये सपने वो हैं कि ख्यालों मै ही रहें तो ख्याली पुलाव बन जाते हैं, द्रडता, इच्छा शक्ति, लग्न,परिश्रम से जुट जाओ तो सपने, सपने नहीं रहते हकीकत हो जाते हैं।

ऐसा ही पुस्तकें लिखने का मेरा सपना कब जाग गया पता ही नहीं चला। सपने को अपना बनाने में नया करने की चाह ने खोजी प्रवृति को पंख लगाए। जीवन के हर मोड़ पर कुछ हट कर करने का उत्साह सदैव बना रहा। इसी वजह से लिखते- लिखते लोग मुझे लेखक कहने लगे और मैने भी यही समझ लिया। यूं तो पहली पुस्तक 18 साल के लंबे संघर्ष की कहानी के रूप में ” राजस्थान में पुलिस प्रशासन” शोध प्रबन्ध के रूप में सामने आई। इसका लोकार्पण तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत जी ने किया।शायद यहीं से पुस्तकें लिखने का सपना संजों लिया।

राजस्थान के जिला गजेटियर की श्रंखला में प्रकाशित राजस्थान के प्रकाशित समस्त जिला गजेटियर का गूढ अध्यन किया। पुस्तकालयों और किताबों से लगाव हो गया। पहले सूचना केंद्र के पुस्तकालय मेरी राह होते थे और सेवा निवृत्ति के बाद कोटा का संभागीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय मेरी मंजिल बन गई। पुस्तकालय की स्थाई सदस्यता प्राप्त करली। पढ़ने के साथ – साथ पर्यटन यात्राएं मेरे पुस्तक लेखन और बुने गए सपने को पूरा करने का आधार बन गई।

शोध प्रबन्ध के बाद कोटा के अतिरिक्त सीएडी आयुक्त श्री धर्मेन्द्र भटनागर के संयुक्त तत्वावधान में वर्ष 2003 में ” कोटा एक विहंगम दृष्टि” अद्यतन गजेटियर के रूप में पुस्तक प्रकाशित हुई। उस समय के संभागीय आयुक्त श्री मनोहर कांत ने जिला कलेक्टर आर. एस. गठाला की उपस्थिति में पुस्तक का लोकार्पण किया। कोई एक वर्ष पश्चात दोनों लेखकों की संयुक्त रूप से लिखित हाड़ौती की कला – संस्कृति और पर्यटन पर सम्पूर्ण रंगीन पुस्तक ” हाड़ौती – करोली दिग्दर्शन” आईं। गठाला जी की प्रेरणा पर सरकार की समस्त जनकल्याण की योजनाओं पर ” नव प्रभात” पुस्तक का संपादन किया।

लेखन क्षमता को देख कर जिला कलेक्टर जे.सी. महांती ने नव साक्षरों पर लघु पुस्तकें लिखने को प्रेरित किया। तीन पुस्तकें ” जय चंबल”,” लोकदेवता तेजाजी” और ” हाड़ौती के मन्दिर” नव साक्षरों के लिए प्रकाशित हुई। सेवा काल में ही जिला कलेक्टर त्रिपाठी जी की प्रेरणा से ” स्वातंत्राय स्वर्ण जयंती का”, और जिला कलेक्टर श्री टी. रविकांत की प्रेरणा से स्कूली बच्चों के किए “स्माइल एंड वर्क कार्टून बुक”, सफलता की कहानियों पर “प्रगति की मुस्कान”, नगर विकास न्यास की शहर के विकास पर “बदलती तस्वीर”, निराश, तनाव ग्रस्त युवाओं के लिए”आशा की किरण” पुस्तकों का संपादन करने का सौभाग्य मिला।

पदोन्नति के साथ – साथ कार्य भार और जिम्मेदारी बढ़ती गई और पुस्तक लेखन में स्वभाविकता लंबा अंतराल आ गया। जब 2012 में मेरी उदयपुर पोस्टिंग हुई तो समय काटने के लिए रात को उदयपुर जिले का गजेटियर और उदयपुर से सम्बन्धित अनेक पुस्तकों का अध्यन किया। पुराने हो चुके गजेटियर से वर्तमान समय में उपयोगी तत्यों का संकलन किया और अद्यतन करते हुए “उदयपुर संदर्शिका” नाम से पुस्तक का प्रकाशन कराया। इस प्रयास में सूचना केंद्र के पुस्तकालयाध्यक्ष श्री एल.आर. शर्मा, श्री सुरेश सेठ, श्री सदना, श्रीमती मधु शर्मा एवं श्रीमती मंजु सिंघल ने भरपूर सहयोग किया। उदयपुर के कई लोगों एवं संस्थाओं ने भी प्रकाशन में सहयोग किया।

सेवा निवृत होने पर “राजस्थान में पंचायती राज और ग्रामीण विकास”, “आगे बढ़ता राजस्थान-( विशेष सन्दर्भ उद्योग,व्यापार, वाणिज्य)”, “श्रीगंगानगर संदर्शिका”, ‘उद्यानिकी ( फूल,फल, सबजी,मसाला और ओषधीय खेती को बढ़ावा)”, “राजस्थान और आज का कोटा,”” मीडिया….जनसंचार माध्यम”, ” अजमेर संदर्शिका”और भारत के सभी धर्मो के आस्था स्थलों पर आधारित ” आराध्य तीर्थ” का प्रकाशन हुआ।इन पुस्तकों कके प्रकाशन में कोटा, सीकर,उदयपुर, चित्तौड़गढ़,अजमेर,श्री गंगानगर,टोंक,भीलवाड़ा और जयपुर जिलों के कई व्यक्तियों और संस्थाओं का सहयोग प्राप्त हुआ। श्री करणी नगर विकास समिति के लिए समाज सेवी स्व. महावीर चंद भंडारी की स्मृति में “कर्मयोगी” एवं डॉ.एम.एल.अग्रवाल के लिए “मेंटल हेल्थ” पुस्तकों का संपादन भी किया।

पुस्तक संपादन की यात्रा से बाहर आ कर गहन शोध कर पुस्तकें लिखने का क्रम बना। बताना उचित समझता हूं कि जो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं वे कुछ समय का नहीं वरन 40 वर्षो के निरन्तर अध्यन और भारत भ्रमण का प्रतिफल है। मित्रगण समय – समय पर सवाल उठाते रहे इतनी पुस्तक केसे लिख लेते हो, तो उसी सवाल यह जवाब है। पर्यटन में खास रुचि होने से पर्यटन के विभिन्न पहलुओं पर कलम चलाई।

पुस्तक लेखन और प्रकाशन यात्रा की श्रृंखला में 2016 से 2022 के मध्य प्रकाशित हुई पुस्तक ” ये है हमारी रंग बिरंगी बूंदी” का लोकार्पण लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी ने किया। “अतुल्य अजमेर : विश्व स्तरीय पहचान” ( सह लेखक श्रीमती शिखा अग्रवाल भीलवाड़ा), “कोटा एक विहंगम दृष्टि” दूसरा संस्करण (सह लेखक एडवोकेट एवं वरिष्ठ पत्रकार श्री अख्तर खान ‘ अकेला’) दूसरा संस्करण), “चंबल तेरी यही कहानी”,”भारत में समुद्र तटीय पर्यटन'( संयुक्त लेखक कोटा रेल मंडल के सेक्शन इंजीनियर श्री अनुज कुमार कूछल) ,”रोमांचक साहसिक पर्यटन” और ‘मन्दिर संस्कृति( धार्मिक पर्यटन)’ पुस्तकों का लोकार्पण राजस्थान के स्वायत शासन एवं नगरीय विकास मंत्री श्री शांति कुमार धारीवाल जी द्वारा समय – समय पर किया गया। “राजस्थान के आस्था स्थल” पुस्तक का लोकार्पण कोटा जिले के प्रभारी शासन सचिव श्री आलोक ने जिला कलेक्टर श्री गौरव गोयल और विभिन्न विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया।
** “ऐसा देश है मेरा – भारत भ्रमण” पुस्तक का लोकार्पण पुलिस अधीक्षक ( शहर) श्री दीपक भार्गव ने किया। “हमारा भारत, हमारी शान” पुस्तक का लोकार्पण प्रबुद्ध साहित्यकारों की उपस्थिति में साहित्यकार श्रीमती कृष्णा कुमारी एवं श्रीमती अनीता वर्मा ने किया। “पर्वतीय पर्यटन – विशेष सन्दर्भ अरावली ” पुस्तक (संयुक्त लेखक भूगोलविद प्रो. प्रमोद कुमार सिंघल) का लोकार्पण खादी एवं ग्रामोद्योग के उपाध्यक्ष श्री पंकज मेहता ने किया। पुलिस अधीक्षक ( जिला कोटा ग्रामीण) श्री शरद चौधरी द्वारा “विश्व रेगिस्तान का इंद्रधनुष” पुस्तक (स ह लेखक प्रो.प्रमोद कुमार सिंघल) का लोकार्पण किया गया।

कोटा के जिला कलेक्टर श्री उज्ज्वल राठौर द्वारा “मीडिया संसार – पत्रकारिता और जन संचार (सह लेखक वरिष्ठ पत्रकार के. डी. अब्बासी)”, “अद्भुत राजस्थान”( सह लेखक प्रो.प्रमोद कुमार सिंघल) “भारत की विश्व विरासत – यूनेस्को की सूची में शामिल”( संयुक्त लेखक श्री अनुज कुमार कूछल) एवं ” पर्यटन और संग्रहालय” पुस्तकों का समय – समय पर लोकार्पण किया गया। अंग्रेजी भाषा में लिखी पुस्तक ” उदयपुर राजस्थान का कश्मीर” पुस्तक का लोकार्पण राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय के पुस्तकालयाध्यक्ष एवं लेखक डॉ.दीपक श्रीवास्तव द्वारा किया गया। अंग्रजी भाषा में ” वर्ल्ड हेरिटज ग्लोबल टू लोकल” एवं हिन्दी में ” पर्यटन में मुस्लिम आर्किटेक्चर” प्रकाशनाधीन पुस्तकें हैं। वर्तमान में ” कोटा के राजकीय संग्रहालय ” पर लेखन कार्य चल रहा है।
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