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भारतीय राजनीति में हिंदुत्व की आवाज बुलंद करने वाले बलराज मधोक
बलराज मधोक बहुत अच्छे लेखक थे। मधोक ने हिंदी व अंग्रेजी में बहुत साहित्य रचा है। समाचार पत्रो के संपादक भी रहे। मधोक ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा मुखर्जी की जीवनी भी लिखी है।
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मजदूर दिवस पर मजदूर नेता रामदेव सिंह की कहानी जिन्होंने हिंडाल्को मैनेजमेंट की चूलें हिला दीं
हड़ताल पर हड़ताल होते गए, नेता रामदेव सिंह का नाम पहले राज्य के राजनीति में फिर केंद्र की राजनीतिक गलियारों तक पहुँच गया। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से रामदेव सिंह ने कई बार मीटिंग की। केन्द्रीय मंत्री रहे राजनारायण और प्रभुनारायण तो उनके संघर्ष के साथी रहे।
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गुरुदत्त विद्यार्थी : जिनकी पुस्तकें ऑक्सफोर्ड में पढ़ाई जाती थी
उनकी पुस्तक ‘द टर्मिनॉलॅजि ऑफ वेदास्’ को आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की पाठ्यपुस्तक के रूप में स्वीकृत किया गया। उनके जीवन में उच्च आचरण, आध्यात्मिकता, विद्वत्ता व ईश्वरभक्ति का अद्भुत समन्वय था। उन्हें वेद और संस्कृत से इतना प्यार था कि वे प्रायः कहते थे
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9 मई महान क्राँति की स्मरण तिथि:लाखों क्राँतिकारियों के बलिदान का जिक्र तक नहीं
पूरी दुनियाँ में भारत का अतीत विशिष्ट है । शोध अनुसंधान और साँस्कृतिक विरासत में ही नहीं अपितु आक्रांताओं के अत्याचार, दासत्व की लंबी अवधि और स्वतंत्रता संघर्ष की आहुतियों में भी । लगभग हजार वर्ष के संघर्ष और अपने प्राणों की आहुति देने वालों के आकड़े करोड़ों में हैं ।
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गायक बनने आए जयराम आचार्य की धुनों ने कई गीतों को कालजयी बना दिया
मुंबई का यशवंतराव नाट्य मंदिर, माटुंगा में 15 फरवरी 2009 को एक विशेष संगीत कार्यक्रम में जिन दो महान वाद्ययंत्र वादकों का उत्सव मनाया गया उनमें से एक थे सितार वादक जयराम आचार्य
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सृजन, सेवा और विकास के कर्मयोगी पद्मश्री मगराज जैन
भारत-पाक सीमा पर गरीबी झेल रहे दलित गरीब ,वंचित वर्ग का सशक्तिकरण ने थार की सूरत एवं यहां के लोगों की जिंदगी बदल दी है और बदलाव का दौर
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टेलीफोन एक्सचेंज में पिस्तौल लहराने वाले और डाकुओँ पर बम डालने की धमकी देने वाले प्रकाश चंद्र सेठी
सेठी जी ने सन् 1958 में अफगानिस्तान, सन् 1960 में अमेरिका, कनाड़ा, इंग्लैंड, नार्वे, स्वीडन, डेनमार्क, जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलेंड, मिस्त्र की और सन् 1962 में चेकोस्लोवाकिया तथा
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काला मुख झूठों का, सच्चों का बोलबाला है
एक लोकोक्ति युक्त रचना इस प्रकार है जो “ काला मुख झूठों का , सच्चों का बोलबाला है ” नामक लोकोक्ति पर आधारित है | रचना में बताया गया है झूठा व्यक्ति कहीं भी यश नहीं प्राप्त
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रामकथा के प्रथम अन्वेषक फादर कामिल बुल्के
आज डॉ. फादर कामिल बुल्के की 111वीं जन्मतिथि है. इस अवसर पर हम हिन्दी भाषा और राम- कथा पर किए गए उनके असाधारण शोध- कार्य का स्मरण करते हैं और उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं.
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क्या हमें हरिसिंह नलवा के बारे में कुछ पता भी है?
अप्रैल 1836 में, जब पूरी अफगान सेना ने जमरौद पर हमला किया था, अचानक प्राणघातक घायल होने पर नलवा ने अपने नुमायंदे महान सिंह को आदेश दिया कि जब तक सहायता के लिये