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व्यंग्य
 

  • मुझे अमेरिका क्यों पसंद नहीं है

    मुझे अमेरिका क्यों पसंद नहीं है

    किन्तु मनुष्य को प्रायः कुत्ते-बिल्ली की मौत मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। मां-बाप और अपंगों को जो चाहे मुफ्त में ले जाए। देख-रेख करे। बच्चे प्रगति कर रहे हैं।

  • इस ख़बर पर उनका दर्द

    इस ख़बर पर उनका दर्द

    फरवरी के बाद होंगे।" कालू भिया ने पत्नी को बताया कि अभी कुछ दिन पहले चुनाव होने की खबर पढ़कर उन्होंने पार्षद का चुनाव लड़ने के लिए

  • सरकार को मिला निंदा मंत्रालय के गठन का प्रस्ताव

    एक अन्य सुझाव में कहा गया है कि सरकार को और राजनीतिक दलों को गाँव गाँव और शहर शहर में हर मोहल्ले में ऐसे निंदा क्लब बनाना चाहिए जो अपने आसपास की हर घटना की निंदा करे।

  • दिल पे पत्थर रख कर मुँह पे मास्क रख लिया

    दिल पे पत्थर रख कर मुँह पे मास्क रख लिया

    ऊर्जा की बात आयी तो एक और घटना याद आयी .. एक दिन पेड़ के नीचे महात्मा बुद्ध जैसे बैठी थी। उनसे थोड़ी सी मेरी स्थिति अलग थी । बुद्ध ज्ञान लेने बैठे थे मैं अल्पज्ञानी बच्चों को ज्ञान

  • सात दशक की स्वतंत्रता और चंदू भैया की शोध डायरी

    सात दशक की स्वतंत्रता और चंदू भैया की शोध डायरी

    स्वतंत्रता का स्वच्छंदता में बदलना एक गहन शोध का विषय है। पर भारत में शोध बिना सरकारी सहायता के संभव नहीं है और कोई भी सरकार स्वतंत्रता के स्वच्छंदता में बदलने के कारण पर शोध करवाने में कोई रुचि नही रखती

  • फेसबुकिया वैराग्य

    फेसबुकिया वैराग्य

    अल सुबह एक भुक्तभोगी कवि ने ईमानदारी से कमेंट किया- ‘चंचल जी ये आभासी दुनिया है। किसी बात के लिए बुरा मान कर प्रस्थान भी कर गये तो आपको फूफाजी की तरह मनाने कोई नहीं आने वाला। आपके होने न होने से फेसबुक

  • किसम-किसम के लोग

    किसम-किसम के लोग

    किस्में तो ओर भी है पर उपरोक्त लिखी कुछ किस्मों के अलावा साहित्यकारों,कवियों,कलाकारों,ज्ञानियों,परम ज्ञानियों को इसमें शामिल नहीं किया जा सकता है। यह लघु शोध पत्र केवल साधारण मनुष्यों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।

  • चलो, फुर्सत हो गई अब मर जाओ‍!

    चलो, फुर्सत हो गई अब मर जाओ‍!

    उनको अब न ताने सुनने पड़ रहे है और न ही कोई घर से बाहर जाने को बोलता है। घर के लोग भी सोचते है पड़ा रहने दो, घर से बाहर गया तो न जाने कहॉ से सामान के साथ कोरोना ले आया तो लेने के देने पड़ जाएंगे।

  • हिंदी साहित्य के इतिहास में तालाबंदी काल

    हिंदी साहित्य के इतिहास में तालाबंदी काल

    फेसबुक के माध्यम से ऑनलाइन आने वालों ने भी लॉकडाउन काल में कुछ कम योगदान नहीं दिया है। रोज किसी ना किसी विषय को लेकर घंटों लंबी चर्चाएं करते है। जो चर्चाएं अभी तक बंद कमरे या किसी स्कुल के हाल में होती थी

  • एक मध्यमवर्गीय कुत्ता

    एक मध्यमवर्गीय कुत्ता

    थोड़ा-सा मरी आवाज में गुर्राया। आसपास वे आवारा कुत्ते भौंक रहे थे, पर यह उनके साथ भौंका नहीं। थोड़ा गुर्राया और फिर निढाल पड़ गया। मैंने मेजबान से कहा, 'आज तुम्हारा कुत्ता बहुत शांत है।'

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