अमेरिकी फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जर्मी पोवेल ने दिनांक 19 सितम्बर 2024 को यूएस फेड दर में 50 आधार बिंदुओं की कमी करने की घोषणा करते हुए यूएस फेड दर को 5.5 प्रतिशत से घटाकर कर 5 प्रतिशत कर दिया है। 4 वर्ष पूर्व पूरे विश्व में फैली कोविड महामारी के खंडकाल के पश्चात मुद्रा स्फीति की दर में, पिछले 4 दशकों में, सबसे अधिक वृद्धि दर्ज हुई थी और मुद्रा स्फीति की दर को नियंत्रण में लाने के उद्देश्य से विकसित एवं अन्य कई देश ब्याज दरों को लगातार बढ़ा रहे थे ताकि उत्पादों की मांग बाजार में कम हो तथा उत्पादों की आपूर्ति इस मांग के अनुरूप हो जाए। पिछले 4 वर्षों के दौरान यूएस फेड दर 0 प्रतिशत से बढ़कर 5.50 प्रतिशत तक पहुंच गई थी परंतु अब 4 वर्ष पश्चात यूएस फेड दर को कम करने की घोषणा की गई है।
कई विकसित एवं विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका में लागू ब्याज दरों से अत्यधिक प्रभावित होती हैं। जब भी अमेरिका द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि की घोषणा की जाती है तो अन्य देशों में अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों के संस्थानों एवं नागरिकों द्वारा किया गया निवेश इन देशों से निकलकर अमेरिका में वापिस आने लगता है क्योंकि अमेरिकी वित्तीय संस्थानों एवं अमेरिकी सरकार द्वारा जारी किए जाने बां ड पर उन्हें आकर्षक ब्याज दर मिलने लगती है।
चूंकि अब यूएस फेड दर में 50 आधार बिंदुओं की कमी की गई है अतः अन्य कई देश भी ब्याज दरों में कमी की घोषणा कर सकते हैं। इससे पूरे विश्व में ही ब्याज दरों को कम करने का चक्र प्रारम्भ हो सकता है। हालांकि इसकी शुरुआत यूरोपीयन देशों एवं ब्रिटेन द्वारा पूर्व में की जा चुकी है तथा अब विकासशील देश भी ब्याज दरों में कमी की घोषणा शीघ्र ही कर सकते हैं। भारत में भी हालांकि पिछले कुछ समय से मुद्रा स्फीति की दर लगातार नियंत्रण में बनी हुई है परंतु भारतीय रिजर्व बैंक यदि पूर्व में ही ब्याज दरों में कमी की घोषणा करता तो भारत में अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों के संस्थानों द्वारा अमेरिकी डॉलर में किये गए निवेश के भारत से निकलने की सम्भावना बढ़ जाती। आज विश्व के कई देश, विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में, आपस में इतने अधिक जुड़ चुके हैं कि किसी एक देश के आर्थिक क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन अन्य देशों के आर्थिक क्षेत्र को भी प्रभावित करते हैं।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा यह भी कहा गया है कि केलेंडर वर्ष 2024 में यूएस फेड दर में 25 आधार बिंदुओं की दो बार और कमी की घोषणा की जा सकती है तथा केलेंडर वर्ष 2025 में 100 आधार बिंदुओं की कमी की जा सकती है। इस प्रकार यूएस फेड दर घटकर 3.50 प्रतिशत तक नीचे आ सकती है। यूएस फेड दर में 50 आधार बिंदुओं की कमी की घोषणा के साथ ही 10 वर्षों के लिए जारी अमेरिकी बांड की यील्ड घटकर 3.73 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है एवं डॉलर इंडेक्स भी 100.37 के निचले स्तर पर आ गया है।
दूसरे, अब बहुत सम्भव है कि भारतीय रिजर्व बैंक भी रेपो दर में कमी की घोषणा शीघ्र ही करे क्योंकि अब अमेरिका में अधिक ब्याज दरों का दौर समाप्त हो रहा है। अमेरिका में बढ़ी हुई ब्याज दरों का विपरीत प्रभाव न केवल भारतीय रुपए पर हो रहा था बल्कि अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों से भारत में अमेरिकी डॉलर में होने वाले विदेशी निवेश पर भी दबाव बना हुआ था। अब अमेरिका में यूएस फेड दर के कम करने से भारतीय रुपए पर दबाव एवं भारत से विदेशी निवेश के बाहर जाने का डर भी कम हो जाएगा। साथ ही, यदि भारत में भी ब्याज दरों को कम करने का दौर शुरू होता है तो इससे भारतीय उद्योग जगत को फायदा होगा और उनकी लाभप्रदता में वृद्धि होगी जो विदेशी निवेश को भारत में आकर्षित करने में सहायक होगी।
आम जनता द्वारा बैकों से लिए गए ऋण की किश्तें भी अब कम हो सकती हैं इससे विशेष रूप से मध्यमवर्गीय परिवारों द्वारा खर्च करने योग्य राशि में वृद्धि होगी जो विभिन्न उत्पादों की मांग निर्मित करने में सहायक होगी। कुल मिलाकर, अब यह कहा जा सकता है कि अमेरिका में यूएस फेड दर के कम करने का अच्छा प्रभाव आगे आने वाले समय में विकसित देशों एवं भारत सहित विश्व की अन्य इमर्जिंग अर्थव्यवस्थाओं पर भी दिखाई देने लगेगा।
प्रहलाद सबनानी
सेवा निवृत्त उप महाप्रबंधक,
भारतीय स्टेट बैंक
के-8, चेतकपुरी कालोनी,
झांसी रोड, लश्कर,
ग्वालियर – 474 009
मोबाइल क्रमांक – 9987949940
ई-मेल – prahlad.sabnani@gmail.com