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इस्लाम को लेकर छः शताब्दी के बाद भी सवाल आज भी वही है
दुनिया भर के विवेकशील उदार लोगों को यह देखना चाहिए कि विषय कुछ भी हो, इस्लाम के पास हिंसा के अलावा कभी कोई तर्क नहीं होता। कहीं कोई किताब लिखे तो हिंसा, कोई फिल्म बनी तो हिंसा, कोई रेखाचित्र बने तो हिंसा, समाचार छपे तो हिंसा, बयान आए तो हिंसा,
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सच बोलने की कीमतः हकीकत राय से नुपूर शर्मा तक
एक दिन मौलवी की अनुपस्थिति में मुस्लिम छात्रों ने हकीकत राय को खूब मारा पीटा। बाद में मौलवी के आने पर उन्होंने हकीकत की शिकायत कर दी कि उन्होंने मौलवी के यह कहकर कान भर दिए कि इसने बीबी फातिमा को गाली दी है।
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नुपूर शर्मा के बहाने सरकार हिंदुओं को अपमानित करने वालों को कटघरे में खड़ा कर सकती थी
यह घोषणा की जा सकती थी कि अपने मित्रों की गहरी आध्यत्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए, इस अवसर का लाभ उठाकर अथवा इस घटना से सबक लेकर हम समस्त मानवता के हित में भारत में एक ऐसा सार्वभौमिक नियम ला रहे हैं
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भारत 800 साल से मुस्लिम आक्रांताओं से लड़ रहा है
भारत वीर राजपूत मिहिरभोज ने इन अक्रान्ताओ को अरब तक थर्रा दिया ।प्रथ्वीराज चौहान तक इस्लाम के उत्कर्ष के 400 सालों बाद तक राजपूतों ने इस्लाम नाम की बीमारी भारत को नहीं लगने दी, उस युद्ध काल में भी भारत की अर्थव्यवस्था को गिरने नहीं दिया ।
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नए जमाने के भगवान
आज से 40 साल पहले कोई साईं का नाम तक न जानता था तब एक नया चलन सामने आया था कुछ लोग जो की साईं की मार्केटिंग कागज़ के पर्चे छपवा कर करते थे …उन पर लिखा होता था की अगर आप इस पर्चे को पढने के बाद छपवा कर लोगों में बांटेंगे तो दस दिन के अन्दर आपको लाखों रूपये का धन अचानक मिलेगा ।
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….और इतना सुनते ही निराला जी ने अयाज़ की गर्दन दबोच ली
असल में इस मामले में अयाज़ साहेब का बहुत दोष नहीं था । उद्घोषणाएं रोमन में लिखी जाती थीं जिससे सूर्य का सूर्या , कान्त का कांता और महाकवि की तेज़ चल रही
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ये हमारा पतन है या दुर्भाग्य कि हम महान क्रांतिकारी महावीर सिंह को नहीं जानते ?
उनका जन्म 16 सितम्बर 1904 को उत्तर प्रदेश के एटा जिले के शाहपुर टहला नामक एक छोटे से गाँव में उस क्षेत्र के प्रसिद्ध वैद्य कुंवर देवी सिंह और उनकी धर्मपरायण पत्नी श्रीमती शारदा देवी के पुत्र के रूप में हुआ था|
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ज्ञान वापी का वो इतिहास जो आपको रुला देगा
11 अगस्त, 1936 को दीन मुहम्मद, मुहम्मद हुसैन और मुहम्मद जकारिया ने स्टेट इन काउन्सिल में प्रतिवाद संख्या-62 दाखिल किया और दावा किया कि सम्पूर्ण परिसर वक्फ की सम्पत्ति है।
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ब्राह्मणों के प्रति बुध्द के विचार
अपने आपको मूलनिवासी कहने वाले लोग प्राय: ब्राह्मणों को कोसते मिलते हैं, विदेशी कहते हैं, गालियां बकते हैं। पर बुद्ध ने आर्यधर्म को महान कहा है । इसके विपरीत डॉ अंबेडकर आर्यों को विदेशी नहीं मानते थे।
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हिंदू आस्था के खिलाफ वामपंथी मकड़जाल
हनुमान प्रतीक हैं उस "अनुशासन और प्रोटोकॉल" के जिसका अनुपालन उन्होंने अपने जीवन में हर क्षण किया जबकि 'हनुमान' विरोधियों को अनुशासनहीन समाज पसंद है।