मुंबई। हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं और अप्रत्याशित रूप से यह अब युवाओं के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है, जो हमारे देश के लिए एक चिंताजनक स्थिति है। ऐसी स्थिति में, कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) के बारे में सीखना और जागरूकता पैदा करना सभी के लिए जरूरी हो गया है, खासकर फ्रंटलाइन स्टाफ के लिए। चिकित्सा सहायता उपलब्ध होने से पहले CPR का उचित तरीका जीवन बचा सकता है। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए, हाल ही में पश्चिम रेलवे के जगजीवन राम अस्पताल ने आरपीएफ कर्मियों के लिए CPR करने पर एक कार्यशाला आयोजित की, जो भारतीय रेलवे के फ्रंटलाइन कर्मचारियों में से एक हैं।
पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी श्री विनीत अभिषेक की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कार्यशाला में लगभग 100 आरपीएफ कर्मियों और 25 अन्य कर्मचारियों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य कर्मचारियों को उन्नत सीपीआर की उचित तकनीक, एईडी (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर) के उपयोग और इस महान प्रक्रिया में हुई नई प्रगति के बारे में शिक्षित करना था। जेआरएच के विभागाध्यक्ष और अतिरिक्त मुख्य स्वास्थ्य निदेशक-कार्डियोलॉजी डॉ. शिशिर कुमार राउल ने सीने में दर्द से लेकर दिल के दौरे और कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट विषयों पर व्याख्यान दिया।
अपने व्याख्यान में उन्होंने दिल के दौरे के विभिन्न लक्षणों के साथ-साथ इसे नज़रअंदाज किये जाने तथा समय से पता न चलने पर होने वाली जटिलताओं पर जोर दिया। उन्होंने दिल के दौरे को रोकने के लिए प्रमुख निवारक कदमों के बारे में भी बताया और कर्मचारियों की समय-समय पर स्वास्थ्य जांच पर जोर दिया। सुश्री सुमैया राघवन के नेतृत्व में होली फैमिली अस्पताल की रिवाइव हार्ट फाउंडेशन की एक टीम ने सीपीआर तकनीक का इस्तेमाल करके दिखाया। डॉ. अविनाश अर्का, वरिष्ठ मंडल चिकित्सा अधिकारी, कार्डियोलॉजी ने अपने अनूठे अंदाज में अपनी कविता के माध्यम से लोगों में जागरूकता पैदा की।
भाग लेने वाले सभी आरपीएफ कर्मचारियों को विभिन्न आपातकालीन स्थितियों में सीपीआर करने के लिए कहा गया और सभी कदम दिशानिर्देशों के अनुसार उठाये गये, जिनकी निगरानी जेआरएच के अच्छी तरह से प्रशिक्षित और प्रमाणित सीपीआर प्रशिक्षकों ने की। कार्यशाला की योजना जेआरएच की चिकित्सा निदेशक डॉ. ममता शर्मा के मार्गदर्शन में बनाई गई थी।
श्री विनीत ने आगे कहा कि फ्रंटलाइन कर्मचारियों के लिए इस तरह की कार्यशालाओं का आयोजन लाभकारी साबित होगा और हृदय रोगों तथा सीपीआर देने के उचित तरीके और इसकी जीवन रक्षक क्षमता के बारे में जागरूकता पैदा होगी।
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