Friday, April 19, 2024
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निर्भया की वकील की चारों ओर जय जयकार

निर्भया गैंगरेप और मर्डर के चारों दोषी मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को शुक्रवार सुबह फांसी पर लटका दिया गया. सात साल से ज्यादा लंबे समय के बाद आखिरकर निर्भया (Nirbhaya) को इंसाफ मिल गया. गुरुवार देर रात को भी दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी मामले को लेकर सुनवाई चली और इनके सारे पैंतरे फेल हो गए. इसके बाद शुक्रवार सुबह साढ़े 5 बजे दोषियों को तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में फांसी पर लटका दिया गया. यह पहला मौका है जब तिहाड़ में चार अपराधियों को एक साथ फांसी पर लटकाया गया है. इसी बीच ट्विटर पर #SeemaKushwaha टॉप ट्रेंड कर रही हैं. बता दें, सीमा कुशवाहा (Seema Kushwaha) पिछले सात सालों से निर्भया के लिए अदालत में इंसाफ की लड़ाई लड़ रही थीं. जैसे ही चारों दोषी फांसी पर लटके तो लोग सीमा कुशवाहा को बधाई देने लगे. ट्विटर पर लोगों ने सीमा को ऐसे बधाई दी है…

मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली सीमा कुशवाहा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई की है। साल 2012 में जब निर्भया के साथ वो दिल दहला देने वाली घटना हुई थी, उस वक्त सीमा कोर्ट में ट्रेनिंग कर रही थीं। इस घटना की खबर मिलते ही सीमा ने निर्भया के लिए नि:शुल्क केस लड़ने की घोषणा की थी। इसके बाद से आज तक वह निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए डटी रहीं। निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक सीमा हर सुनवाई में निर्भया के लिए दलील पेश करती रहीं। इन सात वर्षों में केवल कोर्ट ही नहीं, बल्कि अदालत से बाहर भी सीमा निर्भया के माता-पिता के साथ खड़ी दिखीं।यह उनके वकालत करियर का पहला केस था, जिसे उन्होंने पूरे जज्बे के साथ लड़ा और आखिरकार जीत हासिल की।

2014 में सीमा ज्योति लीगल ट्रस्ट से भी जुड़ीं, जो दुष्कर्म पीड़ितों के लिए मुफ्त में केस लड़ता है और उन्हें कानूनी सलाह देता है। सीमा असल में वकील नहीं, बल्कि आईएएस अफसर बनना चाहती थीं। वह यूपीएससी परीक्षा देने की पूरी तैयारी भी कर चुकी थीं, लेकिन किस्मत को उनके लिए वकालत का पेशा ही मंजूर था।

घटना के बाद सीमा ने निर्भया की केस मुफ्त लड़ने की घोषणा की और निचली अदालत से लेकर ऊपरी अदालत तक निर्भया के दरिंदों को फांसी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी. फांसी के बाद निर्भया की मां ने सबसे पहले सीमा कुशवाहा को ही धन्यवाद कहा है. निर्भया की मां ने कहा कि हमारे वकील (सीमा कुशवाहा) के बिना यह संभव नहीं था.

निर्भया के दोषियों को फांसी के बाद निर्भया के पिता बद्रीनाथ ने कहा कि ‘लड़ाई लंबी रही है, संतुष्ट हूं. समाज से नहीं सिस्टम से शिक़ायत है. बहुत लंबी लड़ाई लड़ी है. लोगों से यही कहूंगा कि बेटे और बेटी के बीच भेद न करें. मेरी बेटी ज़िंदा नहीं है पर मैने उसे बेटा ही माना. रात भर सुनवाई चली लेकिन हमें कोर्ट पर यकीन था. मैं संतुष्ट हूं. पर चैन से सो नहीं पाऊंगा, अब भी मूझे मेरी बेटी की सिंगापुर की तस्वीर याद है. बस कल्पना ही कर सकता हूं कि फ़ांसी पर वो कैसे लटके होंगे. मैं सबका धन्यवाद करता हूं.’

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