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श्रीजगन्नाथपुरी में फलदायी अक्षय तृतीया का भव्य आयोजन 3 मई को
महाप्रभु जगन्नाथ के प्रदेश ओडिशा के घर-घर में अक्षय तृतीया व्रत तथा उसके अनुपालन की सुदीर्घ परम्परा रही है। नये सामाजिक तथा पारिवारिक रिश्तों का श्रीगणेश अक्षय तृतीया से होता है। नये शुभ कार्य,नये आवास,नये कारोबार,नई दुकानों,ब्रह्मचारियों के जनेऊ संस्कारों तथा यज्ञ आदि का शुभारंभ अक्षय तृतीया के दिन से ही आरंभ होता है।
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भुवनेश्वर में देवसर माता मंगल पाठ अनुष्ठान
श्री देवसर माता भक्त मण्डल भुनेश्वर द्वारा 3 अप्रैल को स्थानीय तेरापंथ भवन में श्री देवसर माता मंगल पाठ आयोजित किया गया । मंगल पाठ अपराह्न:3:30 से आरंभ हुआ और सायंकाल 8:30 पर संपन्न हुआ।
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कश्मीरी हिंदुओं का विशेष पर्व है नवरेह
कश्मीरी पंडितों का पंचाग (जिसे ‘जंत्री’) कहते हैं, पहले तो कश्मीर में छपता था, अब विस्थापन के बाद जम्मू से छपने लगा है।मैं ने यह पंचाग कई सप्ताह पूर्व फेसबुक में विज्ञापन देखकर जम्मू से ऑनलाइन मंगवाया था।मेरे खूब याद दिलाने पर भी भेजने वाले धर्मप्राण-बन्धु ने आज तक न तो पैसों की बात की
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हमारी लोक परंपराओं और लोक गीतो में होली की महिमा
होली हमारी लोक परंपरा और धार्मिक आस्था का ऐसा त्यौहार है जिसे अमीर गरीब सब साथ मिलकर मनाते हैं। पिछले कुछ सालों से होली से लेकर दिवाली के खिलाफ तथाकथित बुध्दिजीवियों और न्यायालय में बैटे न्याय के पहरेदारों ने इन त्यौहारों के खिलाफ मुहिम चलाकर इनसे जुड़े उत्साह और परंपराओं को नष्ट करने की कोशिश की गई।
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होली का रंग फिल्मी गीतों के संग
इसके बाद फिल्मों में होली गीत बहुत कम देखने को मिलते हैं। वर्ष 2000 में फिल्म मोहब्बते में शाहरूख खान पर "सोनी सोनी अंखियों वाली" होली गीत फिल्माया गया जिसे युवाओं को आकर्षित किया।
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राधा अष्टमी पर होगा राधा रानी का विशेष श्रंगार व पूजन
राधा अष्टमी के पर्व के विशेष धार्मिक महत्व बताया गया है, राधा अष्टमी पर व्रत रखकर पूजा की जाती है, राधा अष्टमी की पूजा सभी दुखों को दूर करने वाली मानी गई हैं,
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धनतेरस और दिवाली की पूजा, मुहुर्त एवँ महत्व
धनवंतरी को दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह त्यौहार इस वर्ष 13 नवंबर को मनाया जाएगा।
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दानशीलता का महापर्व छेरछेरा
छत्तीसगढ़ में यह पर्व पौष पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को छेरछेरा कहकर जीवन में मंगल कामाना करते हैं।
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मांगलिक कार्य आरम्भ होने का दिन है ‘‘देवोत्थान एकादशी’’
प्रबोधिनी एकादशी अथवा देवोत्थान एकादशी के दिन भीष्म पंचक व्रत भी शुरू होता है, जो कि देवोत्थान एकादशी से शुरू होकर पांचवें दिन पूर्णिमा तक चलता है। इसलिए इसे इसे भीष्म पंचक कहा जाता है।
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धनतेरस और दिवाली की पूजा, मुहुर्त एवँ महत्व
आयु के बिना धन, यश, वैभव का कोई उपयोग ही नहीं है। अतः सर्वप्रथम आयु वृद्धि एवं आरोग्य प्राप्ति की कामना की जाती है। इसके पश्चात तेज, बल और पुष्टि की कामना की जाती है।