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आतंकवादियों के साथ भाई चारे के गीत गाने से कुछ नहीं होगा
समय आ गया है जब हमारे खुफिया तंत्र को और मज़बूत बनाया जाय और जिहादियों से निपटने के लिए कोई और कारगर योजना बनाई जाए।जिहादियों को प्रश्रय देने या फिर उनसे सहानुभूति रखने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाय।
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देश के कर्णधारों के नाम एक आम आदमी का पत्र
इस्लाम मे उम्मा का कन्सेप्ट है, देश का कोई कन्सेप्ट है ही नहीं। और जो भी मुसलमान काफिरों से युद्ध कर रहा है वह बेशक इस्लाम सम्मत काम कर रहा है। ये छोटा सा सत्य आपके दिमागों में क्यों नहीं घुसता।
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कश्मीर फाईल्स ने आस्था जगाई
सरकारें आईं और चली गईं मगर किसी भी सरकार ने निर्वासित कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में बसाने की मन से कोशिश नहीं की।आश्वासन अथवा कार्ययोजनाएं जरूर घोषित की गईं। और तो और सरकारें जांच-आयोग तक गठित नहीं
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‘द कश्मीर फाइलस’ ने सबको आईना दिखा दिया
कश्मीरी पंडितों को अपने वतन से बेघर हुए अब लगभग बत्तीस वर्ष हो चले हैं। 32 वर्ष ! यानी तीन दशक से ऊपर!! बच्चे जवान हो गए,जवान बुजुर्ग और बुजुर्गवार या तो हैं
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इस्लामिक जिहाद से मुक्ति का मार्ग ::धर्म संसद
अनेक सन्तों का सन्देश बार बार सोचने को विवश कर देता है कि क्या श्रीराम, श्री कृष्ण व आचार्य चाणक्य आदि की शिक्षाओं का गुणगान करने वाला हिन्दू समाज अपने आपको योहीं नष्ट होने के लिए समर्पित करता रहे?
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सेबी छोटे निवेशकों के हितों को क्षति पहुँचाने के लिए अंग्रेजी भाषा का सहारा ले रहा है
सेबी द्वारा आईपीओ लाने वाली कंपनियों को भावी निवेशकों से जुड़ी जानकारी राजभाषा हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं में देने के लिए आज तक कोई नियम नहीं बनाया गया है जबकि निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है, तभी निवेशक समझदारी पूर्ण निवेश कर सकते हैं।
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मोदीजी देश के माथे से ये इंडिया की गुलामी कब दूर होगी?
माननीय सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत याचिका क्रमांक WPWIVIL/203/2015 में यह निराकरण चाहा गया था कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद ३२ के अंतर्गत संविधान में संशोधन कर 'इण्डिया' शब्द को हटाकर सिर्फ 'भारत' रखा जाएँ।
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हे मजदूरों ! पहले अंग्रेजी सीखो फिर मजदूरी करना , भारत सरकार की पहल
यह पोर्टल केवल अंग्रेजी में इसलिए बनाया गया है ताकि अंग्रेजी न जानने वाले देश के मजबूर मजदूर नागरिक अपनी शिकायत ही दर्ज न कर सकें। वेबसाइट पर हिन्दी भाषा में शिकायत दर्ज कराने पर खुली रोक है
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प्रधान मंत्री कार्यालय हिंदी पत्रों का उत्तर ही नहीं देता
प्रधानमंत्री देखभाल कोष की वेबसाइट https://www.pmcares.gov.in/en केवल अंग्रेजी भाषा में उपलब्ध करवाई गई है, कृपया हिन्दी में उपलब्ध करवा दीजिए ताकि हम गाँवों में रहने वाले भी इनका उपयोग कर सकें,
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केंद्र सरकार और राजभाषा विभाग में हिंदी वालों की कोई सुनवाई नहीं
संदर्भ- 19 जनवरी 2018 की शिकायत सं- DCOYA/E/2018/00084, 2 अगस्त 2019 की शि. सं. DCOYA/E/2019/01762, 19 नवंबर 2019 की शि. सं. DCOYA/E/2019/02713,