Wednesday, April 24, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेमैंने तो सोचा भी नहीं था कि मैं प्रधान मंत्री बन जाऊंगाः...

मैंने तो सोचा भी नहीं था कि मैं प्रधान मंत्री बन जाऊंगाः श्री मोदी

नई दिल्‍ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बचपन में कभी भी प्रधानमंत्री बनने का सपना तक नहीं देखा था. उनके लिए इसके बारे में सोचना भर भी दूर की बात थी. यह अनसुनी बातें ‘हृयूमंस ऑफ बांबे’ नामक फेसबुक पेज पर प्रकाशित किए गए एक पोस्‍ट में सामने आई हैं. इसमें पीएम मोदी के बचपन की दिलचस्‍प कहानी, उन्‍हीं के जरियेे साझा की गई है.

इस पोस्‍ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परिवार में 8 सदस्‍य थे, जो 40*12 फीट के घर में रहते थे. उनके अनुसार यह छोटा जरूर था, लेकिन उनके लिए पर्याप्‍त था. पीएम मोदी के अनुसार ‘हमारे दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे होती थी, जब मेरी मां नवजात और छोटे बच्‍चों को पारंपरिक इलाज मुहैया कराती थीं. मैं और मेरा भाई रात भर बारी-बारी से चूल्‍हे को तैयार करते थे, जिससे कि वो मां के उपयोग आ सके.’

पीएम मोदी आगे कहते हैं ‘मेरी मां को उचित शिक्षा प्राप्‍त करने सौभाग्‍य नहीं मिला. लेकिन भगवान दयालू थे. मेरी मां के पास बीमारियों के इलाज के लिए विशेष तरीका था.’ उनके मुताबिक सुबह-सुबह ही उनके घर के बाहर मांओं की लाइन लग जाती थी. क्‍योंकि उनकी मां के पास दर्द और पीड़ा दूर करने वाला स्‍पर्श था और वह इसके लिए जानी जाती थीं.

प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने सुबह की दिनचर्या बताते हुए अपने पिता की चाय की दुकान का भी जिक्र किया. उन्‍होंने कहा ‘इसके बाद मुझे रेलवे स्‍टेशन पर स्थित अपने पिता की दुकान खोलनी होती थी. उसे साफ करना होता था और उसके बाद स्‍कूल जाना होता था. स्‍कूल जितनी जल्‍दी खत्‍म होता था, मुझे अपने पिता मदद के लिए दुकान वापस पहुंचना होता था. लेकिन वहां मुझे देशभर के लोगों से मिलने का इंतजार होता था. मैं वहां इन लोगों को चाय परोसता था और उनकी कहानियां सुनता था. इसी कारण से मुझे हिंदी बोलना आ गया.’

पीएम मोदी के मन में बचपन में मुंबई को लेकर भी बड़ी दिलचस्‍पी थी. वह इस लेख में बताते हैं ‘दुकान में मैं सुनता था कि व्‍यापारी आपस में बंबई (मुंबई) के बारे में बात करते थे और मैं चकित होता था कि क्‍या मैं भविष्‍य में कभी अपने सपनों के शहर जा पाउंगा और उसे देख पाउंगा.’ प्रधानमंत्री के अनुसार वह हमेशा से ही जिज्ञासू थे. मतलब कि उनके अंदर हर चीज को जानने समझने की ललक थी. उनके अनुसार ‘मैं हमेशा जिज्ञासु था. मैं पुस्तकालय जाता था और जो भी मुझे मिल सकता था, मैं उस सभी को को पढ़ता था.’

पीएम मोदी के अनुसार ‘मैं 8 साल का था, जब मैंने पहली बार राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) की बैठक में हिस्‍सा लिया था. इसके बाद 9 साल की उम्र में मैंने पहली बार दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कार्य किया था. उनके मुताबिक ‘मैंने गुजरात के कुछ हिस्सों में आई बाढ़ के पीड़ितों की मदद के लिए अपने दोस्तों के साथ मिलकर एक फूड स्टाल लगाया था. मैं अधिक से अधिक मदद करना चाहता था, लेकिन मुझे पता था कि हमारे पास बहुत कम संसाधन हैं.’

पीएम मोदी ने आगे बताया ‘उस उम्र में भी मेरा दृढ़ विश्वास था कि भगवान ने हमें एक जैसा बनाया है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं किन परिस्थितियों में पैदा हुआ था, मैं कुछ और हो सकता था. इसलिए जब आप लोग मुझसे पूछते हैं कि मेरे संघर्ष क्या थे, तो मैं आपको बताता हूं कि मेरे साथ कोई संघर्ष नहीं था. मैं जहां से आया था वहां कुछ भी नहीं था. मुझे विलासिता के बारे में नहीं पता था और मैंने ‘बेहतर’ जीवन नहीं देखा था. इसलिए मैं अपनी छोटी सी दुनिया में खुश था.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे कहते हैं ‘अगर रास्ता कभी मुश्किल भी था, तो मैंने अपना रास्ता खुद बनाया था. मुझे खुद को कुशल बनाने और तैयार करने की बहुत जरूरत थी. यहां तक कि हम कपड़े आयरन (इस्‍त्री) करने लिए प्रेस की व्‍यवस्‍था नहीं कर पाते थे. मैं कुछ कोयला सुलगाता था और पुराने लोटे पर कपड़ा लपेटकर उसे प्रेस की तरह इस्‍तेमाल करता था. इससे मैं अपने कपड़े प्रेस कर लेता था. मेरा मानना था कि जब इससे भी वहीं लाभ मिल रहा है तो कोई शिकायत क्‍यों हो?

पीएम मोदी के अनुसार ‘आज मैं जो कुछ भी हूं, इसकी शुरुआत उस समय हो चुकी थी. मैं उस वक्‍त यह नहीं जानता था. तो जब आप लोग चाय परोसने और अपने पिता की चाय की दुकान साफ करने वाले 8 साल के उस नरेंद्र मोदी से प्रधानमंत्री बनने के सपना देखने के बारे में पूछेंगे तो उसका जवाब होगा, नहीं, कभी नहीं. यह सोचने तक के लिए ही बहुत ही दूर की बात थी.

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार