Thursday, April 18, 2024
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इ मेल मार्केटिंग को भारत में एक नया आयाम दिया है कल्पित जैन ने

ई-मेल मार्केटिंग बाजार की नई शैली है। दुनिया भर में 2.5 अरब ईमेल यूजर्स हैं और इसके जरिए कमर्शियल मेसेज भेजना एक लोकप्रिय ट्रेंड है। नेटकोर ( Netcore)  के सीओओ कल्पित जैन का मानना है कि आने वाले समय में यह नया बाजार खड़ा करेगा। पेश हैं कल्पित से एक बातचीत-

नेटकोर  ने कुछ साल पहले ई-मेल मार्केटिंग की शुरुआत की थी। तब से अब तक प्रचार और उपभोक्ताओं की आदतों में क्या बदलाव हुए हैं?

हमने पांच साल पहले इसकी शुरुआत की थी और अब हमारा रिटर्न ऑन इनवेस्टमेंट अच्छा है। देश में इंटरनेट उपभोक्ता बढ़े हैं और ईमेल्स भी। 

आपके ऑपरेशंस का स्केल क्या है?

हम हर महीने 300 से 350 करोड़ ईमेल भेजते हैं यानी हर मिनट करीब 1 लाख ईमेल। हम भारत के 1000 से 2000 ब्रैंड्स के साथ काम कर रहे हैं और ई-मेल मार्केटिंग के नंबर वन प्लेयर हैं।

भारत में ई-मेल मार्केटिंग का क्या सीन है?

हमारे देश में ई-मेल मार्केटिंग का कुल बाजार 125-150 करोड़ रुपए का है। पांच साल पहले यह 20-25 करोड़ रुपए का था। इस समय देश के कुल डिजिटल रेवेन्यू में ई-मेल मार्केटिंग की हिस्सेदारी 25-30 पर्सेंट है। हर साल ईमेल मार्केटिंग में 75 से 80 पर्सेंट की बढ़ोतरी हो सकती है। इसका सबसे बड़ा कारण ई-कॉमर्स और BFSI हैं।

ई-मेल मार्केटिंग का अगला चरण क्या है?

अगला चरण मार्केटिंग ऑटोमेशन है। बहुत सी ई-कॉमर्स कंपनियां इस तरफ बढ़ रही हैं। इसलिए हम मार्केटिंग ऑटोमेशन जैसी क्षमता विकसित करने की दिशा में काम कर रहे है।

मोबाइल डिवाइस के बढ़ने से ग्राहकों के लिए ई-मेल देखना आसान हुआ है और मार्केटिंग कैंपेन्स पर भी असर हुआ है। आप क्या कहना चाहेंगे?

दो साल पहले सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत लोग ही मोबाइल पर ई-मेल्स चेक करते थे। आज 35 से 40  प्रतिशत लोग ऐसा करते हैं। ईमेल सबसे ज्यादा  प्रयोग किया जाने वाला ऐप है और इसका इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। ई-मेल कैपेन्स दूसरी ऐप्लीकेशंस, एसएमएस से भी जोड़े जा रहे हैं। इस प्रक्रिया को डीपलिंकिंग कहा जाता है। इसमें हम मल्टी चैनल कम्युनिकेशन करते हैं। इसके अलावा हमारा एक प्लेटफॉर्म है MARtech  जिसमें एक प्लेटफॉर्म पर इन सभी माध्यमों को जोड़ा जाता है। एक क्लाइंट अपनी मैसेजिंग के एक हिस्से को sms से तो दूसरे हिस्से को ई-मेल के जरिए भेज सकता है। यह ईमेल मार्केटिंग का अगला चरण है।

नेटकोर के लिहाज से, ई-मेल मार्केटिंग आने वाले सालों में आपके लिए कितनी महत्वपूर्ण होगी?

अगले दो से तीन सालों में ई-मेल मार्केटिंग से हमें 50 से 55 प्रतिशत राजस्व मिलेगा।

आपके अनुसार, दूसरे माध्यमों की तुलना में ई-मेल कितना लाभकारी माध्यम है?

देखिए ऐसी रिपोर्ट्स हैं जो कहती हैं कि हर ई-मेल, जिस पर आप 1 डॉलर खर्च करते हैं, आपको 40 डॉलर का रिटर्न मिलता है। ई-मेल दूसरी डिजिटल मार्केटिंग के मुकाबले एक पुश नोटिफिकेशन है। इसीलिए बहुत सी ई-कॉमर्स कंपनियां इसे चुनती हैं। हमारे कुल ई-मेल रेवेन्यू का 20 से 25 पर्सेंट हिस्सा ई-कॉमर्स सेक्टर से आता है। हमने यह भी सुना है कि ई-मेल्स न जाने के कारण कुछ क्लाइंट्स के बिजनेस में 40 से 45 पर्सेंट का घाटा भी हुआ है।

ऑटोमेशन और मल्टी चैनल कम्युनिकेशन के अलावा ई-मेल मार्केटिंग में नए डिजिटल ट्रेंड, जैसे विडियो मार्केटिंग कैसे फिट हो रहे हैं?  

कई कंपनियां ई-मेल में विडियो भी जोड़ रही हैं। दूसरी अवधारणा है- Dynamic Content, यह एक लाइव टिकर है। जितनी बार ई-मेल खोली जाती है, इस पर कंटेंट अपने आप बदल जाता है। पर्सनलाइजेशन और रेलेवेंसी भी एक ट्रेंड है। रेलेवेंसी यानी प्रासंगिकता बहुत महत्वपूर्ण है। Gmail जैसा सर्विस प्रोवाइडर इस बात के लिए बहुत सख्त है कि आपका कंटेंट कितना रेलेवेंट है वरना आपकी ई-मेल को spam फोल्डर में डाल दिया जाता है।

मेल्स को प्रमोशंस और प्राइमरी फोल्डर्स में बांटने से क्या फायदा या नुकसान हुआ है, जैसा कि जी मेल  पर किया जाता है?

शुरुआत में तो ऐडवर्टाइजर्स को लगा था कि इससे उनका विज्ञापन दिखेगा ही नहीं, लेकिन इसका नुकसान देखने को नहीं मिला। भले ही यूजर को ई-मेल दिखाई न दे लेकिन जब भी उसे समय मिलेगा, वह प्रमोशन फोल्डर में जाएगा जरूर। इसके लिए हमें कस्टमर से साथ एंगेज होना पड़ेगा।

जी मेल से आपको कुल कितना ट्रैफिक मिलता है?

भारत में, 60 से 70 प्रतिशत।

साभार- समााचार4मीडिया से 

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