Saturday, December 21, 2024
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ब्राह्मण कितने प्रकार के होते है ?

ब्राह्मण समाज को मुख्य रूप से आठ भागों में विभाजित किया जाता है:
1. _सारस्वत ब्राह्मण_: ये मुख्य रूप से महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा में पाए जाते हैं।
2. _देशस्थ ब्राह्मण_: ये मुख्य रूप से महाराष्ट्र में पाए जाते हैं।
3. _गौड़ ब्राह्मण_: ये मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं।
4. _कanyakubja ब्राह्मण_: ये मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं।
5. _मैथिल ब्राह्मण_: ये मुख्य रूप से बिहार और नेपाल में पाए जाते हैं।
6. _उtkal ब्राह्मण_: ये मुख्य रूप से ओडिशा में पाए जाते हैं।
7. _तेलुगु ब्राह्मण_: ये मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में पाए जाते हैं।
8. _नंबूदिरि ब्राह्मण_: ये मुख्य रूप से केरल में पाए जाते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये विभाजन क्षेत्रीय और पारंपरिक आधार पर हैं, और सभी ब्राह्मण समुदायों को इन श्रेणियों में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है।
इनके अतिरिक्त श्रोत्रिय ब्राह्मण है जो इन सबसे विशिष्ट हैं।
श्रोत्रिय ब्राह्मण एक विशेष श्रेणी है जो वेदों और प्राचीन शास्त्रों में विशेषज्ञता रखने वाले ब्राह्मणों को संदर्भित करती है। ये ब्राह्मण वेदों और शास्त्रों के अध्ययन और अध्यापन में विशेषज्ञता रखते हैं और अक्सर पूजा-पाठ, अनुष्ठानों और धार्मिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
श्रोत्रिय ब्राह्मणों को अक्सर वेदों के ज्ञाता और पारंगत माना जाता है, और वे अपनी विद्वत्ता और धार्मिक ज्ञान के लिए सम्मानित होते हैं। वे अक्सर मंदिरों और धार्मिक संस्थानों में पुजारी या आचार्य के रूप में कार्य करते हैं।
आपके द्वारा उल्लिखित श्रोत्रिय ब्राह्मण वास्तव में एक विशेष और सम्मानित श्रेणी है, जो अपनी विद्वत्ता और धार्मिक ज्ञान के लिए जाने जाते हैं।
सभी ब्राह्मणों को उपाधि अनुसार ?
ब्राह्मणों को उनकी उपाधि के अनुसार विभिन्न नामों से संबोधित किया जाता है, जैसे कि:
1. _शास्त्री_: वेदों और शास्त्रों के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
2. _पंडित_: वेदों और शास्त्रों के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
3. _भट्ट_: वेदों और शास्त्रों के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
4. _दीक्षित_: यज्ञ और अनुष्ठानों के विशेषज्ञ।
5. _आचार्य_: शिक्षक और गुरु।
6. _स्वामी_: संन्यासी और आध्यात्मिक गुरु।
7. _महंत_: मंदिरों और धार्मिक संस्थानों के प्रमुख।
8. _पुजारी_: मंदिरों में पूजा और अनुष्ठान करने वाले।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये उपाधियाँ क्षेत्रीय और पारंपरिक आधार पर भिन्न हो सकती हैं, और सभी ब्राह्मणों को इन उपाधियों से संबोधित नहीं किया जाता है।
शास्त्र के आधार पर ब्राह्मण?
शास्त्र के आधार पर ब्राह्मणों को चार प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जाता है:
1. ऋग्वेदी: ऋग्वेद के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
2. _यजुर्वेदी_: यजुर्वेद के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
3. _सामवेदी_: सामवेद के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
4. _अथर्ववेदी_: अथर्ववेद के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
इन श्रेणियों के अलावा, ब्राह्मणों को उनके विशेषज्ञता और अध्ययन के आधार पर भी वर्गीकृत किया जाता है, जैसे कि:
– _वेदांगिस्त_: वेदांगों के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
– _कल्पसूत्री_: कल्पसूत्रों के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
– _स्मार्त_: स्मृतियों के ज्ञाता और विशेषज्ञ।
– _पौराणिक_: पुराणों के ज्ञाता और विशेषज्ञ।

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