Friday, April 19, 2024
spot_img
Homeपाठक मंचयमुना एक्सप्रेस हाई वे के दर्शन

यमुना एक्सप्रेस हाई वे के दर्शन

कल जैसे ही यात्रा के आख़िरी पड़ाव में हरिद्वार से दिल्ली पहुचना हुआ पता चला की यहाँ से लगभग 30 किमी की दूरी पर यूपी का स्पीड मीटर कहा जाने वाला नोयडा यमुना एक्सप्रेसवे है जिसके द्वारा हम अपनी यात्रा के आखिरी पड़ाव ‪#‎वृंदावन‬ तक मात्र 1 घण्टे में ही पहुच सकते हैं सुनकर मेरे कान खड़े हो गए क्योकि अगर ऐसा था तो गाड़ी की स्पीड 140 किमी/घण्टा की स्पीड से कम नही चलनी थी पर अब मेरे दिमाग में प्रश्न ये था आखिर यूपी की सड़क गाड़ी से इतना असीम प्रेम कब से करने लग गयी फिर याद आया की इस एक्सप्रेसवे से दिल्ली को आगरा से जोड़ा गया है जो प्रदेश सरकार की अपनी महत्वाकांक्षी परियोजनाओ में से एक है ।

जैसे ही हमारी गाड़ी इस हाइवे पर चली पहले ही इतना अभास हो गया की ये हाइवे यूपी की और गड्ढो से भरी सड़को से अलग है और हुआ ही कुछ ऐसा जब पता चला की वृन्दावन आने वाला है जब समय देखा तो पता चला की वाकई एक घण्टे के लगभग समय ही लगा पर प्रश्न एक ही था मन में की आखिर क्या ऐसी सड़के यूपी के गड्ढो से गुजर कर आने वाले लोगो के लिए सुरक्षित हैं ?

समाचार पत्रो में सुन रखा था की इस हाईबे में स्पीड से चलने वाली बहुत सी गाड़ियां केवल इसलिए दुर्घटनाग्रस्त हो गयी थी क्योकि उनका टायर तेज चलने के कारण फट गया था ऐसे में इस डर के साथ क्या वाकई में इस सड़क में इतना स्पीड से चलना सुरक्षित होता है क्योकि खाली और चिकनी सड़क किस गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर को नही पसन्द ?
इन प्रश्नो के उत्तर कुछ भी हो पर इतना तो साफ है की स्पीड से चलना शायद देश के विकास की रफ़्तार को भी बताता है इसीलिए ऐसे हाईबे बनाये जाते हैं जिसमे बिना किसी सावधानी के लोग बेसुध होकर भागते हैं ।

शायद जब ये हाईबे बनना शुरू हुआ था तब यूपी की मुख्यमंत्री मायावती थी जिनके समय यूपी की आम सड़को की हालत बद से बदतर थी पर उस समय भी किसी का ध्यान गड्ढो पर नही गया और आज जब ये हाईबे बेधड़क अपनी तेजी से दौड़ रहा है ऐसे में तत्कालीन मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव जी ने भी अपने कार्यकाल में लखनऊ तक जाने वाला एकप्रेसवे हाईबे तैयार करने के लिए कमर कस रखी है पर क्या फायदा ऐसे अरबो रुपयो से बने स्पीड मीटरों का जिनतक पहुचने के लिये अरबो गड्ढो से होकर गुजरना पड़ता है । क्या सर्वप्रथम पूरे प्रदेश की सड़के इतना ही ध्यान लगाकर नही दुरुस्त कराइ जा सकती क्योकि इन एक्सप्रेसबे में जितने लोग प्रतिदिन चलते होंगे उससे ज्यादा लोग पूरे प्रदेश के गड्ढो से भरी सड़को में किसी न किसी प्रकार की दुर्घटना के कारण मर जाते हैं इसलिए ज्यादा जरूरी हमारे गाँवो,कस्बो ,जिलो,शहरो,महानगरो और राजधानियों की सड़क का दुरुस्त होना है फिर कही ऐसे एक्सप्रेसबे ज्यादा अच्छे लगेंगे ।

हो सकता है जनप्रतिनिधियो के लिए ऐसे हाईबे बनवाये जा रहे हो और आम जनता को शायद अभी और कुछ दिन इसी प्रकार गड्ढो में उछलना पड़े ।
जो भी हो पर आज शताब्दी एक्सप्रेस को पीछे छोड़कर 170-180 किमी/घण्टा चलकर मोदी जी के बुलेट ट्रेन के सपने के और अधिक पहुचने का अनुभव हुआ जो की अदभुत था पर नैतिक रूप से गलत था ।
……
आपका
हनुमत

image_print

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -spot_img

वार त्यौहार