भारत जैसे-जैसे 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन को साकार करने की ओर आगे बढ़ रहा है, सरकार यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है कि महिलाएं विकास की इस दौड़ में पीछे न छूटे। केंद्र सरकार ने विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीब महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते राष्ट्र के विकास में महिलाओं की क्षमता का उपयोग करके उन्हें सशक्त बनाने के लिए कई परिवर्तनकारी पहल शुरू की है।
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन
ग्रामीण विकास मंत्रालय की दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई-एनआरएलएम) सबसे उल्लेखनीय प्रयासों में से एक है। डीएवाई-एनआरएलएम, भारत सरकार का एक प्रमुख कार्यक्रम है जो गरीबों, विशेष रूप से महिलाओं की मज़बूत संस्थाएं बना कर गरीबी कम करने को बढ़ावा देता है । साथ ही इन संस्थानों को विभिन्न वित्तीय सेवाओं एवं आजीविका सेवाओं तक पहुंचने में सक्षम बनाता है। डीएवाई-एनआरएलएम को अत्यधिक गहन कार्यक्रम के रूप में डिज़ाइन किया गया है और यह गरीबों को कार्यात्मक रूप से प्रभावी समुदाय के स्वामित्व वाले संस्थानों में संगठित करने, उनके वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने और उनकी आजीविका को मजबूत करने के लिए मानव और भौतिक संसाधनों के गहन अनुप्रयोग पर केंद्रित है।
आपसी आधार पर महिला स्व-सहायता समूह (एसएचजी) का एक साथ आना डीएवाई-एनआरएलएम समुदाय संस्थागत डिजाइन का प्राथमिक आधार है। डीएवाई-एनआरएलएम गांव और उच्च स्तर पर स्वयं सहायता समूहों एवं उनके संघों सहित गरीब महिलाओं की संस्थाओं के निर्माण, पोषण और मजबूती पर ध्यान केंद्रित करता है। इसके अलावा, डीएवाई-एनआरएलएम ग्रामीण क्षेत्र के गरीबों के आजीविका से जुड़े संस्थानों को बढ़ावा देता है।
इस मिशन ने 92.06 लाख से अधिक स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) में 10.03 करोड़ से अधिक महिलाओं को सफलतापूर्वक एकजुट किया है। ये एसएचजी पूरे भारत में महिलाओं के लिए वित्तीय समावेशन, डिजिटल साक्षरता, स्थायी आजीविका और सामाजिक विकास के इंजन के रूप में काम करते हैं। आजीविका विकास के लिए समग्र दृष्टिकोण को एकीकृत करके, डीएवाई-एनआरएलएम ने महिलाओं को गरीबी के चक्र से मुक्त होने और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए सशक्त बनाया है।
लखपति दीदी योजना: महिला उद्यमियों को सशक्त बनाना
लखपति दीदी स्व-सहायता समूह की सदस्य है जो एक लाख रुपये (1,00,000 रुपये) या उससे अधिक की वार्षिक घरेलू आय अर्जित करती हैं। इस आय की गणना कम से कम चार कृषि मौसमों और/या व्यावसायिक चक्रों के लिए की जाती है, जिनकी औसत मासिक आय दस हजार रुपये (10,000 रुपये) से अधिक है, ताकि यह आय निरंतर बनी रहे।
महाराष्ट्र के जलगांव में लखपति दीदी सम्मेलन में प्रधानमंत्री की भागीदारी ने महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम के दौरान, पीएम मोदी ने सरकार के तीसरे कार्यकाल के दौरान “लखपति दीदी” बनी 11 लाख महिलाओं को प्रमाण पत्र सौंपे। लखपति दीदी योजना के तहत महिलाएं आर्थिक रुप से आत्म निर्भर हुई हैं । आने वाले वर्षों में तीन करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री ने 2,500 करोड़ रुपये का रिवॉल्विंग फंड जारी किया, जिससे 4.3 लाख स्व-सहायता समूहों के लगभग 48 लाख सदस्यों को लाभ हुआ और 5,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण वितरित किए गए, जिससे 2.35 लाख एसएचजी के 25.8 लाख सदस्यों को लाभ होगा।
लखपति दीदी योजना की शुरुआत के बाद से अब तक एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाया गया है और सरकार ने तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य रखा है।
वित्तीय संसाधनों का यह निवेश महिलाओं के नेतृत्व वाले एसएचजी को अपने संचालन का विस्तार
करने, आजीविका में सुधार करने और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी आर्थिक विकास करने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करेगा ।
केंद्रीय बजट 2024-25: नारी शक्ति पर फोकस
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने 2024-25 के केंद्रीय बजट में भारत के विकास में नारी शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। महिलाओं के कल्याण एवं सशक्तिकरण के लिए विभिन्न मंत्रालयों में 3.3 लाख करोड़ रुपये का उल्लेखनीय आवंटन किया गया है, जो कार्यबल में भागीदारी को बढ़ावा देगा। सुरक्षा बढ़ाएगा और कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावासों व क्रेचों जैसी अधिकाधिक सुविधाएँ मुहैया करवाई जाएँगी ।
विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई अन्य प्रमुख पहल शुरू की गई हैं:
1. कामकाजी महिला छात्रावास और क्रेच: श्रमशक्ति में महिलाओं की भागीदारी बढ़ावा देने के लिए, सरकार, उद्योगों के सहयोग से कामकाजी महिलाओं के लिए छात्रावास और उनके बच्चों की देखभाल के लिए क्रेच स्थापित करेगी। सरकार के इन प्रयासों से महिलाओं को काम करने के लिए सुरक्षित और अनुकूल वातावरण मिलेगा ।
2. कौशल और रोजगार: राज्य सरकारों और उद्योगों के सहयोग से महिलाओं को कुशल बनाने के लिए केंद्र प्रायोजित योजना शुरू की जाएगी। यह पहल पांच वर्षों में 20 लाख युवाओं को कौशल प्रदान करेगी, जिसमें महिलाओं के लिए उनकी रोजगार क्षमता और वित्तीय स्वतंत्रता बढ़ाने के अवसर शामिल हैं।
3. मुद्रा ऋण: उन महिला उद्यमियों के लिए मुद्रा ऋण की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी जाएगी जिन्होंने सफलतापूर्वक पिछला ऋण चुका दिया है। यह महिलाओं को अपने व्यवसायों को बढ़ाने और आर्थिक भागीदारी बढ़ाने में मदद करेगा।
4. समावेशी आर्थिक अवसर: महिला उद्यमियों, कारीगरों और स्व-सहायता समूहों (एसएचजी) का समर्थन करने के लिए स्टैंड-अप इंडिया, राष्ट्रीय आजीविका मिशन और पीएम विश्वकर्मा जैसी योजनाओं का विस्तार किया जाएगा । इनके माध्यम से महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसाय के लिए वित्तीय संसाधनों और अवसरों तक व्यापक पहुंच सुनिश्चित होगी।
5. स्टांप शुल्क: केंद्रीय बजट 2024 के अनुसार केंद्र सरकार राज्यों को उच्च स्टांप शुल्क दरों को कम करने के लिए प्रोत्साहित करेगी । महिलाओं द्वारा खरीदी गई संपत्तियों के लिए शुल्क को और कम करने पर विचार करेगी, जिससे यह सुधार शहरी विकास योजनाओं का अनिवार्य घटक बन जाएगा।