Wednesday, April 24, 2024
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श्रीराधा अयोनिजा है: एक विमर्श

(संदर्भ : राधा अष्टमी- 26 अगस्त 2020)

राधा शब्द वेदों में अनेक बार आया है किंतु वेद में राधा से सदैव धन का ही अर्थ ग्रहण किया गया है न कि श्रीकृष्ण प्रिया राधा जी का ।

एक विद्वान ने कल्पना की अद्भुत उड़ान भरी और राधा शब्द के आठो विभक्तियों के रूप वेद मंत्रों से उध्दृत कर राधा को वैदिक बताने का असफल प्रयास किया । जब उनके द्वारा उद्धृत मंत्रो का मैने वेद मंत्रों से मिलान/ परीक्षण किया तो उनमें से किसी भी मंत्र की देवता राधा नही थी और सर्वत्र धन अर्थ ही राधा शब्द से ग्रहण किया गया था।

श्री राधा का श्रीमद्भागवत पुराण में भी कोई स्पष्ट उल्लेख प्राप्त नही होता है, यद्यपि परोक्षरूपेंन राधा के उल्लेख का समर्थन कुछ भागवत विद्वान अवश्य करते हैं।

राधा जी का सर्व प्रथम और विस्तृत उल्लेख मिलता है ब्रह्म वैवर्त पुराण में। सर्व प्रथम नन्द ने भांडीरवन में राधा को वट वृक्ष के मूल में देखा था।

ब्रह्म वैवर्त में राधा स्त्रोत भी है और राधा उद्धव संवाद, राधा यशोदा संवाद तथा श्रीकृष्ण और राधा की अनेक क्रीड़ाओं, लीलाओ का सुन्दर और लालित्य पूर्ण वर्णन है जो अन्यत्र उपलब्ध नहीं है।

श्रीराधा और उनकी माता कलावती दोनों अयोनिजा है। राधा की माँ पितरो की मानस कन्या है। राधा रायण की पत्नी है छाया रूप में और रायण हरि के अंश से उद्भूत है, रायण हरि के श्रेष्ठ पार्षदों में महान है।

ब्रह्म वैवर्त में राधा शब्द का अर्थ करते हुए लिखा है कि राधा में “रा” शब्द महाविष्णु का प्रतिनिधित्व करता है और “धा” शब्द विश्व के प्राणियों में मातृ वाचक धाय का रूप है।

राधा यशोदा संवाद में राधा ने यशोधा जी से कहा है कि मैं (राधा) ही इनकी (हरि की) मूल प्रकृति हूँ और इनकी धात्री माता (धाय) हूँ । मुझे ही विद्वानों ने पूर्व में राधा नाम से कहा है और वर्तमान में मैं ही वृषभानु सुता हूँ।

अहमेव स्वयं राधा,
छाया रायण कामिनी।
रायणः श्रीहरेरंशः,
पार्षदप्रवरो महान्।।

धात्री माताहमेतेषाम्,
मूलप्रकृतिरीश्वरी।
तेन राधा समाख्याता,
हरिणा च पुरा बुधै:।। (ब्रह्म वैवर्त पुराण )

श्रीराधा अयोनिजा है और ईसा मसीह भी अयोनिजा है क्योकि मरियम को कुँआरी माना जाता है तब क्या बाइबिल में अयोनिजा का तत्व या प्रकरण ब्रह्म वैवर्त से लिया गया है? या इसका विपरीत सच है यानि ब्रह्म वैवर्त में बाइबिल से लिया गया है?

यह विमर्श का, शोध का विषय हो सकता है।

(लेखक चार्टर्ड एकाउंटेंट व कवि हैं, बृज संस्कृति पर गहन शोध किया है)

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