Saturday, April 20, 2024
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Homeपाठक मंचनागरिकता संशोधन कानून का विरोध तुष्टिकरण का घिनौना रूप

नागरिकता संशोधन कानून का विरोध तुष्टिकरण का घिनौना रूप

सेवा में,

4. माननीय प्रधानमंत्री जी, भारत

2. माननीय गृहमंत्री जी, भारत सरकार

3. भारत सरकार के सभी मंत्रालयों के माननीय मंत्रीगण

सांस्कृतिक गौरव संस्थान की हरियाणा राज्य शाखा के कार्यकर्तागण प्रबुद्धजन की यह सभा तीन पड़ोसी देशों से अपनी बहु-बेटियों की इज्जत बचाकर, मतांतरण के जबरदस्त दबाव से छुटकारा पाने के लिए जान बचाकर भारत में आने वाले हिन्दुओं, सिखों आदि को नागरिकता दिए जाने के कानून की हार्दिक प्रशंसा करती है |

सन्‌ 1857 में उत्तरप्रदेश के इटावा जनपद के अंग्रेज कलेक्टर सर ए. ओ. ह्यूम के वहाँ से डर कर इंग्लैंड भाग जाने के पश्चात्‌ पुनः भारत आकर कांग्रेस पार्टी (जिसका नाम भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है) की स्थापना की | संस्थापक का जो उद्देश्य था वह कांग्रेस पार्टी के अस्तित्व में रहते हुए पूरा हुआ यानि देश के चार टुकड़े – बर्मा, लंका, भारत और पाकिस्तान हो गए | बाद में पाकिस्तान में से बांग्लादेश बन गया | कांग्रेस के सन्‌ 1915 से ही दो उद्देश्य रहे हैं, एक मुस्लिम तुष्टिकरण, दूसरा -विभाजन | अब भी कांग्रेस पार्टी वही कर रही है | साथ में आप पार्टी और कम्युनिस्ट तो कांग्रेस के सहयात्री हैं हीं | सब अब मिल गए हैं और जिस प्रकार देश विभाजन के समय पूर्वी और पश्चिमी
पाकिस्तान में हिन्दुओं का घोर नरसंहार हुआ, हिन्दू बहु-बेटियों का अपहरण करके उनके साथ दुष्कर्म हुए, उस पाप से भी कांग्रेस पार्टी मुक्त नहीं हो सकती, किन्तु उसकी चाल नहीं बदली है और अब घोर निंदनीय ढंग से नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहीं है, उसके इस निंदनीय अभियान के लिए कांग्रेस को भावी पीढ़ियाँ कभी क्षमा नहीं करेंगी |

यह सभा सरकार की घोर प्रशंसा करती है और कानून को यथाशीघ्र ल्रागू करने का अनुरोध करती है, यह भी आग्रह है कि बांग्लादेश से घुसे कई करोड़ मुसलमानों और म्यांमार से घुसे रोहिंग्या मुसलमानों को तेज गति से देश से बाहर निकाला जाए | लाखों नागरिकों और वाहन चाल्रकों को घोर मुसीबत में डालने वाले शाहीन बाग, दिल्ली में धरने का पाखण्ड कर रहे असामाजिक लोगों से उस स्थान को तत्काल खाली कराए जाने का आग्रह भी हम सरकार से करते हैं |

सुभाष चंद सिंगला
प्रधान, हरियाणा सांस्कृतिक गौरव संस्थान
१ गुरुग्राम

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