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दिवाली और महावीर के महानिर्वाण का संयोग
दीपावली केवल बाहर रोशनी जलाने का नाम नहीं, बल्कि अंतर को भी प्रज्ज्वलित करने का पर्व है। हमारी चेतना बाहर की ओर देखती है, अगर हम अंदर की ओर देखें तो कायाकल्प हो सकता है। अगर अंदर की रोशनी जल गई तो पूरा जीवन जगमग जगमग हो जाएगा। अपने अंतर में दीया जलाने की प्रक्रिया को ही ध्यान कहते हैं।