Tuesday, March 19, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेदेश में बजाज, टाटा और अंबानी जैसे कई सौ उद्योगपति चाहिए

देश में बजाज, टाटा और अंबानी जैसे कई सौ उद्योगपति चाहिए

फिछले दिनों वरिष्ठ उद्योगपति राहुल बजाज, का निधन हुआ, लेकिन किसी भी न्यूज चैनल 2 मिनिट से अधिक का समाचार देने के अलावा कुछ नहीं किया। इस जगह कोई सेलिब्रिटी होता, नेता होता, इतना ही क्या यदि कोई स्मगलर या गुंडा होता तो दिनभर उसके समाचार चलते रहते। उसका पूरा इतिहास हजार बार बताया जाता । लेकिन बजाज इनका जीवन परिचय किसी को बताना उचित नहीं लगा । 5 करोड़ के टर्नओवर से 10,000 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी कैसे बनाई यह बताना किसी ने जरूरी नहीं समझा। कोई यह सुनना भी नहीं चाहता। क्योंकि हमारी प्राथमिकताएं बदल गई है ।

ऐसे सफल व्यक्ति की जीवनी लाखों उद्योगपतियों के लिए प्रेरणादायक हो सकती है। लेकिन किसी को इस बाबत कोई लेना देना नही है। कुछ वर्ष पूर्व जेफ बेजोस हमारे देश की यात्रा पर थे। न्यूज चैनलों ने इस खबरको कोई तवज्जों नही दी, लेकिन समाचार पत्रों ने अंदरी पन्नों पर छोटिसी ख़बर भर दी थी। ऐसे अवसर पर उनके व्यवसायिक सफलता पर किसी को चर्चा करना जरूरी नहीं लगा।उसी दौरान कुछ राष्ट्र प्रमुखों के दौरे थे तो दिनभर उनके समाचार चल रहे थे। हमारी प्राथमिकताएं बदल गई है । नेता, डॉन, तस्कर सब पर फिल्मे बनती हैं, पर कोई भी किसी सफल उद्योगपति पर कोई फिल्म नहीं बनाता। नई पीढी को ऐसे नेता, गुंडे, स्मगलर ही आदर्श लगने लगे हैं। उनके जैसा चलना, बोलना, वेशभूषा ये स्टेटस सिंबल बन गए हैं।

किसी को बड़े 10 उद्योगपतियों के नाम मालूम नहीं । हमारी प्राथमिकताएं बदल गई है। अनैतिक कार्य करके, लूटपाट करके, हफ्ते वसूल करने वाले उनके बाप बन जाते हैं। लेकिन जो उद्योगपति दिनरात मेहनत करके, कई लोगों को रोज़गार देते हैं, ऐसे उद्योगपतियों को चोर कहा जाता हैं । इन भ्रष्ट नेताओं से कोई नहीं पूछता कि आपने किस उद्योग द्वारा अकूत संपत्ति जमा की हैं।

हमारी प्राथमिकताएं बदल गई है। हमारा कोई विजन नहीं है। अपनी नई पीढी कैसे निर्माण करनी है किसी को पता नहीं, केवल अंग्रेजी आनी चाहिए यही एक क्राइटेरिया बन गया है।
देश में टाटा, बजाज, अंबानी इन के जैसे 4, 5 नही, 50 उद्योगपति होना चाहिए। दुनियां पर राज करना है तो यह बेसिक भी पता नहीं है। यह बात कितने लोग जानते है की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक करोड़ से ज्यादा लोगों को रोज़गार टॉप 20 कंपनियां देती हैं। रोज़गार सरकार नहीं देती। सरकार नीतियां बनाती हैं जिससे देश में रोज़गार के अवसर पैदा हो । हम लोग कब समझेंगे कि हमारी प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिए ।

मराठी में व्हाट्सएप पर प्राप्त एक पोस्ट का हिंदी अनुवाद

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार